Vrindavan Ke Banke Bihari mandir Ki Holi: ब्रज धाम में बसंत पंचमी के साथ शुरू हुआ होली का पर्व अब अपने चरम पर पहुंच चुका है। जहां एक ओर 27 फरवरी को बरसाना में लड्डूमर होली और 28 फरवरी को जग प्रसिद्द लट्ठमार होली खेली गई, वहीं 3 मार्च, दिन शुक्रवार को वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में फूलों वाली होली खेली जाएगी। ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकंता वत्स से आइये जानते हैं बांके बिहारी मंदिर में खेली जाने वाली फूलों की होली का महत्व और उससे जुड़ी दिलचस्प बातें।
कब है बांके बिहारी मंदिर की फूलों वाली होली (Kab Hai Banke Bihari Mandir Ki Phoolon Wali holi)
वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में मुख्य होली से पहले फूलों से होली खेली जाती है। इस दिन बांके बिहारी (बांके बिहारी मंदिर में क्यों डाला जाता है बार-बार पर्दा) मंदिर में भक्तों का जमावड़ा लगता है और मंदिर परिसर में जमकर फूल बरसाएं जाते हैं। इस बार फूलों वाली होली 3 मार्च को पड़ रही है। खास बात यह है कि 3 मार्च को रंगभरी एकादशी का व्रत भी रखा जाना है।
बांके बिहारी मंदिर की फूलों वाली होली का महत्व (Banke Bihari Mandir Ki Phoolon Wali Holi Ka Mahatva)
- बांके बिहारी की फूलों वाली का सर्वाधिक महत्व है। जिस दिन फूलों वाली होली खेली जाती है उस दिन ठाकुर जी को सफेद वस्त्र धारण कराये जाते हैं और उनका पूर्ण रूप से श्रृंगार किया जाता है।
- इस दिन ठाकुर जी के साथ पहले फूलों से होली खेली जाती है। बांके बिहारी ठाकुर जी को पैरों से लेकर गर्दन तक फूलों से ढका जाता है। वहीं, मंदिर परिसर में मौजूद भक्तों पर भी जमकर फूल बरसाए जाते हैं।

- बांके बिहारी मंदिर में भक्तों का जमावड़ा देखने लायक होता है। मंदिर का ऐसा कोई स्थान नहीं होता जहां फूलों की पंखुड़ियां बिखरी हुई न हों। जमकर फूल उड़ाने और बांके बिहारी जी के साथ फूलों से होली खेलने के बाद अबीर और गुलाल की बारी आती है।
- सबसे पहले ठाकुर जी के सेवा में मौजूद सभी सेवाकारी पुजारी उन्हें केसर के फूलों के रंग से बने पानी की पिचकारी मारते हैं जिससे ठाकुर जी के सफेद वस्त्र नारंगी या लाल रंग (इन स्थानों पर न करें लाल रंग का इस्तेमाल) के हो जाते हैं फिर उसके बाद मंदिर में भक्तों के ऊपर पानी बरसाया जाता है।

- बांके बिहारी मंदिर में जमकर गुलाल और अबीर उड़ता है और मान्यता है कि ठाकुर जी खुद भक्तों के बीच होली खेलने आते हैं। खास बात यह भी है कि इस दिन न सिर्फ मंदिर के अन्दर बल्कि बांके बिहारी मंदिर के बाहर जितनी भी गलियां हैं सब रंग एवं गुलाल और फूलों से सराबोर रहती हैं।
तो ये था वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में खेली जाने वाली होली का महत्व। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Image Credit: Social Media
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