हिंदू पंचांग के अनुसार होलाष्टक का अर्थ है होली से पहले के आठ दिन हैं। हिंदू धर्म में होलाष्टक का विशेष महत्व है। इन दिनों में किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है। होलाष्टक की अवधि आठ दिनों की होती है, जो फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक चलती है। आपको बता इस साल होलाष्टक 7 मार्च से शुरू होकर 13 मार्च तक रहेगा। होलाष्टक के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। होलाष्टक में किसी भी तरह के शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि नहीं किए जाते हैं। इन दिनों में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव अधिक होता है, इसलिए सकारात्मक रहने का प्रयास करें। होलाष्टक में भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करना शुभ माना जाता है। इन दिनों में गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना भी अच्छा होता है। अब ऐसे में इस दिन किस तेल का दीपक जलाने से लाभ हो सकता है। साथ ही नियम क्या है। इसके बारे में इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
होलाष्टक के दौरान, वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। सरसों के तेल का दीपक जलाने से यह नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। सरसों का तेल शनि देव को अत्यंत प्रिय है। होलाष्टक के दौरान, शनि देव का प्रभाव भी बढ़ जाता है। ऐसे में, सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सरसों के तेल का दीपक जलाने से ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है।
होलाष्टक के दौरान घी का दीपक जलाने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं, ऐसा कहा जाता है कि अगर आपके जीवन में किसी तरह की कोई समस्या आ रही है तो इस दौरान घी का दीपक जलाएं।
तिल के तेल का दीपक जलाने से कुंडली में सूर्य और चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है, जिससे जीवन में तरक्की के योग बनते हैं और ग्रहों के दोष से भी छुटकारा मिलता है। होलाष्टक के दौरान घर के मुख्य द्वार पर तिल के तेल का दीपक जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।
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पंचमुखी दीपक देवताओं का प्रतीक है। इसे जलाने से देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। आपको बता दें, पंचमुखी दीपक पंच तत्वों जैसे कि पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश का प्रतीक है। इसे जलाने से इन तत्वों का संतुलन बना रहता है। साथ ही कुंडली में स्थित अशुभ प्रभाव कम हो सकते हैं।
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Image Credit- HerZindagi
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