मेंटल हेल्थ वो टॉपिक है जिसे लेकर अधिकतर लोग चुप्पी साध लेते हैं। शारीरिक स्वास्थ्य खराब हो तो आपकी केयर की जाती है, लेकिन अगर मेंटल हेल्थ खराब हो तो उसके बारे में कोई बात नहीं करता और दया का पात्र मान लिया जाता है। मानसिक स्वास्थ्य को लेकर भारत जैसे देश में बहुत ही कम जागरुकता है और उसका असर ये होता है कि अगर किसी को जरूरत है तब भी उसे मदद नहीं मिलती। लोग मानसिक स्वास्थ्य को जज करने लगते हैं और ऐसे में लोग और अकेला महसूस करने लगते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य की बात करें तो सबसे मुश्किल होता है अपने करीबियों को इसके बारे में बताना। कई बार हमें खुद में ही ये लगने लगता है कि हम गलत हैं और अगर इसके बारे में सबको बताया जाएगा तो लोग हमें जज करेंगे। ऐसे समय में परिवार का साथ बहुत जरूरी होता है और ये भी जरूरी है कि आप अपनी मेंटल हेल्थ के बारे में अपनों से बात करें। अगर आप इसे लेकर स्ट्रगल कर रही हैं तो चलिए हम आपको बताते हैं कि परिवार से इसके बारे में बात करने की शुरुआत कैसे की जाए?
सबसे पहली स्टेप यही होगी कि आप अपना मन बनाएं इसे लेकर। आपको खुद से ये वादा करना होगा कि आप अपनी परेशानी के बारे में अपने परिवार से बात करेंगीं। कई बार ऐसा हो सकता है कि आप बात करने जाएं, लेकिन उसके बाद भी आप कुछ बोल ना पाएं।
एंग्जाइटी और स्ट्रेस आपको परेशान कर दे। पर आपको परिवार वालों से बात करने के लिए मन जरूर बनाना है। हो सकता है ये एक बार में ना हो पाए, लेकिन आपको धीरे-धीरे ये जरूर समझ आ जाएगा।
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परिवार वाले अपने बच्चों को परेशान होते नहीं देख सकते हैं और इसलिए आप अपनी परेशानी के बारे में डिस्कस करें। आपको अपनी तकलीफ बतानी है और ये समझाना है कि आप कितने समय से परेशानी झेल रही हैं। इसके लिए बहुत हिम्मत लगती है क्योंकि हम डरते हैं कि घर से किस तरह का रिएक्शन आएगा।
घर वालों को इस बात का मौका दें कि वो शॉक एब्जॉर्ब कर सकें। जरूरी नहीं है कि आपके घर वाले बिल्कुल वैसा ही रिएक्शन देंगे जैसा आपने सोचा होगा, लेकिन फिर भी आपको थोड़ा सा समय देना चाहिए उन्हें। आपको ये समझना होगा कि उन्हें ये जानकर अच्छा नहीं लगा है और उनका रिएक्शन शॉक वेव की तरह है।
कई लोग इसी शॉक रिएक्शन से डरते हैं, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि आप इससे डर ही जाएं। अपनी बात रखने की कोशिश करें।
आपको ऐसी लोकेशन चुननी चाहिए जो कंफर्टेबल हो क्योंकि ऐसी बात करते समय हो सकता है कि आपको रोना आ जाए या फिर आपके घर वालों को रोना आए। अगर आप ये सोचने लगेंगी कि आस पास वाले लोग किस तरह से रिएक्ट करेंगे तो आप खुलकर अपनी बात नहीं रख पाएंगी। इसलिए हमेशा कंफर्टेबल लोकेशन ही चुनें। (परिवार के साथ रिश्ते मजबूत कैसे बनाएं)
ये जरूरी नहीं है कि आप सब कुछ एक बार में ही बता दें। आपको अपनी स्पेस का ध्यान रखना चाहिए। बात शुरू करने से पहले ये तय कर लें कि आप कितना शेयर करना चाहती हैं और किस तरह से शेयर करना चाहती हैं। जरूरी नहीं कि जो आप फील कर रही हैं वो सब समझेंगे ही।
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जब आप अपने परिवार वालों और दोस्तों को अपनी मेंटल हेल्थ के बारे में बताने जा रही हैं तो ये भी तय कर लें कि आपकी बाउंड्रीज क्या हैं। आपको कितनी बातों को बोलना सही लगता है और किन बातों पर आपको किसी की दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं होती है। आपकी पर्सनल लेवल पर अपनी बाउंड्रीज खुद ही सेट करनी हैं और इसलिए ये जरूरी है कि आप ये तय करें कि आप खुश कैसे रहेंगीं।
दुनिया से लड़ना एक बार फिर भी आसान होता है, लेकिन खुद से लड़ना काफी मुश्किल होता है। मानसिक स्वास्थ्य को किसी भी तरह से नजरअंदाज ना करें। अगर आपको किसी एक्सपर्ट की मदद लेने की जरूरत महसूस हो रही है तो वो भी लें। मेंटल हेल्थ को लेकर आपके क्या ख्याल हैं इसके बारे में हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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