कहते हैं कि दुनिया में सबसे प्यारा रिश्ता होता है मां-बच्चे का। किसी भी बच्चे को उसकी मां से ज्यादा दुनिया में और कोई प्यार नहीं कर सकता। लेकिन आज के समय में जब वुमेन भी वर्किंग हैं और उन्हें घर व बाहर दोनों ही जिम्मेदारियां निभानी पड़ती हैं तो इसका असर उनके पैरेंटिंग तरीकों पर भी पड़ता है। इतना ही नहीं, कई बार ऑफिस का खराब माहौल उन्हें एक बुरी मां भी बना देता है। जी हां, हम यह ऐसे ही नहीं कह रहे। हाल ही में हुई एक स्टडी के अनुसार, ऑफिस का toxic environment महिलाओं को एक bad mother में बदल रहा है।
यह हम सभी के साथ कभी ना कभी होता है, हालांकि हम इस पर कभी ध्यान नहीं देतीं। कभी आपने नोटिस किया हो कि अगर ऑफिस में आपके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता या ऑफिस का माहौल आपको मानसिक रूप से परेशान करता है तो तो इससे आपके भीतर एक चिड़चिड़ापन आ जाता है। आप ऑफिस में भले ही इससे ना निपट पाएं, लेकिन जब आप घर लौटती हैं तो वह झुंझलाहट व गुस्सा कहीं ना कहीं बच्चों पर निकलता है। बच्चों की जो शैतानियां मां के मन को भाती हैं, आपको अपनी लाडली की उन्हीं शैतानियों पर गुस्सा आता है। कई बार तो आप चिड़चिड़ेपन के कारण बच्चों पर हाथ भी उठा देती हैं। भले ही बाद में आपको काफी बुरा महसूस होता है। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो खुद को दोष देना बंद करें। इसमें आपका नहीं, बल्कि आपके ऑफिस के खराब माहौल का दोष है। बेहतर होगा कि आप स्वयं को दोषी समझने की बजाय इससे निकलने के बारे में सोचें। तो चलिए आज हम आपको इस बारे में बताते हैं-
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क्या कहती है स्टडी
कार्लटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा की गई इस स्टडी में सामने आया कि कैसे कामकाजी माताओं के साथ कार्यस्थल पर किया गया दुव्र्यवहार उनके पैरेंटिंग तरीकों को बदलता है। स्टडी के अनुसार, ऑफिस के टॉक्सिस माहौल में काम करने वाली महिलाएं अक्सर हक जमाने वाले और मांग करने वाले पालन-पोषण का सहारा लेती हैं। ऐसी महिलाएं चूंकि ऑफिस में खुद को काफी लाचार व कमजोर महसूस करती हैं और इसलिए वह घर आने के बाद अमूमन हक जमाने लग जाती हैं। स्टडी में यह भी कहा गया कि जब कोई व्यक्ति अपने सहकर्मी के प्रति खराब व्यवहार करता है तो उसे पता नहीं होता है कि यह दूसरे सहकर्मी को कैसे प्रभावित कर सकता है। हालांकि कार्यस्थल पर खराब व्यवहार और माहौल से निपटने के लिए हर किसी के पास अपना स्वयं का जरिया होता है। लेकिन कामकाजी माताओं के संदर्भ में यह उनके पैरेंटिंग तरीकों को प्रभावित कर सकता है।
ऐसे निकलें इससे
यह एक ऐसी समस्या है, जिसका लगभग हर कामकाजी मां कहीं ना कहीं सामना करती हैं। ऐसे में स्थिति से निकलने के खुद को दोष देना या एक बुरी मां मानना समस्या का समाधान नहीं है। आपको समझदारी से इससे निकलने के रास्ते खोजने होंगे। इसके लिए सबसे पहले उन कारणों को जानने का प्रयास करें, जिसके कारण आप ऑफिस में मानसिक रूप से परेशान रहती हैं। हो सकता है कि आपके को-वर्कर आपके साथ अच्छा व्यवहार ना करते हों या फिर आपके काम को उतनी तवज्जो ना दी जाती हो। ऐसे में आप अपने सीनियर्स ट्रासंफर के लिए पूछ सकती हैं या फिर एक अलग टीम में काम करने की इच्छा जता सकती हैं।
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अगर ऐसा संभव नहीं है तो आप किसी दूसरी कंपनी मंे भी काम की तलाश कर सकती हैं।इसके अतिरिक्त काम या ऑफिस के माहौल को खुद पर हावी होने से रोकंे। कोशिश करें कि आप घर लौटने के बाद फोन को बंद कर दें और परिवार के साथ अच्छा समय बिताएं। इससे आपका मानसिक तनाव कम होगा। इतना ही नहीं, आप खुद को रिलैक्स रखने के लिए कुछ रिलैक्सिंग एक्टिविटीज जैसे योगा, मेडिटेशन कर सकती हैं या फिर उन चीजों को कर सकती हैं, जो आपको भीतर से खुशी देती हैं। इस तरह आपके लिए अपनी वर्कलाइफ और पर्सनल लाइफ को बैलेंस करना काफी आसान हो जाएगा।
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