वैसे तो पश्चिम बंगाल में अभी भी चुनावी माहौल गरम है लेकिन, इससे परे हटकर अगर बंगाल को पर्यटन स्थल की दृष्टि से देखा जाए, तो यहां एक से बढ़कर एक खूबसूरत है बेहतरीन जगहें हैं घूमने के लिए। कोलकाता, दीघा, दार्जिलिंग, सिलीगुड़ी और शांतिनिकेतन जैसी कई बेहतरीन पर्यटक स्थल है। लेकिन, बंगाल में इनके अलावा एक ऐसी भी जगह है, जो दो नदियों के संगम पर मौजूद है। जी हां, इस जगह का नाम है 'मालदा'। ब्रिटिश काल में इंग्लिश बाज़ार के रूप में प्रसिद्ध ये जगह कई ऐतिहासिक विरासत और जगहों के लिए आज भी पूरे भारत में प्रसिद्ध है। यहां मौजूद किले, भवन आदि आज भी मध्ययुगीन काल को भी सामने प्रस्तुत करते हैं। आज इस लेख में हम आपको मालदा में घूमे जाने वाले कुछ बेहतरीन पर्यटक स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां आपको भी एक बार घूमने जाना चाहिए।
बंगाल के साथ-साथ मालदा के समृद्ध इतिहास के बारे में जानना चाहते हैं और आप एक इतिहास प्रेमी हैं, तो सबसे पहली जगह आपके लिए गौर महल हो सकती है। शानदार वास्तुकला और प्राचीन आवासीय कॉलोनियों के रूप में निर्मित ये महल सैलानियों को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त है। इस महल पर मौर्या वंश, मुग़ल वंश और फिर ब्रिटिश हुकूमत के भी राज किया है। हालांकि, समय के साथ-साथ महल के कुछ हिस्से खंडहर में तब्दील होते चले गए। ये जगह मालदा निवासियों के लिए एक बेहतरीन पिकनिक की भी जगह है।
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इतिहास से थोड़ा अलग लेकिन, खूबसूरती के मामले में एक नंबर है आदिना डीअर पार्क। खासकर फैमिली और बच्चों के साथ मालदा में घूमने के लिए इससे बेहतरीन जगह कोई नहीं है। यह एक ऐसी जगह है, जहां हिरण, चीतल, नीलगाय, भालू जैसे कई वन्यजीव आपको एक साथ देखने को मिल जायेंगे। आपको बता दें कि इस पार्क में ऐसे कई पक्षी भी मौजूद है, जिसे आपने शायद ही किसी अन्य जगह देखा हो। (दिल्ली के बेस्ट अम्यूजमेंट पार्क्स) एक तरह से वर्ड वाचर्स के लिए स्वर्ग से कम नहीं है ये जगह। आपको बता दें कि ये जगह मालदा शहर से लगभग 20 किमी की दूरी पर मौजूद है।
शायद, इस मीनार को देखकर आपको दिल्ली में मौजूद क़ुतुब मीनार की याद आने लगी हो। लेकिन, आपको बता दें कि ये मीनार दिल्ली में नहीं बल्कि, मालदा शहर में है। हालांकि, इसे कई लोग क़ुतुब मीनार के नाम से भी जानते हैं। सुल्तान सैफुद्दीन फिरोज शाह के शासन काल के दौरान इस मीनार का निर्माण किया गया था। कहा जाता है कि ये मीनार पांच मंजिला टॉवर है। इसके तीन मजिलों को अलग और दो मंजिलों को अलग रूप में निर्माण किया गया है। आपको बता दें कि कई लोग इसे पीर-आशा-मीनार या चिरागदानी के नाम से भी जानते हैं।
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जब मालदा मौर्य वंश, मुग़ल वंश और ब्रिटिश शासक का केंद्र रहा है मालदा तो ज़रूरी था कि एक संग्रहालय निर्माण हो। साल 1937 में मालदा संग्रहालय की स्थापना की गई। आपको बता दें कि इसे पहले जिला पुस्तकालय के नाम से जाना जाता था, लेकिन बाद में इसे संग्रहालय में तब्दील कट दिया गया। इस संग्रहालय में मौर्य वंश, मुग़ल वंश और ब्रिटिश शासक से जुड़े कई सामानों को आज भी यहां देखा जा सकता है। कहा जाता है कि यहां लगभग 1500 वर्ष पुरानी कलाकृतियों और मानवशास्त्रीय नमूनों को संरक्षित करके रखा गया है।
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Image Credit:(@upload.wikimedia.org, tripadvisor.com)
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