भूस्खलन एक प्राकृतिक आपदा है, जो अक्सर अचानक होती है और जान-माल का भारी नुकसान करती है। ऐसे में इससे बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतना बेहद जरूरी है। बारिश के मौसम में भूस्खलन का खतरा अधिक होता है। इसलिए, इस मौसम में खड़ी ढलानों वाले इलाकों से दूर रहें। आइए जानते हैं एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
भूस्खलन किसे कहते है?
भूस्खलन, ढलान से नीचे की ओर चट्टान, मिट्टी या मलबे जैसी सामग्री का एक बड़ा हिस्सा होता है, जो अचानक या धीरे-धीरे नीचे खिसकता है। यह एक भूवैज्ञानिक (Geologist) घटना है और ग्रेविटी के डायरेक्ट इफेक्ट से मिट्टी और चट्टान के किसी भी ढलान वाले मूवमेंट को दर्शाता है।
हाल ही में वायनाड में 30 जुलाई 2024 को भारी बारिश के कारण भूस्खलन हुआ था, जिसमें लगभग 224 लोग मारे गए और 195 घायल हो गए। वहीं, हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ ने आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। ऊना जिला सबसे ज्यादा प्रभावित रहा, जहां घरों में पानी घुस गया है और सड़कें पूरी तरह से डूब गई हैं। ऊना जिले के हरोली तहसील के बाथू बाथरी गांव में अचानक आई बाढ़ के कारण तीन लोगों की मौत हो गई है और एक व्यक्ति लापता है।
आपदा जोखिम न्यूनीकरण विशेषज्ञ, मो. शाकिब खान कहते हैं कि अक्सर ऐसा होता है कि लोग जोखिम के समय अपने सामान सुरक्षित करने में जुट जाते हैं, जबकि ऐसी स्थिति में आपको अपनी जान की सुरक्षा करना ज्यादा जरूरी होता है। अगर भूस्खलन की संभावना बढ़ रही हो, तो तुरंत निकासी योजना बनाएं। घर या इलाके को समय रहते खाली करने की व्यवस्था करें और सुरक्षित स्थान पर जाएं।
भूस्खलन कई तरह की घटनाओं से ट्रिगर हो सकता है, जैसे
- नदियों, ग्लेशियरों या समुद्री लहरों से जुड़े कटाव से ढलानों का बेहिसाब गहरा होना
- भारी बर्फ पिघलना जो मिट्टी और चट्टान को भिगो देता है
- भूकंप जो कमजोर ढलानों के टूटने का कारण बनते हैं
- भारी वर्षा और बाढ़
- मानव गतिविधियां, जैसे कि पेड़ों और वनस्पति के हटाने, सड़क किनारे खड़ी चट्टान के काटने या पानी के पाइपों में रिसाव

भूस्खलन के दौरान क्या करें?
- भूस्खलन के दौरान सबसे पहले तो घबराएं नहीं और शांत रहें।
- अगर आप भूस्खलन के क्षेत्र में हैं, तो तुरंत ऊंची जगह पर चले जाएं।
- भूस्खलन के दौरान खिड़कियों और दरवाजों को बंद कर दें।
- भूस्खलन के दौरान बिजली और गैस को बंद कर दें।
- अगर आप घर के अंदर हैं, तो किसी मजबूत मेज या बिस्तर के नीचे शरण लें।
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भूस्खलन के बाद क्या करें?
- भूस्खलन के बाद अपने क्षेत्र को सुरक्षित बनाने के लिए नजदीकी प्रशासन के साथ मिलकर काम करें।
- भूस्खलन से हुए नुकसान का आकलन करें और मदद के लिए नजदीकी प्रशासन से संपर्क करें।
- भूस्खलन के बाद सुरक्षा के नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है।
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भारत सरकार के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के मुताबिक, भूस्खलन से बचने के लिए, आप ये उपाय कर सकते हैं।
भूस्खलन से बचने के लिए अपनाएं ये उपाय
- नालों को साफ रखें और उनमें कूड़ा-करकट, पत्ते, प्लास्टिक की थैलियां, मलबा वगैरह न जमा होने दें।
- अपने घरों और इमारतों को भूकंप रोधी बनाएं ताकि वे भूस्खलन के झटकों को सह सकें।
- तूफानी पानी को ढलानों वाली चट्टानों की सतह से दूर रखें।
- रिसाव वाले छेदों को खुला रखें।
- पानी को बर्बाद न होने दें या अपने घर के ऊपर इकट्ठा कर लें।
- अगर आपका घर पहाड़ी पर है, तो कटाव को रोकने के लिए जमीन को ढकने वाले पौधे लगाएं और मलबे को रोकने के लिए रिटेनिंग दीवारें बनाएं।
- कीचड़ बहने वाले इलाकों में, इमारतों के चारों ओर प्रवाह को दिशा देने के लिए चैनल या डिफ्लेक्शन वॉल बनाएं।
- भूस्खलन के खातिर ज्यादा संवेदनशील इलाकों की पहचान करने के लिए Hazard Mapping करें।
- जोखिम वाले इलाकों में निर्माण पर रोक लगाएं।
- ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ लगाएं जिनकी जड़ें मिट्टी को पकड़ सकें।
- चट्टानों के गिरने और इमारतों के धंसने वाले इलाकों की पहचान करें।
- भूस्खलन का संकेत देने वाली दरारों पर ध्यान दें।
- नदी का गंदा पानी भी ऊपर की ओर भूस्खलन का संकेत देता है।
- ऐसे संकेतों पर ध्यान दें और नजदीकी तहसील या जिला मुख्यालय से संपर्क करें।
- भूस्खलन जैसी किसी भी इमरजेंसी सिचुएशन के लिए इमरजेंसी किट तैयार रखें, जिसमें खाने-पीने की चीजें, पानी, दवाइयां, टॉर्च, रेडियो और दूसरी जरूरी चीजें शामिल हों।
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Image Credit- freepik/Mehr News Agency
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