Excise Duty hiked on Petrol Diesel: पेट्रोल डीजल के दामों में अक्सर बढ़त देखी जाती है। हाल ही में पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गई है। एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़त की गई है। इस बढ़त के साथ अब पेट्रोल पर 13 रुपये और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर की दर से एक्साइज ड्यूटी लगने वाली है। रिपोर्ट्स की मानें, तो पेट्रोल पर कई तरह के टैक्स वसूले जाते हैं। पेट्रोल-डीजल पर केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी टैक्स वसूलती हैं। आइए जानें, सरकार पेट्रोल-डीजल पर कितना टैक्स लेती है? पेट्रोल-डीजल की कीमत कैसे तय की जाती है?
पेट्रोल-डीजल पर कितने टैक्स जुड़ते हैं?
पेट्रोल-डीजल के दामों पर लगने वाले टैक्स को समझने के लिए पहले ये जान लें कि इंडिया में फ्यूल के प्राइज स्ट्रक्चर के 4 प्रमुख घटक हैं। इसमें केंद्र और राज्य सरकार की ओर से लगने वाला टैक्स भी शामिल होता है। कच्चे तेल के टैक्स में शामिल घटक हैं, बेस प्राइज, एक्साइज ड्यूटी, डीलर का कमीशन, वैट और चार्ज। बता दें कि देशभर में कच्चे तेल की कीमतें, डीलरों के रेट और एक्साइज ड्यूटी एक समान होते हैं, लेकिन वैट की कीमतों में सभी जगह अंतर होता है। हर राज्य में वैट की दरें अलग तय की गई हैं। वैट ही वह फैक्टर है, जिसकी वजह से देश के हर राज्य में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में फर्क नजर आता है।
सरकारें कच्चे तेल पर कितना टैक्स लेती हैं?
केंद्र और और राज्य सरकार द्वारा लगाए जाने वाले टैक्स को यदि हटा दिया जाए, तो पेट्रोल की असली कीमत करीब 55 रुपये प्रति लीटर है। इस पर दो तरह के जार्च लगते हैं, जिससे पेट्रोल की कीमत भी बढ़ जाती है। क्रूड ऑयल की असली कीमत की बात करें, तो वह करीब 40 रुपये प्रति लीटर है। इस कीमत पर तेल कंपनियां प्रोसेसिंग कॉस्ट भी जोड़ती हैं, जो तकरीबन 5.66 रुपये प्रति लीटर है। इस पर फिर बफर फॉल इंफ्लेशन भी एड किया जाता है, जो करीब 10 रुपये प्रति लीटर है। इन सभी को जोड़ने के बाद पेट्रोल की असली कीमत 55.66 रुपये प्रति लीटर बनती है।
पेट्रोल की कीमत कैसे तय की जाती है?
अब सवाल बनता है कि पेट्रोल की कीमत तय कैसे की जाती है? तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय मार्केट में होने वाले बदलावों पर निर्भर करती है। तेल की कीमत तय करने का फैक्टर समझने के लिए आप दिल्ली में पुराने दामों से इसे समझ सकते हैं। अब तक डीलर कमीशन 3.77 रुपये प्रति लीटर लग रहा था। इस पर डीलरों की देय कीमत 55.66 रुपये थी। वहीं, सेंट्रल गवर्नमेंट को 19.90 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी के तौर पर दिया जाता था और राज्य सरकार का वैट 15.39 रुपये प्रति लीटर हुआ करता था। इन सभी टैक्स फैक्टर्स को जोड़ने के बाद पेट्रोल की कीमत होती थी 94.72 रुपये प्रति लीटर।
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Image Credit: her zindagi
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