How long is the court marriage process in India| हिंदुस्तान में शादियों की तैयारी के लिए महीनों का समय भी कम पड़ जाता है। इस दौरान ना जाने कितना पैसा पानी की तरह बह जाता है। हालांकि, भारत में कोर्ट मैरिज का प्रोसेस भी बहुत ही अच्छा है जिसके तहत आसानी से शादी की जा सकती है। अगर धार्मिक रीति-रिवाज से शादी की गई है, तो भी शादी को अलग से रजिस्टर करवाने की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में कोर्ट मैरिज करना एक अच्छा ऑप्शन साबित हो सकता है।
भारत में अगर आप कोर्ट मैरिज करवाना चाहें, तो उसके लिए स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 का सहारा लेना पड़ता है। इस एक्ट के बारे में और जानकारी के लिए हमने सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट जूही अरोड़ा से बात की। जूही जी का कहना है कि स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 एक ऐसा कानून है जिसके तहत भारत का संविधान दो अलग-अलग धर्मों के लोगों को शादी करने की सुविधा देता है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि एक ही धर्म के दो लोग इस एक्ट का लाभ नहीं उठा सकते हैं। यह भारत के सभी नागरिकों के लिए एक जैसा ही है।
क्या है स्पेशल मैरिज एक्ट की एलिजिबिलिटी?
- स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत कोई भी भारतीय आवेदन दे सकता है।
- इस एक्ट के अनुसार सभी धर्म बराबर हैं और कोई भी भारतीय नागरिक इससे वंचित नहीं है।
- अगर किसी व्यक्ति के पास भारत की नागरिकता है और वो विदेश में रह रहा है, तब भी वो इस एक्ट के तहत शादी के लिए आवेदन दे सकता है।
- इस एक्ट के तहत शादी तभी रजिस्टर होगी जब दूल्हा और दुल्हन दोनों बालिग होंगे।
- दूल्हा और दुल्हन दोनों को मानसिक रूप से सक्षम होना होगा।
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भारत में अभी भी कोर्ट मैरिज करने के लिए दो अलग-अलग जेंडर के लोगों को इस एक्ट का फायदा मिल सकता है। भारत में अभी भी सेम सेक्स मैरिज लीगल नहीं है इसलिए इस एक्ट का इस्तेमाल करने के लिए सिर्फ मेल और फीमेल जेंडर्स ही आवेदन दे सकते हैं।
कितने दिनों में हो जाती है कोर्ट मैरिज?
आवेदन देने से लेकर शादी करने तक 30 दिन का समय लग सकता है। इसके तहत सभी लीगल डॉक्यूमेंट की जरूरत पड़ती है। अगर आप पूरा प्रोसेस करती हैं, तो आपको उसी कोर्ट में जाना होगा जहां आप या आपका पार्टनर कम से कम पिछले दो महीनों से स्थाई निवास कर रहे हैं।
इस एक्ट के तहत शादी होती है तो दोनों पार्टीज सिविल मैरिज कॉन्ट्रैक्ट में बंध जाती हैं, यानी इसके बाद किसी धार्मिक तरीके से शादी करने की जरूरत नहीं होगी।
कितनी फीस में हो जाती है कोर्ट मैरिज?
आमतौर पर कोर्ट मैरिज की रजिस्ट्रेशन फीस सिर्फ 150 रुपये होती है। हालांकि, दोनों पार्टीज को इसके साथ एडमिनिस्ट्रेटिव चार्ज देने पड़ सकते हैं। यह हर राज्य में अलग हो सकते हैं और फीस का स्ट्रक्चर हर राज्य में अलग हो सकता है। जैसे दिल्ली में यह फीस 1000 रुपये तक ली जाती है। अगर आप लॉयर के जरिए शादी करवा रही हैं, तो आपको 3000-5000 रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं।
साल 2006 से ही सुप्रीम कोर्ट ने मैरिज रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया था। अगर आपको शादी का सर्टिफिकेट चाहिए, तो आपको या तो कोर्ट मैरिज करनी होगी या फिर आपको अलग से इसके लिए रजिस्टर करवाना होगा।
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कोर्ट मैरिज के लिए किन डॉक्यूमेंट की जरूरत होगी?
- आपको कोर्ट मैरिज करते समय एक एप्लीकेशन फॉर्म की जरूरत होगी जिस पर दोनों ही पार्टीज के सिग्नेचर होने चाहिए।
- दोनों पार्टीज की डेट ऑफ बर्थ का प्रूफ होना चाहिए।
- दोनों ही पार्टीज के रेजिडेंशियल एड्रेस का प्रूफ होना चाहिए।
- दोनों पार्टीज की दो पासपोर्ट साइज फोटोज होनी चाहिए।
- डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की एप्लीकेशन के साथ फीस रिसीट।
- अगर कोई दूसरी शादी कर रहा है, तो डिवोर्स का सर्टिफिकेट या फिर विधवा या विधुर के मामले में पूर्व पार्टनर का डेथ सर्टिफिकेट।
- तीन विटनेस और उनका रेसिडेंशियल प्रूफ।
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