कान्स फिल्म फेस्टिवल 2025 की शुरुआत फ्रांस में 13 मई से हो गई है। इस फिल्म फेस्टिवल में रेड कार्पेट पर सेलेब्स चलते हैं और दिग्गज फिल्मों की स्क्रीनिंग होती है। इस साल भारत से ऐश्वर्या राय बच्चन फिर से अपने शानदार अंदाज में रेड कार्पेट पर नजर आने वाली हैं। वहीं, 'लापता लेडीज' की एक्ट्रेस नितांशी गोयल डेब्यू करने वाली हैं। आपको बता दें कि कान्स का रेड कार्पेट सिर्फ चलने की जगह नहीं है, यह फिल्मों के इतिहास, फैशन और पुरानी परंपराओं का प्रतीक बन चुका है। आज हम जानेंगे कि कान्स के रेड कार्पेट का इतिहास क्या है, इसे हर दिन कितनी बार बदला जाता है और यह कितना लंबा होता है।
रेड कार्पेट दिन में कितनी बार बदलता है?
पहले कान्स फिल्म फेस्टिवल में हर फिल्म की स्क्रीनिंग से पहले, दिन में 3 बार रेड कार्पेट बदला जाता था ताकि वह हमेशा नया और चमकदार दिखे। लेकिन, 2021 में रेड कार्पेट के नियमों में बदलाव किया गया। अब इसे सिर्फ दिन में 1 बार ही बदला जाता है। ऐसा इसलिए किया गया ताकि पर्यावरण को बचाया जा सके और कचरा कम हो।
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कान्स रेड कार्पेट की लंबाई और डिजायन
आपको जानकर हैरानी होगी कि कान्स फिल्म फेस्टिवल का रेड कार्पेट सिर्फ सुंदर नहीं दिखता, बल्कि इसका साइज़ और डिज़ाइन भी खास होता है। रेड कार्पेट 60 मीटर लंबा होता है और पैलेस डेस फेस्टिवल की 24 सीढ़ियों को पूरी तरह से ढक लेता है। इस कार्पेट का रंग सिर्फ लाल नहीं होता, बल्कि इसमें अलग-अलग शेड्स इस्तेमाल होते हैं। रेड कार्पेट के बीच में गहरा लाल रंग (Rosso Red) होता है और किनारों पर थोड़ा हल्का लाल रंग (Teatro Red) होता है। इसी रेड कार्पेट पर सेलेब्रिटीज चलते हैं और पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं।
कान्स के रेड कार्पेट का दिलचस्प इतिहास
कान्स फिल्म फेस्टिवल का इतिहास बहुत खास है। इसकी शुरुआत 1939 में हुई थी, जब वेनिस फिल्म फेस्टिवल में राजनीति आ गई थी। यह फेस्टिवल फ्रांस के फ्रेंच रिवेरा में 1939 में ही होने वाला था। कान्स में कपड़ों के नियम वहाँ की सड़कों पर मौजूद बड़े-बड़े होटलों और कैसिनो में आने वाले मेहमानों के कपड़ों को देखकर तय किए गए थे। मर्दों के लिए जैकेट और टाई पहनना ज़रूरी था, जबकि औरतों को ऊंची हील वाली सैंडल और लंबी गाउन पहननी होती थी। लेकिन, आधिकारिक तौर पर कान्स फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत 1946 में हुई थी।
पहली बार, कान्स फिल्म फेस्टिवल में नीले रंग का कार्पेट बिछाया गया था। यह कार्पेट दिखाता था कि किस सेक्शन या कैटेगरी की फिल्म दिखाई जा रही है। नीले रंग का कार्पेट 1949 तक बिछाया गया। फिर, 1984 में एक पत्रकार, Yves Mourousi ने सुझाव दिया कि कान्स को ऑस्कर की तरह ग्रैंड बनाना चाहिए। तब पहली बार लाल रंग का कालीन बिछाया गया। इसके बाद, 2020 में फ्रांस के नीस शहर में हुए आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए कान्स में एक दिन के लिए रेड कार्पेट की जगह काले रंग का कार्पेट बिछाया गया था।
कान्स के रेड कार्पेट का फेस्टिवल के बाद क्या होता है?
हर साल कान्स फिल्म फेस्टिवल में चमकदार लाल कालीन बिछाया जाता है। फेस्टिवल खत्म होने के बाद इस कालीन को रीसाइक्लिंग करने वाली कंपनियां इकट्ठा करती हैं और इसे दोबारा इस्तेमाल किया जाता है। इसे कई अलग-अलग जगहों पर इस्तेमाल किया जाता है, जैसे गाड़ियों के अंदर का सामान बनाने में, बिल्डिंग और कंस्ट्रक्शन में, और स्कूलों और कल्चरल इवेंट्स वगरह में।
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