Snakes and Ladders Game History: बचपन में खेले जाने वाले कुछ गेम्स बहुत मजेदार होते हैं। सांप-सीढ़ी भी इन खेलों में से एक है। सांप से बचाते हुए 1 से 100 तक की गिनती का सफर तय करने पर जो फिलिंग मिलती थी, उसे एक्प्रेस करना बहुत मुश्किल है। आइए जानते हैं कि सांप-सीढ़ी के गेम की शुरुआत कैसे हुई थी।
सांप-सीढ़ी के गेम की शुरुआत किस देश ने की थी?
बहुत कम लोगों को पता है कि सांप-सीढ़ी गेम की शुरुआत भारत में ही हुई थी। धीरे-धीरे इस गेम ने विदेश तक अपनी पहचान बनाई। हालांकि, इस गेम को हर देश में अलग नाम से जाना जाता है।
सांप-सीढ़ी की कैसे हुई थी शुरुआत?
सांप-सीढ़ी के खेल को 13वीं शताब्दी में स्वामी ज्ञानदेव ने बनाया था। इस गेम को बनाने के पीछे का मकसद मनोरंजन नहीं, बल्कि कर्म की शिक्षा देना था। सालों पहले भारत में इस गेम को मोक्ष पटामु या मोक्षपट नाम से जाना जाता था।
सांप-सीढ़ी का खेल क्या सिखाता है?
सांप-सीढ़ी का खेल हमें अच्छे और बुरे कर्म का पाठ पढ़ाता है। इस गेम में बनीं सीढ़ी हमारे अच्छे काम और सांप बुरे कर्म को दिखाने के लिए बनाई गई है। बता दें कि समय के साथ सांप-सीढ़ी के खेल में कई बदलाव हुए हैं। एक समय पर इस खेल में सीढ़ी से ज्यादा साप की संख्या होती थी, यह दिखाता है कि अच्छाई का रास्ता हमेशा मुश्किल होता है। नैतिक मूल्य सिखाना भी इस गेम का उद्देश्य है।
सांप-सीढ़ी के गेम के कितने नाम हैं?
‘सांप-सीढ़ी’ का एक और रूपांतर है जो आंध्रप्रदेश में ‘वैकुंतापाली और परमापदा सोपनम’ और कुछ हिस्सों में ‘लीला’ के नाम से जाना जाता है। नाम चाहे जितने भी हो, हर किसी को इस गेम को खेलकर बहुत मजा आता है।
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