अभी साल के मिड में "टीवीएफ ( द वायरल फीवर)" के सीईओ "अरूणभ कुमार" पर एक महिला ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। टीवी सीरियल "भाभी जी घर पर हैं" की लीड एक्ट्रेस "शिल्पा शिंदे" ने भी सीरियल के निमार्ता बेनिफर के पति संजय कोहली पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। "शिल्पा शिंदे" ने मुंबई स्थित मलाड पुलिस स्टेशन में जो एफआईआर दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि निर्माता उनसे अश्लील बातें कहते थे। तुम बहुत सेक्सी हो, तुम बहुत हॉट हो..मैं तुम्हारा बहुत बड़ा फैन हूं...
ऐसी तारीफें कई मई महिलाओं को ऑफिस में सुनने में मिल जाती होंगी। कई बार ऐसी तारीफें महिलाओं को अनकम्फर्टेबल भी कर देती हैं। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो इसे ऐसे ही सुनकर ना जानें दे। क्योंकि ये सारी बातें और छोटे से छोटे इशारे भी यौन शोषण का हिस्सा होते हैं।
सेक्सुअली हैरेस्ड करने के कई तरीके होते हैं। कई महिलाओं को ये मालुम ही नहीं होता है कि वे सेक्सुअली harassed हो रही हैं। क्योंकि उन्हें छुआ नहीं जा रहा तो उन्हें लगता है कि वे harassed नहीं हो रही हैं।जबकि ऐसा नहीं है।
तो इन इशारों को नजरअंदाज ना करें और उन्हें जानें व समझें कि कौन-कौन से इशारे यौन शोषण का हिस्सा हैं।
नहीं आगे आता कोई मदद के लिए
यहां तक की महिलाएं जब अपने खिलाफ हुए मिसबिहेव की कम्पलेन करती भी हैं तो उनके कलीग्स उन्हें वैसा समर्थन नहीं देते, जैसा की वे उनसे उम्मीद करती हैं।
इंडियन नेशनल बार एसोसिएशन (आईएनबीए) द्वारा कराए गए सर्वे के अनुसार लगभग दो तिहाई महिलाओं ने माना कि महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत जो व्यवस्था Workplace पर होनी चाहिए, वो नहीं होने के कारण, महिलाएं शिकायत करने से हिचकती हैं। यह सर्वे BPOs, IT sector, educational institutes, अस्पतालों और legal firms में किया गया। जिसके अनुसार 38% महिलाओं और लड़कियों को workplace पर sexual harassment का सामना करना पड़ा। 68.9% महिलाओं ने माना कि वे भय, शर्मिंदगी और आत्मविश्वास की कमी के कारण कम्पलेन करने से बचती हैं। इस सर्वे में 6,047 लोग शामिल हुए जिसमें से 78% महिलाएं थी और 22% पुरुष।
लोगों की मेंटिलिटी चेंज करना है जरूरी
लेकिन कंपनीज् कितनी भी फेसिलिटी दे दे, लोगों की मेंटिलिटी को चेंज नहीं किया जा सकता। इसलिए कई महिलाएं ऑफिस में होने वाले यौन शोषण की शिकायत नहीं करती। और ये हम नहीं, ये सर्वे कह रहा है। एक नजर सर्वे की कुछ जरूरी प्वाइंटर पर-
- 46.7% surveyors ने माना कि internal committee के members को कानून के अंदर आने वाले sections और legal provisions की जानकारी नहीं।
- जबकि 66.7 % लोगों ने कहा कि internal complaint committee एक्शन लेती है।
- 50% victims केस के बंद हो जाने के बाद कंपनी छोड़ देते हैं।
- 42.2% लोगों का जवाब "NO" था, जब उनसे पूछा गया कि, "उन्हें पूरी legal protection मिलती है कि नहीं।"
- 42.2% लोगों का जवाब " NO" था, जब ये भी पूछा गया कि, "उन्हें inquiry के दौरान colleague का पूरा समर्थन मिलता है कि नहीं?"
ये तो हुआ ऑफिस में होने वाले यौन शोषण की बात। लेकिन ऑफिस के अलावा भी ऐसी कुछ जगहें हैं जहां"Sexual Harassment" होता है।
Indian National Bar Association के नेशनल सेक्रेटरी, Zameer Nathani कहते हैं कि, “सर्वे के दौरान देखा गया कि अब भी देश में sexual harassment cases सबसे अधिक आते हैं। और सबसे हैरानी की बात ये है कि लोगों को Sexual Harassment of women at workplace (prevention, prohibition and redressed) Act 2013 के बारे में जानकारी नहीं है।”
अब जब लोगों को जानकारी ही नहीं है तो कोई महिला कैसे इंसाफ की उम्मीद कर सकती है। शायद इसलिए वे शिकायत करने भी आगे नहीं आतीं। जबकि सरकार के नए कानुन के अनुसार यौन शोषण की शिकायत करने वाली महिला को 90 दिन की paid leaves दी जाएगी।
Source- Indian National Bar Association
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