भारत में बनारस का बहुत बड़ा स्थान है। ये शहर अपने आप में ऐतिहासिक फैक्ट्स से तो भरा ही हुआ है और बाबा विश्वनाथ धाम कहा जाने वाला बनारस शहर भारत के हज़ारों साल पुराने इतिहास को अपने अंदर समेटे हुए है। बॉलीवुड ने भी बनारस को बहुत अच्छी तरह से पेश किया है। इस शहर के ऊपर ना जाने कितने गाने बने हैं, लेकिन आपने एक बात जो नोटिस की होगी वो ये कि इस शहर का नाम बहुत बार बदला है।
कभी काशी, कभी बनारस तो अब वाराणसी और कई लोग इसे विश्वनाथ नगरी के नाम से भी जानते हैं। पर इस ऐतिहासिक शहर का नाम इतनी बार बदलने का कारण क्या हुआ और इसके हर नाम के पीछे क्या मतलब छुपा है क्या आपने कभी जानने की कोशिश की? तो चलिए आज इसी के बारे में बात करते हैं और जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर इस शहर का नाम क्यों इतना बदला गया है।
सबसे पहले बात करते हैं काशी की जिसका अस्सी घाट हमेशा से ही प्रसिद्ध रहा है। काशी नाम को हम पुराने इतिहास से जोड़कर देख सकते हैं। ये नाम धार्मिक ग्रंथों में भी मिल जाएगा इसका मतलब ये नाम बहुत पुराना है।
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काशी में शिव धाम था और इसलिए हमेशा दियों की रोशनी इसमें मौजूद रहती थी। ये चमकती रहती थी और माना जाता है कि इसके काशी नाम को भी यहीं से जोड़ा गया। काशी या काशिका (पौराणिक नाम) का अर्थ है 'चमकता हुआ या प्रकाशित'।
अगर आपने धार्मिक सीरियल देखे होंगे तो उनमें से कई में भी इस शहर को काशी नाम से ही जाना गया है। ऋग्वेद में भी काशी का नाम दिया गया है और स्कन्द महापुराण में भी काशीखंड है जिससे हमें पता चलता है कि काशी बहुत ही पुराना नाम है।
इस नाम को 2500 साल पुराने काशी राज्य से जोड़कर भी देखा जाता है।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से लेकर बनारसी पान तक ये नाम काफी ज्यादा प्रसिद्ध रहा है। बॉलीवुड के गानों में भी बनारस का जिक्र किया जाता है। ये नाम मुगलों के जमाने में भी रहा है, लेकिन फैक्ट्स ये कहते हैं कि ये नाम दरअसल, बनार नामक राजा के नाम पर रखा गया था जो क्रूर शासक मोहम्मद गोरी के हमले के कारण मारे गए थे।
इसके बाद भी इसे बनारस ही पुकारा गया। हालांकि, इस नाम का प्रचलन कब शुरू हुआ इसको लेकर कई थ्योरी मानी जाती हैं। कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि महाभारत के जमाने से भी इसका जिक्र किया गया था। पाली भाषा में वाराणसी का नाम नाम बनारसी माना जाता है जिससे इसका उद्गम हो सकता है।
वाराणसी यानी अभी वाला नाम, लेकिन इस नाम को दोबारा रखने के पीछे ये कहा गया था कि ये पुराना नाम है जिसे दोबारा शहर को दिया गया है।
कुछ रिपोर्ट्स का मानना है कि बौद्ध कहानियों में वाराणसी का जिक्र किया गया है। इसे दो नदियों का संगम माना जाता है जो वरुणा और असी नाम की दो नदियों के नामों से मिलकर बना है। वरुणा नदी उत्तर की ओर गंगा से मिलती है और असि नदी दक्षिण की ओर और इसलिए ही इसे ये नाम दिया गया।
हालांकि, वाराणसी का नाम काशिका, अविमुक्त, आनंद कानन, रुद्रवास भी कहा जाता है।
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हिंदू पुराणों के हिसाब से बनारस के बनने की एक अलग ही कहानी है। इसके मुताबिक ये शहर शिव द्वारा खुद बनाया गया था। शिव और ब्रह्मा की लड़ाई के दौरान शिव ने ब्रह्मा का एक सिर काट लिया था जिसे वो अपने साथ लेकर चलते थे। जब शिव बनारस(काशी) आए तो उनके हाथ से ये सिर गिरकर गायब हो गया।
यही कारण है कि इस शहर को इतना पवित्र माना जाता है। एक कथा ये भी कहती है कि पांडव इसी शहर में भगवान शिव की खोज में आए थे।
ऐसी कई कहानियां बनारस से जुड़ी हुई हैं और इन्हें मोक्ष से भी जोड़कर देखा जाता है। इसलिए ही इसे मुक्तिधाम भी कहा जाता है।
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