कई सारे पंडित आपकी राशि और ग्रहों के अनुसार मोती पहनने की सलाह देते हैं। मोती धारण करने के कितने लाभ होते हैं, ये सभी बताते हैं। मगर मोती असली न हुआ तो आपको कैसे फायदा पहुंचाएगा? दरअसल, इस कीमती रत्न की खोज के बाद, लोगों ने मशीनों के जरिए मोती बनाना शुरू कर दिया है। इसी वजह से असली और नकली की पहचान कर पाना मुश्किल हो जाता है।
असली और नकली में फर्क समझने से पहले जरूरी है कि आप इन दोनों के मूल अंतर को भी पहचान लें। आइए जानें असली और नकली मोती में कैसे करें फर्क?
एक असली मोती ताजे या फिर खारे पानी में पाए जाने वाले ओएस्टर्स में बनता है। एक ऑर्गेनिक जेम बिल्कुल प्राकृतिक होता है और उसमें किसी भी तरह का मानवीय हस्तक्षेप नहीं होता। ऐसे मोती बहुत दुर्लभ और कीमती होते हैं, इसलिए उन्हें आमतौर पर म्यूजियम आदि में भी रखा जाता है। अगर आप अगली बार किसी म्यूजियम में किसी के मुंह से नेचुरल पर्ल सुनें, तो समझ लें कि वे असली मोती की ही बात कर रहे हैं।
सबसे पॉपुलर नकली मोती मेजोरिका है, जो कांच से बनता है और यह इतनी परफेक्शन के साथ बनता है कि आप उसे पहचानने में गलती कर सकते हैं। नकली मोती मैन-मेड बीड्स से बनाए जाते हैं। इन्हें आमतौर पर ग्लास, प्लास्टिक, अलबेस्टर और ऐसे शेल से बनाया जाता है जो असली मोती जैसे दिखते हैं। आप कुछ मोतियों की पहचान देखकर ही कर सकती हैं, मगर कुछ को पहचानना मुश्किल होता है। आइए जानें उन्हें पहचानने के ट्रिक्स-
सबसे पहला तरीका है कि आप मोती को छूकर उसकी पहचान करें। जब आप असली मोती हाथों में लेते हैं, तो वह पहले कुछ सेकेंड्स के लिए ठंडक पहुंचाता है और फिर आपकी त्वचा की गर्माहट से गर्म होता है। वहीं प्लास्टिक वाले मोती का टेंपरेचर, रूम टेंपरेचर के समान होता है। इसी तरह ग्लास बीड्स से बने मोती पकड़कर आपको शुरुआत में ठंडक महसूस होगी, मगर वे वॉर्म अप होने में बड़ा वक्त लगाते हैं।
असली और नकली मोती का लगभग एक जैसा ट्रांसलूसेंट कलर होता है, जो मोती की ऊपरी सतह पर दिखता है। अच्छी क्वालिटी वाले मोतियों में यह चमक हमेशा रहती है। उनमें एक बहुत हल्के गुलाबी रंग की चमक भी होती है। अगर आपका मोती डल लग रहा है या उसमें डेप्थ नहीं है तो इसका मतलब वो नकली है।
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असली मोती, नकली मोती से ज्यादा भारी होता है। आप पहचान के लिए मोती को अपने हाथों में लेकर ऊपर-नीचे टॉस करके देखें। अगर मोती प्लास्टिक या कोटेड ग्लास से बना होगा, तो उसका वजन हल्का होगा। हालांकि सॉलिड ग्लास बीड्स से बने नकली मोती का वजन ज्यादा हो जाता है।
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आपने देखा होगा कि मोतियों में अक्सर एक छोटा सा छेद होता है। यह नकली और असली मोतियों में भी होता है, लेकिन असली मोती में यह ड्रिल होल बहुत छोटा होता है। अगर आप मैग्निफाइंग ग्लास से अपने मोती को देखें और पाएं कि उसमें ड्रिल होल के आसपास कोटिंग की गई है या फिर शाइनी पेंट किया गया है, तो समझ लें कि वो नकली है। कई दफा आपको नकली मोती के आसपास फ्लेक्ड या चिप्ड कोटिंग भी नजर आएगी।
जब आप असली मोती की बारीकी से जांच करेंगे, तो आप प्रत्येक मोती की सतह पर छोटी-छोटी अनियमितताएं और लकीरें देखेंगे। अच्छी क्वालिटी वाले कल्चर्ड मोतियों के एक स्ट्रैंड में आप उनके बीच बहुत छोटे अंतर भी देख सकते हैं। अगर मोती एकदम परफेक्ट है या शेप, साइज और कलर में बिल्कुल एक समान है, तो समझ लें कि वो नकली मोती है।
इन तरीकों के जरिए अब आप आसानी से अपने असली और नकली मोती में फर्क कर सकते हैं। अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर जरूर करें। ऐसे ही टिप्स और ट्रिक्स जानने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
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