नवरात्रि पूजन हिन्दू धर्म के प्रमुख त्यौहारों एवं व्रतों में से एक माना जाता है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के नौ दिनों तक भक्तों द्वारा कठिन व्रत का पालन भी किया जाता है। इसके अलावा, नवरात्रि के व्रत से जुड़े ऐसे कई नियम भी हैं जिनका ध्यान रखते हुए पूजा-पाठ आदि किया जाता है ताकि पूजा का पूर्ण फल प्राप्त हो सके और माता रानी की कृपा भी मिल जाए। वहीं, अक्सर कुछ परिस्थितियों के कारण नवरात्रि की पूजा को पूर्ण कर पाना संभव नहीं हो पाता है और परिणाम स्वरूप व्रत एवं आराधना को बीच में ही छोड़ना पड़ता है।
इन्हीं परिस्थितियों में से एक है पीरियड्स यानी कि मासिक धर्म। नवरात्रि के शुरू होने से पहले या फिर नवरात्रि के दौरान ही अगर पीरियड्स आ जाएं तो ज्यादातर महिलाओं के पास यही विकल्प होता है कि पूजा को मध्य में ही छोड़ दें, लेकिन ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि नवरात्रि के दौरान पीरियड्स शुरू हो जाने पर भी आप कैसे पूजा पूर्ण कर सकती हैं।
पीरियड्स में कैसे करें नवरात्रि पूजा?
शास्त्रों में बताया गया है कि पीरियड्स कोई बीमारी नहीं है जिसके चलते किसी भी महिला को पूजा-पाठ छोड़ना पड़े। पहले के समय में पीरियड्स के दौरान महिलाओं को पूजा-पाठ करने के लिए इसलिए मना किया जाता था ताकि उन्हें इस अवस्था के समय जो पीड़ा होती है, उस पीड़ा में आराम करने का मौका मिल सके। हालांकि, बाद में पीरियड्स को एक अछूत जैसी सोच बनाकर आगे बढ़ाया गया और आज भी कई घरों में अब भी यही सोच चल रही है।
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बहराल, नवरात्रि के दौरान पीरियड्स में पूजा करने की पद्धति की बात करें तो आपको एक तांबे की प्लेट या परात लेनी है, थोड़ी सी मिट्टी लेनी है, दूध लेना है, हल्दी लेनी है और कुमकुम लेना। अब तांबे के बर्तन में मिट्टी और दूध मिलाकर मां दुर्गा की प्रतिमा बनानी है। अगर प्रतिमा न बने तो माता की पिंडी भी बना सकते हैं। इसके बाद, माता की पिंडी पर हल्दी और कुमकुम अर्पित करना है। इससे मां दुर्गा का उस प्रतिमा या पिंडी में वास स्थापित हो जाएगा।
इसके बाद, मां की प्रतिमा के सामने खीर, हलवे, पूरी, चने, फल आदि का भोग लगाना है और मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करना है। इसके अलावा, दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करना भी श्रेष्ठ रहेगा। अगर आप बुरी नजर या नकारात्मक ऊर्जा से परेशान हैं तो उसके लिए दुर्गा कवच का पाठ भी कर सकते हैं। इससे बुरी नजर दूर हो जाएगी। इसके बाद, आखिर में घी का दीपक जलाकर मां की आरती करनी है और प्रसाद को परिवार में वितरित करना है।
आप नवरात्रि के पहले दिन बस मां की मिट्टी प्रतिमा बनाएं और नौ दिनों तक उस प्रतिमा की आराधना करें। इसके बाद जब नवरात्रि का समापन हो जाए तो हवन करने के पश्चात गंगाजल या दूध से मिट्टी की प्रतिमा को पूरी तरह से घोल लें और फिर उस घोल को पीपल के पेड़ में अर्पित करें। इससे आपको नवरात्रि की पूजा पीरियड्स में छोड़नी भी नहीं पड़ेगी और पूजा का पूर्ण फल भी मिलेगा। मिट्टी की प्रतिमा नहीं बने तो धातु प्रतिमा की भी पूजा कर सकते हैं।
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image credit: herzindagi, meta ai
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