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Why do I feel no connection to my father

पिता ने आखिरी सांस तक सिखाया जिंदगी जीने का जज्बा, कुछ ऐसी थी मेरी और पापा की बॉन्डिंग

अक्सर ऐसा कहा जाता है बेटी ज्यादातर मां के करीब होती है। लेकिन मेरी जिंदगी में मेरे मां की जगह पिता ने ले रखी थी। मैंने पापा के साथ फादर्स डे से लेकर भाई दूज सारे फेस्टिवल सेलिब्रेट किया करती थी। लेकिन मेरी जिदंगी में उस पल सब कुछ बदल गया,जब मेरे पिता ने मेरी गोद में दम तोड़ा था।  
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Editorial
Updated:- 2024-12-12, 13:55 IST

'हीरो तो कोई भी बन सकता है। लेकिन अपनी खुशियों को दान करके, पिता जैसा भगवान कोई नहीं।' ऐसा ही रिश्ता हर पिता और पुत्री को होता है। कुछ ऐसा था, है मेरा और पापा का रिश्ता। लोग कहते है कि इंसान के जाने के बाद उनकी यादें हमारे जीने की वजह होते हैं। यह बात मेरी जिंदगी के लक्ष्मण रेखा की तरह है, पापा के इस दुनिया से जाने के बाद भी वह मेरी आज भी हर एक सिचुवेशन मेरी हेल्प करते हैं। मेरे घर में मम्मी, पापा और मैं ही हैं। पापा मेरे भाई, दोस्त, टीचर और गाइड सब कुछ थे वो। कहने को लकड़ियां हमेशा मां के ज्यादा करीब होती है, क्योंकि उनका उनसे 9 महीने से ज्यादा का रिश्ता होता है। लेकिन मेरे साथ इसका बिल्कुल ही उल्टा था। मैं पापा को हर एक बात को बिना सोचे-समझें बता दिया करती थी, जो मुझे मम्मी से बताने में डर लगता था। पापा के साथ मैंने फादर्स डे से लेकर भाई-दूज हर एक फेस्टिवल सेलिब्रेट किया। मुझे कभी भी किसी चौथे पर्सन की जरूरत ही नहीं पड़ी। हम तीन ही एक-दूसरे के लिए काफी थे। लेकिन ये सुंदर सी दुनिया उस वक्त टूटी जब पापा ने मेरे हाथ में मां का ख्याल रखने की जिम्मेदारी सौंपी और कहा भइया ख्याल रखना और हमेशा के लिए सो गएं।

पिता ने दी मां की जिम्मेदारी

Manya Struggle story

पिता जब हॉस्पिटल में एडमिट थे उस दौरान उन्होंने बोला की भइया मम्मी का ख्याल रखना क्योंकि उन्हें बीपी की दिक्कत है। मैंने उन्हें बोला पापा आप ठीक हों जाएंगे ऐसा नहीं बोलिए। उस पर पापा ने बोला कि बाबा जो भी करेंगे सब अच्छा ही करेंगे। मुझे आज भी मेरे पापा की हर एक छोटी और बड़ी बात याद है। वो पल हमारे लिए बहुत ही कठिन रहा, जब पापा ने बोला भइया परेशान नहीं होना। जिंदगी में सुख और दुख आता जाता रहता है। दिल खोलकर जीना सीखों क्योंकि इंसान को एक दिन तो मरना ही है। 

बेटी ने प्रवाहित पिता की अस्थियां

Manya Life Journey 

हिंदू धर्म में दाह संस्कार और अस्थि विसर्जन का काम घर के बेटे करते हैं। लेकिन मेरे पिता ने कभी भी मुझे लकड़ी समझा ही नहीं मैं उनके लिए घर का घर का छोटा और बड़ा बेटा थी। वह हमेशा मुझे भइया कहकर बुलाते थे। अस्पताल में जब पापा अपनी आखिरी सांस ले रहे हैं, तो उन्होंने भइया कहकर बुलाया, तो वहां पर मौजूद डॉक्टर को लगा कि वह अपने भाई को बुला रहे हैं। लेकिन जब वह उनके पास गए हैं, तो उन्होंने हाथ हिलाते हुए मना करके मेरी ओर इशारा किया।  इलाहाबाद संगम जाकर पिता का पिंडदान कर उनकी अस्थियों को प्रवाहित किया। 

पिता आज भी संभालते हैं मुझे

इंसान के जीवन में हर पल सुख और दुख आते हैं। वैसे ही मेरी जिंदगी में भी होता है। लेकिन जब मैं कमजोर पड़ती हूं, तो मेरे पापा मेरा हाथ थाम आज भी समझाते हैं कि भइया तू बहुत स्ट्रांग हैं। उससे मुझे हर सिचुएशन में लड़ने की ताकत मिलती है। पापा के जाने के बाद बहुत सारे अप्स एंड डाउन्स आएं, तो वहीं फाइनेंशियल क्राइसिस को भी फेस करना पड़ा। साथ ही पापा का  बिजनेस भी उनके फ्रेंड ने अपने नाम करा लिया। मैं इस बात को भी फेस कर लूंगी क्योंकि पापा कहते थे कि बाबा जो भी करते हैं अच्छे के लिए करते हैं।

Manya Singh Qoutes

पिता के साथ कैसे बनाएं अच्छा

माता पिता आपकी जिंदगी के वो हिस्सा हैं, जिनके होने पर किसी की जरूरत नहीं होती है। हम अपने पिता या माता को छोड़कर बाहर की दुनिया को अपना बनाते हैं। लेकिन अगर आप चाहें तो अपने पिता के साथ दोस्त से लेकर गुरु सभी का रिश्ता बना सकती हैं। इसके लिए केवल आपको पापा की बात को समझना और अपनी बात को समझाना है क्योंकि पिता हमेशा बच्चों की खुशी में खुश होते हैं।

Image Credit- Manya Singh

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