दुनिया का सबसे महंगा मसाला केसर यानी Saffron को माना जाता है, जिसे मसालों का राजा भी कहा जाता है। भारत में केसर का उत्पादन जम्मू-कश्मीर और हिमाचल के कुछ हिस्सों में किया जाता है। भारतीय बाजार में 1 किलो केसर की कीमत 1.5 लाख से 3.5 लाख रुपये होती है। अगर आप कम इन्वेस्टमेंट में ज्यादा इनकम की चाह रखते हैं, तो आप घर पर केसर की खेती कर सकते हैं। आपको बता दें कि केसर की खेती कश्मीर में व्यापक रूप से इसलिए की जाती है, क्योंकि वहां का तापमान और जलवायु इसके अनुकूल है। वहीं बात आती है कि अगर आप गर्म जलवायु वाले क्षेत्र में रहते हैं, तो केसर की खेती कैसे की जा कती है?
आज हम आपको इस आर्टिकल में सही तकनीक और कुछ सावधानियों के साथ गर्म जलवायु में भी केसर की खेती करने का तरीका बताने जा रहे हैं।
गर्मी के मौसम में केसर उगाने के लिए एक नियंत्रित वातावरण की जरूरत होती है। आपको तापमान और नमी को कंट्रोल करने के लिए ग्रीनहाउस या पॉलीहाउस का इस्तेमाल करना होता है। केसर के पौधे को ज्यादा धूप की जरूरत नहीं होती है, इसलिए उसे छायादार स्थान पर उगाना होता है। अगर आप बिना मिट्टी के खेती करना चाहते हैं, तो एरोपोनिक्स तकनीक का इस्तेमाल करके केसर की खेती करना शुरू कर सकते हैं।
गर्मियों में केसर की खेती के लिए एरोपोनिक्स टेक्नीक है, जिसकी मदद से आप मिट्टी रहित केसर की खेती कर सकते हैं। इसमें, केसर के पौधों की जड़ों को हवा में लटकाया जाता है और न्यूट्रिएंट-रिच वाटर का छिड़काव किया जाता है। यह मैथड बेहतर ऑक्सीजन प्रदान करता है और इससे पानी का इस्तेमाल कम होता है।
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एरोपोनिक्स टेक्नीक में, केसर की खेती करने के लिए Saffron Bulbs खरीदना ज्यादा फायदेमंद रहता है। आपको यह बल्ब 600 से 800 रुपये प्रति किलोग्राम मिल सकते हैं। वहीं, बीमारी को रोकने के लिए बल्ब को नीम के तेल और पानी के घोल में डुबाकर रखना होता है। रोपण से पहले उन्हें ठंडी, सूखी जगह (लगभग 15 डिग्री सेल्सियस) में स्टोर करना होता है।
इन केसर बल्बों को अंकुरित करने के लिए ट्रे पर रखना होता है। लकड़ी की ट्रे के बजाय प्लास्टिक की ट्रे का इस्तेमाल करना होता है। इससे फफूंद लगने का खतरा कम होता है।
बिना मिट्टी के केसर को अंकुरित करने के लिए आपको उचित जलवायु की जरूरत होती है और इसके लिए आपको कमरे के तापमान को नियंत्रित रखना होता है।
आमतौर पर, केसर की बुवाई से लेकर फूल आने तक अलग-अलग तापमान और नमी की जरूरत होती है। कमरे में आपको 60 से 70 प्रतिशत के बीच नमी बनाए रखनी होती है।
कमरे में किसी को जाने नहीं दें और जब जरूरत हो, तो मास्क पहनकर और सैनिटाइजर लगाकर अंदर जाएं। ऐसा करने से केसर में फंगस लगाने के मामले कम हो जाते हैं।
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केसर कम पोषक तत्व वाली फसल होती है, इसलिए छिड़काव वाला घोल हल्का होना चाहिए। आपको घोल बनाने के लिए नाइट्रोजन 10-15 पीपीएम, फॉस्फोरस 20-30 पीपीएम और पोटैशियम 40-50 पीपीएम मात्रा में रखना चाहिए। केसर की खेती के लिए pH स्तर 6.0–6.5 बनाए रखना जरूरी होता है। हर 2 हफ्ते में न्यूट्रीएंट सॉल्यूशन को बदलना भी जरूरी होता है।
1 से 3 हफ्ते के बीच बल्ब की छोटी जड़ें विकसित होने लगती हैं। आपको सुनिश्चित करना होता है कि धुंध लगातार बनी रहे, लेकिन नमी ज्यादा न हो। 4-8 हफ्तों के बीच हरे अंकुर निकलने लगते हैं और जड़े फैलने लगती हैं। मोल्ड को रोकने के लिए सिस्टम को ठंडा और हवादार रखना होता। अक्टूबर-नवंबर में आपको फूल दिखाई देने लगते हैं। फूल से स्टिग्मा स्टिक यानी लाल-पीले धागे निकालने होते हैं। आपको हर फूल से तीन धागे मिल सकते हैं। उन्हें आपको एक साफ कपड़े में रखना होता है और पंखे के नीचे सुखाना होता है।
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