जापानी स्कूलों के ये 7 नियम हैं पूरी दुनिया से अलग, इसलिए वहां के बच्चे होते हैं इतने स्मार्ट!

क्या आप उम्मीद कर सकते हैं कि एक पांच साल का बच्चा अकेला दुकान जाकर घर की जरूरत का सामान ले आए? जापान में कुछ ऐसा ही होता है। 

 
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जापान में बच्चों को हमेशा इंडिपेंडेंट बनाना सिखाया जाता है। जापानी बच्चे हर मामले में आगे रहते हैं और वहां छोटी सी उम्र से ही उन्हें घर के कामकाज, सफाई आदि की आदत डाली जाती है। जापान का एजुकेशन सिस्टम पूरी दुनिया से आगे माना जाता है और आप अगर इस देश के बारे में पढ़ेंगे, तो पाएंगे कि यहां की तकनीक पूरी दुनिया से 10 साल आगे है। वहां अब रोबोट्स खाना परोसते हैं और वेंडिंग मशीन ने पूरे देश को अपनी चपेट में ले रखा है।

आगे चलकर कैसे इंडिपेंडेंट बनना है वो सिर्फ घर वाले ही नहीं, बल्कि स्कूल में भी सिखाया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन जापान में बच्चे ज्यादा दिन स्कूल में रहते हैं। मेरे कहने का मतलब है जापानी स्कूल्स में छुट्टियां बाकी स्कूलों के मुकाबले कम होती हैं। पूरी दुनिया में एवरेज 170-200 दिन स्कूल खुलते हैं, तो जापान में यह आंकड़ा 210 दिन का है। जापान में एजुकेशन सिस्टम में कुछ और बदलाव भी देखने को मिलते हैं।

जापानी स्कूलों में सोने के लिए मिलता है ब्रेक

जापान में नींद को बहुत ही अच्छा माना जाता है इसलिए स्कूल, कॉलेज और ऑफिस में सोने का इंतजाम होता है। अलग से 20 से 40 मिनट के ब्रेक्स होते हैं जिनमें लोगों को सोने के लिए प्रेरित किया जाता है। स्कूली बच्चों को भी लंच के बाद सोने के लिए समय मिलता है। यही नहीं, अगर कोई बच्चा क्लास में सो गया है, तो उसे जगाया नहीं जाता। यह उसके कर्मठ होने की निशानी मानी जाती है।

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जापानी स्कूलों में बच्चों को खुद करने होते हैं अपने काम

किताबों में कवर चढ़ाने से लेकर स्कूल के किसी प्रोजेक्ट तक, बच्चों को अपने काम खुद करने के लिए प्रेरित किया जाता है। अगर स्कूल से जुड़ी कोई चीज खरीदनी है, तो छोटे-छोटे बच्चों को भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल कर वो चीज खरीदने की सलाह दी जाती है।

जापानी स्कूलों में बच्चे करते हैं सफाई

आपने देखा होगा कि भारतीय स्कूलों में अलग से हाउसकीपिंग और क्लीनिंग स्टाफ रखा जाता है, लेकिन जापानी स्कूलों के साथ ऐसा नहीं है। वहां बच्चों को खुद ही पूरा स्कूल साफ करना होता है। वहां ऐसा कुछ भी नहीं कि बच्चे इस काम को गंदा समझें। जापानी स्कूल सिस्टम में हमेशा बच्चों को हर काम करने की आदत डाली जाती है।

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जापानी स्कूलों में 10 साल तक नहीं होता कोई भी एग्जाम

जापानी स्कूलों में ज्ञान से ज्यादा सभ्यता सिखाना जरूरी समझा जाता है। वहां यह माना जाता है कि स्कूल के पहले कुछ साल सिर्फ बच्चे के डेवलपमेंट पर ध्यान देना चाहिए जिससे उसके अंदर अच्छे संस्कार डाले जा सकें। बच्चों को पशु-पक्षियों से प्यार करना, लोगों की इज्जत करना और अपनी क्वालिटीज को बढ़ाना सिखाया जाता है। इतनी कम उम्र में परीक्षा नहीं ली जाती है।

जापानी स्कूलों में सभी खाते हैं एक तरह का खाना

आपने भारतीय स्कूलों के मिड-डे मील्स का हाल तो सुना ही होगा। आए दिन ये न्यूज में आते ही रहते हैं। पर जापानी स्कूलों में लगभग पूरे देश के लिए एक जैसा मेन्यू ही सेट है। वहां स्कूल लंच भी एक तय सिस्टम के हिसाब से ही बनाया जाता है। न्यूट्रिशन का ध्यान रखते हुए खाना पकाया जाता है और इन्हें बच्चे, टीचर्स, स्टाफ सभी खाते हैं। सभी एक साथ ही खाना खाकर आराम भी करते हैं। इस तरह का माहौल बच्चों में पारिवारिक वैल्यू स्थापित करने के लिए बनाया गया है।

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जापानी कैलीग्राफी सीखना है स्टूडेंट्स के लिए अनिवार्य

जापानी लोग अपने कल्चर को लेकर बहुत ज्यादा सजग रहते हैं। वहां नॉर्मल सब्जेक्ट्स के साथ-साथ स्पोर्ट्स, आर्ट, कविताएं और कैलिग्राफी भी सीखनी होती है। जापानी कैलीग्राफी सीखने का तरीका भी पुराना ही है। वो इंक में डूबे हुए ब्रश का इस्तेमाल करते हैं। सभी बच्चों के लिए वह एक जरूरी शिक्षा है।

सभी बच्चों के लिए जापान में होती है आफ्टर स्कूल वर्कशॉप

हमारे देश में भी बच्चे स्कूल से आने के बाद ट्यूशन के लिए चले जाते हैं, लेकिन जापान में आफ्टर स्कूल वर्कशॉप होती है। उन वर्कशॉप्स में बच्चे नॉर्मल पढ़ाई के अलावा और भी बहुत कुछ सीखते हैं। जापानी बच्चे स्कूल में पढ़ने के बाद वर्कशॉप में अपने हॉबीज और एक्टिविटीज को निखारते हैं। इसके बाद घर जाकर पढ़ाई करते हैं। जापान में बच्चों को छुट्टियों के समय भी पढ़ाने का रिवाज है।

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