दिल्ली के पास सटा नोएडा दिल्ली के इतने पास होते हुए भी अलग है और अपनी गरिमा को समेटे हुए है। प्लान करके बसाया गया नोएडा और फिर ग्रेटर नोएडा शहर अपनी खामोश गलियों के बाद भी बहुत ही रौनक समेटे हुए है। नोएडा की खासियत ये है कि इस शहर की अपनी अलग पहचान है। वैसे तो लोग इसे अधिकतर राजनीति के लिए भी जानते हैं, लेकिन नोएडा इसके अलावा भी बहुत कुछ है। दिल्ली के बारे में तो बहुत कुछ कहा सुना जाता है, लेकिन क्या आपने कभी नोएडा के बारे में जाना है?
आज हम नोएडा के बनने की कहानी बता रहे हैं। नोएडा वो शहर है जिसने दिल्ली से सटे होने के बाद भी अपनी पहचान नहीं खोई। इसका इतिहास लगभग 50 साल पुराना है।
1972 से शुरू हुई थी नोएडा की कहानी
ये वो समय था जब दिल्ली की जनसंख्या बढ़ने लगी थी। इस समय दिल्ली में चिंता का विषय बन गया था कि आखिर इस बढ़ते खतरे को कम कैसे किया जाए और दिल्ली में बाहर से आने वाले लोगों को कैसे कम किया जाए। इस समय यूपी में दिल्ली के पास स्थित 50 गांवों को यमुना-हिंडन-दिल्ली बॉर्डर रेगुलेटेड एरिया घोषित कर दिया गया था। मार्च में ये घोषणा हुई और फिर दिल्ली के आस-पास के गांव धीरे-धीरे डेवलप होने लगे। ये बहुत पुरानी बात नहीं है, लेकिन तब तक नोएडा नहीं बना था। (नोएडा में घूमने की बेस्ट जगह)
इसके बाद आया इमरजेंसी का साल जो था 1975 और उस दौरान बहुत बड़े-बड़े बदलाव हुए। सियासी उठा पटक के बीच आनन फानन में यमुना-हिंडन-दिल्ली बॉर्डर रेगुलेटेड एरिया को ओखला इंडस्ट्रियल एरिया बनाया गया। ये 1976 के यूपी इंडस्ट्रियल एक्ट के तहत था। अब जब इंडस्ट्रियल एरिया बनाया गया था और वहां आस-पास के इलाकों में काम करने वाले लोग रहने लगे थे तो एक शहर और बेसिक सुविधाओं की जरूरत थी।
उस समय नोएडा (न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी) की स्थापना हुई। नोएडा अथॉरिटी शहर को बनाने की प्लानिंग कर रही थी और उसके बाद इसी के नाम पर नोएडा नाम दिया गया।
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1 साल में तैयार हुआ रोड मैप
उस दौरान बुलंदशहर के डीएम रह चुके धीरेंद्र मोहन मिश्रा को नोएडा का ब्लूप्रिंट तैयार करने को कहा गया था। इस काम में उन्हें अप्रैल 1975 से अप्रैल 1976 तक का समय लगा, लेकिन नोएडा का ब्लू प्रिंट आखिरकार तैयार हुआ। उस वक्त नोएडा अथॉरिटी के सीईओ भी डीएम धीरेंद्र मोहन मिश्रा को बनाया गया था। उस वक्त ये सरकारी शहर नहीं बल्कि एक अथॉरिटी जैसा था। जिस दिन नोएडा बनाने की घोषणा हुई उसके बाद से 36 गांवों की जमीन जब्त करने का नोटिस जारी हुआ। धीरे-धीरे शहर की शक्ल सामने आने लगी। (नोएडा के पास हिल स्टेशन)
इस शहर की प्लानिंग करते समय कई बार ऑफिस बदले गए और कई बार इस शहर की कहानी लिखी गई। दिल्ली के आस-पास के गांव एक पूरा शहर बनने लगे।
अभी भी नोएडा में डेवलपमेंट चल रहा है और आप पाएंगे कि मेन शहर के आस-पास काफी सारी जमीन ग्रामीण इलाका ही है।
नोएडा की कहानी बहुत ही सिस्टमैटिक थी और इसे प्लान करके बनाया गया था। क्या आपको इसके बारे में पता था? नोएडा के बारे में आपको सबसे अच्छा फैक्ट क्या लगा इसके बारे में हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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