हिंदू धर्म में नवरात्रि एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो देवी दुर्गा की आराधना के लिए समर्पित है। यूं तो भारत में वर्ष भर में चार बार नवरात्रि का पर्व आता है, लेकिन धार्मिक नगरी उज्जैन में यह उत्सव पांच बार मनाया जाता है। इसका कारण है विश्व प्रसिद्ध महाकाल ज्योतिर्लिंग, जो भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर स्थित है। यहां हर 12 वर्ष में कुंभ मेले का भी आयोजन होता है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का एक विशेष महत्व है। महाकाल के बारे में कहा जाता है कि यह पृथ्वी का एकमात्र मान्य शिवलिंग है।
यह दक्षिणमुखी होने के कारण इसकी मान्यता और भी बढ़ जाती है। यहां महाशिवरात्रि नहीं, बल्कि शिव नवरात्रि मनाई जाती है, जो एक अनूठी परंपरा है। आपको बता दें, उज्जैन में महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि से पहले शिव नवरात्रि का उत्सव मनाया जाता है। यह नौ दिनों तक चलने वाला एक विशेष उत्सव है, जिसमें भगवान महाकाल का विभिन्न रूपों में श्रृंगार किया जाता है। इन नौ दिनों में भगवान महाकाल को उमा महेश, घटाटोप, चंदन श्रृंगार, मन महेश, शिव तांडव, छबीना आदि रूपों में सजाया जाता है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
महाकाल होते हैं दुल्हे के रूप में तैयार
महाकाल की नगरी उज्जयिनी में महाशिवरात्रि का उत्सव उसी तरह मनाया जाता है जैसे किसी परिवार में शादी-विवाह का उत्सव मनाया जाता है। यह एक बहुत पुरानी परंपरा है। उज्जयिनी को अवंतिका क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है और इसका धार्मिक महत्व भी है। यही कारण है कि इसे धार्मिक नगरी भी कहा जाता है। महाशिवरात्रि के नौ दिनों तक महाकाल अपने भक्तों को अलग-अलग रूपों में दर्शन देते हैं और अंतिम दिन बाबा का सेहरा सजाकर उन्हें दूल्हा बनाया जाता है। इस दिन महाकाल के दर्शन का विशेष महत्व माना जाता है।
हर सिद्धि माता के मंदिर में मनाई जाती है शिवनवरात्रि
अवंतिका नगरी, जिसे उज्जैन के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन और ऐतिहासिक शहर है। इस नगरी में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिनमें से एक माता हरसिद्धि का मंदिर है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाता है। माता हरसिद्धि का मंदिर शक्तिपीठ होने के कारण विशेष रूप से पूजनीय है। मान्यता है कि यहां पर देवी सती की कोहनी गिरी थी। इसलिए, इस स्थान को शक्तिपीठ के रूप में मान्यता प्राप्त है। इसके अलावा, अवंतिका नगरी में शिव और शक्ति दोनों का स्थान होने के कारण भी इसका महत्व बढ़ जाता है। आपको बता दें, अवंतिका नगरी में नवरात्रि और शिवरात्रि दोनों ही पर्व बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं। यहाँ पर माता हरसिद्धि के मंदिर में नवरात्रि के दौरान विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इसके साथ ही, यहाँ शिवनवरात्रि का भी विशेष महत्व है।
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उज्जैन में मनाई जाती है शिवनवरात्रि
उज्जैन में महाकाल मंदिर में शिवरात्रि तो मनाई जाती है, लेकिन यहां नौ दिन की शिवनवरात्रि मनाने की भी परंपरा है। यह परंपरा पूरे देश में केवल उज्जैन में ही मनाई जाती है। शिवनवरात्रि के दौरान भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है और विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस प्रकार, अवंतिका नगरी में माता हरसिद्धि के मंदिर का विशेष महत्व है और यहाँ नवरात्रि और शिवरात्रि के पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त इन 9 दिनों में महाकाल के दर्शन और पूजन के लिए आते हैं, उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जो लोग शिवरात्रि का व्रत रखते हैं या विशेष पूजन करते हैं, उन्हें शिवनवरात्रि में महाकाल के दर्शन का उतना ही आशीर्वाद मिलता है जितना शिवरात्रि के दिन। इसलिए यहां शिवनवरात्रि मनाई जाती है।
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Image Credit- HerZindagi
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