बेटे को क्वालिटी टाइम देने के लिए मैंने उसके पैदा होने के कुछ वक्त बाद ही जॉब से रिजाइन दे दिया था। उस समय में मेरे लिए मेरा बेटा पहली प्रायोरिटी था। तब सोचा था कि अब जॉब नहीं करनी। लेकिन एक मीडिया हाउस में पूरी तरह हैक्टिक माहौल में काम करने के बाद घर पर बैठना भी अपने आप में बड़ी चुनौती थी। कुछ वक्त बीता तो मुझे एक नई जगह जॉब ऑफर मिला। मैंने खुशी-खुशी ऑफर एक्सेप्ट कर लिया। लेकिन तब सबसे बड़ी मुश्किल ये थी कि जैसे ही मैं बाहर जाने को होती, बेटा रोना शुरू कर देता और साथ रहने की जिद करने लगा। तब मुझे अपने ऊपर बहुत झुंझलाहट होती। मैं इसी स्ट्रेस में घर से बाहर जाती कि बेटा परेशान होगा। वक्त लगा, पर कुछ समय में स्थितियां सामान्य हो गईं। वर्किंग मॉम्स की जिंदगी में इस तरह की कई तरह की मुश्किलें आती है। एक तरफ घर की छोटी-छोटी अहम जिम्मेदारियां निभाना और बच्चे की जरूरतों का खयाल रखना और दूसरी तरफ ऑफिस में अपने काम में क्वालिटी बनाए रखना काफी चुनौतीपूर्ण है। घर और उसके साथ ऑफिस के कामों के बीच तालमेल बिठाने में महिलाओं को काफी मशक्कत करनी पड़ती है।
हम समझते हैं कि तमाम जिम्मेदारियों को पूरा करने के बीच आपको अपने लिए बहुत कम वक्त मिल पाता है। ऐसे में सभी मोर्चों पर सफल रहते हुए आप कैसे वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रख सकती हैं, आइए जानते हैं-
अपराध बोध से बाहर आएं
अक्सर ऑफिस की इम्पॉर्टेंट रेसपॉन्सिबिलिटी निभाते हुए आपके मन में खयाल आता होगा कि आप अपने बच्चे के साथ वक्त नहीं बिता पाईं। आपको इस तरह का गिल्ट मन में नहीं आने देना चाहिए क्योंकि आप वर्किंग रहते हुए खुद अपना भविष्य बना सकती हैं और बच्चे को भी एक अच्छा भविष्य दे सकती हैं। आपका आज का काम आपको कल ऊंचाइयों पर लेकर जाएगा और इस दौरान आप जो सम्मान अर्जित करेंगी, उससे आपका आत्मविश्वास और बढ़ेगा। वहीं घर पर रहने पर आपको दूसरी तरह के गिल्ट हो सकते हैं मसलन जॉब न कर पाने का गिल्ट या फिर बच्चे के खर्च और उसकी ख्वाहिशों को पूरा न कर पाने का गिल्ट।
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बच्चे की देखरेख में ना करें समझौता
अगर आप अपनी गैरहाजिरी में बच्चे की देखरेख के लिए परेशान हैं तो आप अपने आसपास एक अच्छा डे-केयर तलाश करें। अगर घर पर ही व्यवस्था करना चाहती हैं तो किसी विश्वसनीय और रजिस्टर्ड संस्था से बेबीसिटर को रखें। अगर आपके घर-परिवार से बच्चे की जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार हो तो यह आपके लिए और भी ज्यादा अच्छा होगा क्योंकि तब आप पूरी तरह से निश्चिंत होकर अपने काम पर फोकस कर सकती हैं।
रात में कर लें सुबह की प्लानिंग
आप सुबह की आपाधापी से बच सकती हैं अगर आप पिछली रात को ही अगली सुबह के लिए जरूरी प्लानिंग कर लें मसलन बच्चे के लिए क्या नाश्ता बनाएंगी, उनकी यूनिफॉर्म साफ-सुथरी और एक जगह पर है या नहीं, आपकी ऑफिस जाने की ड्रेस और जरूरी सामान भी ऑर्गनाइज्ड हैं या नहीं। मॉमप्रिन्योर रिद्धी दोषी का सुझाव है, 'आपको यह भी सोच लेना चाहिए कि बच्चे के लिए आपने जरूरी चीजें पैक कर दी हैं या नहीं, आपका ऑफिस का बैग रेडी है या नहीं। अपनी टू-डू-लिस्ट पिछली रात को बना लें और सुबह जाने से पहले एक बार उस पर नजर डाल लें कि कुछ छूटा तो नहीं। इससे आप कुछ क्षण आराम से बैठकर अपने बच्चे के साथ नाश्ता कर सकेंगी।'
एक फैमिली कैलेंडर बनाएं
घर की प्रायोरिटीज तय कर लें। एक ऐसा कैलेंडर बनाएं, जिस पर आप अपने हर महीने के ड्यू बिल्स की डेट, बच्चें से जुड़े जरूरी काम, बच्चों के स्कूल और घर के ईवेंट्स से जुड़ी डेट्स, एक्स्ट्राकरिकुलर एक्टिविटीज, बर्थडे और दूसरी अहम चीजें मार्क कर लें। इसमें आपको गूगल कैलेंडर से काफी मदद मिल सकती हैं, जिसे आप आसानी से शेयर भी कर सकती हैं। सेक्शुअलिटी और पेरेंटिंग कोच नियति शाह का सुझाव है, 'हर संडे को 15 मिनट में आने वाले हफ्तों की प्लानिंग कर लीजिए। इससे आप अचानक किसी काम की तैयारी के लिए टेंशन में आने से बचेंगी और इंपॉर्टेंट ईवेंट के लिए अच्छी तरह से प्रिपरेशन करने में कामयाब होंगी।'
अपने ऑफिस में कम्यूनिकेशन रखें स्ट्रॉन्ग
अपनी जरूरतों के अनुसार एक लिखित प्लान तैयार करके आप आप अपने एम्लॉयर या एचआर रिप्रेंटेटिव से बात कर सकती हैं। इस बात की भी रिसर्च कर लें कि दूसरी वर्किंग मॉम्स को किस तरह की फ्लेक्सिबिलिटी मिली हुई है, इससे आपको अपने काम में थोड़ी सहूलियत मिल जाएगी। हर जगह इम्प्लॉयर अलग होते हैं, उनके मिजाज के हिसाब से यह सोच लें कि आप अपनी पर्सनल चीजें किस हद तक शेयर करें। जो महिलाएं मैटरनिटी लीव पर जा रही हों, उन्हें यह जरूर पूछना चाहिए कि उन्हें कितने समय तक की छुट्टियां मिल सकती हैं, और उसमें से कितनी छुट्टियां पेड होंगी। इससे आप छुट्टियों के दौरान किसी भी तरह के कन्फ्यूशन से बचेंगी।'
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बच्चे से रहें कनेक्टेड
ऑफिस में काम करने के दौरान कुछ देर के लिए समय निकाल कर बच्चे से बात जरूर करें। आप बच्चे से उसके खाने-पीने के बारे में पूछें और उसे बताएं कि आप ऑफिस से घर कब तक आ जाएंगी। बच्चे से बात करने और ये पूछने से कि उसे किसी तरह की प्रॉब्लम तो नहीं, बच्चा कनेक्टेड फील करता है। इससे आप मेंटली रिलैक्स रहेंगी और अपने काम पर भी बेहतर तरीके से फोकस कर पाएंगी।
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