भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां नए कानून बनाने और मौजूदा कानूनों में संशोधन करने की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया होती है। भारतीय संसद इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। किसी भी विधेयक (बिल) को एक्ट यानी कानून बनने के लिए संसद में कई चरणों से गुजरना पड़ता है।
इन दिनों वक्फ संशोधन विधेयक 2024 एक महत्वपूर्ण विधेयक है, जिसका उद्देश्य भारत में वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और प्रशासन को सुनिश्चित करना है। इस लेख में हम सरल भाषा में समझेंगे कि भारतीय संसद में किसी भी विधेयक को अधिनियम (एक्ट) बनने की पूरी प्रक्रिया क्या होती है।
भारतीय संसद में विधेयक पारित होने की प्रक्रिया
किसी भी विधेयक को कानून बनने के लिए भारतीय संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) से मंजूरी लेनी होती है और अंत में राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त करनी होती है। इस प्रक्रिया के मुख्य चरण निम्नलिखित हैं:
विधेयक (बिल) का मसौदा तैयार करना
किसी भी विधेयक को संसद में पेश करने से पहले सरकार द्वारा उसका प्रारूप (ड्राफ्ट) तैयार किया जाता है।
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का मसौदा अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा तैयार किया जाता है और फिर इसे विधि मंत्रालय (Law Ministry) द्वारा कानूनी जांच के लिए भेजा जाता है।
यह सुनिश्चित किया जाता है कि विधेयक भारत के संविधान और मौजूदा कानूनों के अनुरूप हो।
केंद्रीय मंत्रिमंडल की स्वीकृति
जब विधेयक का मसौदा तैयार हो जाता है, तो इसे प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) के सामने रखा जाता है।कैबिनेट में इस विधेयक पर चर्चा की जाती है और आवश्यक सुधार सुझाए जाते हैं। यदि केंद्रीय मंत्रिमंडल मंजूरी दे देता है, तो विधेयक को संसद में पेश करने की अनुमति मिल जाती है।
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लोकसभा में विधेयक का प्रस्तुतिकरण
लोकसभा में किसी भी बिल को पेश करने का तरीका कुछ इस प्रकार है-
- केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री विधेयक को लोकसभा में पेश करते हैं।
- विधेयक को संसद में प्रस्तुत किया जाता है और इसके उद्देश्यों व आवश्यकताओं की जानकारी दी जाती है।
- लोकसभा के सदस्य इस पर चर्चा करते हैं और तय करते हैं कि इसे आगे बढ़ाया जाए या नहीं।
- यदि विधेयक जटिल हो या विस्तृत समीक्षा की जरूरत हो, तो इसे संसदीय स्थायी समिति (Standing Committee) को भेजा जा सकता है।
- कमिटी कानूनी विशेषज्ञों और अन्य संबंधित पक्षों से विचार-विमर्श करके अपनी सिफारिशों के साथ एक रिपोर्ट प्रस्तुत करती है।
लोकसभा में चर्चा और मतदान
संसदीय समिति की रिपोर्ट आने के बाद, विधेयक को लोकसभा में विस्तृत चर्चा के लिए लाया जाता है।
- विधेयक के प्रत्येक खंड पर चर्चा होती है।
- सांसद संशोधन (Amendments) प्रस्तावित कर सकते हैं, जिन पर बहस की जाती है और मतदान होता है।
- यह विधेयक के अंतिम रूप को पारित करने का चरण होता है।
- इस प्रक्रिया में संपूर्ण विधेयक पर मतदान (Voting) होता है।
- यदि साधारण बहुमत (Simple Majority) से विधेयक पारित हो जाता है, तो इसे राज्यसभा में भेज दिया जाता है।
लोकसभा में बहुमत का गणित
लोकसभा की कुल सीटें: 543
बहुमत के लिए जरूरी संख्या: 272 सांसदों का समर्थन
राज्यसभा में विधेयक की प्रक्रिया
राज्यसभा में विधेयक ठीक उसी प्रक्रिया से गुजरता है, जैसे लोकसभा में:
- विधेयक को राज्यसभा में पेश किया जाता है और उसकी रूपरेखा समझाई जाती है।
- विधेयक के विभिन्न प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा की जाती है।
- यदि राज्यसभा के सदस्य कोई बदलाव चाहते हैं, तो वे संशोधन प्रस्तावित कर सकते हैं।
- विधेयक के अंतिम रूप पर मतदान होता है।
- यदि राज्यसभा इसे बिना किसी संशोधन के पारित कर देती है, तो यह सीधे राष्ट्रपति के पास भेज दिया जाता है।
- यदि संशोधन किए जाते हैं, तो विधेयक पुनः लोकसभा में भेजा जाता है।
राज्यसभा में बहुमत का गणित
राज्यसभा की कुल सीटें: 245
वर्तमान में खाली सीटें: 9
मौजूदा सांसदों की संख्या: 236
बहुमत के लिए जरूरी संख्या: 119 सांसदों का समर्थन
राष्ट्रपति की स्वीकृति (President’s Approval)
जब विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारित हो जाता है, तो इसे भारत के राष्ट्रपति के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाता है। राष्ट्रपति के पास तीन विकल्प होते हैं:
- राष्ट्रपति यदि विधेयक को मंजूरी दे देते हैं, तो यह कानून (Act) बन जाता है।
- यदि राष्ट्रपति को विधेयक पर कोई आपत्ति होती है, तो वे इसे पुनर्विचार के लिए संसद को लौटा सकते हैं।
- यदि संसद इसे बिना किसी बदलाव के फिर से पारित कर देती है, तो राष्ट्रपति को इसे मंजूरी देनी होती है।
- राष्ट्रपति अगर विधेयक को स्वीकार करने से इनकार कर देते हैं, तो यह प्रभावी रूप से रद्द हो सकता है।
विधेयक के कानून बनने की प्रक्रिया (Enforcement of Law)
जब राष्ट्रपति विधेयक को मंजूरी दे देते हैं, तो यह कानून (Act) बन जाता है।इसके बाद इसे भारत के राजपत्र (Gazette of India) में अधिसूचित किया जाता है।अधिसूचना के बाद, संबंधित मंत्रालय और सरकारी एजेंसियां नए कानून को लागू करने के लिए आवश्यक नियम और दिशानिर्देश तैयार करती हैं।
FAQ: How Does a Bill Become an Act in the Indian Parliament?
प्रश्न- अगर संसद में कोई बिल फेल हो जाता है, तो क्या होता है?
अगर कोई बिल किसी सदन में रिजेक्ट कर दिया जाता है, तो वह एक्ट नहीं बनता। असहमति की स्थिति में राष्ट्रपति बिल पर वोटिंग के लिए दोनों सदनों का ज्वाइंट सेशन बुलाते हैं।
प्रश्न- वक्फ क्या होता है?
वक्फ एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ अल्लाह के नाम पर किसी संपत्ति का धार्मिक और समाज कल्याण के लिए दान करना है।
प्रश्न- पहली बार वक्फ अधिनियम कब लागू हुआ था?
पहली बार वक्फ अधिनियम 1954 में लागू हुआ था। कई संशोधन के बाद इसे दुबारा 1955 में लागू किया गया। फिर, 2013 में इसमें संशोधन किया गया था और साल 2024 में नया प्रस्तावित बिल लोकसभा में पेश किया गया था।
प्रश्न- लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पास होने के बाद कहां जाता है?
लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पास होने के बाद, यह राज्यसभा में भेजा जाता है। अगर राज्यसभा में भी यह बिल पास हो जाता है, तो इसे राष्ट्रपति के अप्रूवल के लिए भेजा जाता है।
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