सहयोग से गुरु पूर्णिमा के दिन यानि आज सदी का सबसे लंबा ग्रहण लगने वाला है। अनुमान लगाया जा रहा है कि यह ग्रहण लगभग 104 साल बाद लग रहा है। जो 3 घंटे 55 मिनट के लिए होगा। जो कि 27 जुलाई की मध्य रात्रि में 11 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर 28 जुलाई को प्रात: 2 बजकर 45 मिनट पर खत्म होगा। इस चंद्र ग्रहण में लोगों को सुपर ब्लड ब्लू मून देखने को मिलेगा। जिस वजह से चंद्र ग्रहण के समय चांद और ज्यादा चमकीला और बड़ा नजर आएगा। 7 वर्ष के बाद ऐसा दुर्लभ संयोग देखने को मिलेगा कि गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण हो। इससे पहले 9 जनवरी, 2001 को गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगा था। लेकिन परेशान ना हो क्योंकि गुरु की पूजा से आप ग्रहण दोषों का निवारण कर सकते हैं।
'गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पांव, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए'।।
आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है, वैसे ही गुरु-चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शान्ति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है। शास्त्रों में गु का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और रु का का अर्थ किया गया है- उसका निरोधक। गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले होता है।
गुरु तथा देवता में समानता के लिए एक श्लोक में कहा गया है कि जैसी भक्ति की आवश्यकता देवता के लिए है वैसी ही गुरु के लिए भी। बल्कि सद्गुरु की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार भी संभव है। गुरु की कृपा के अभाव में कुछ भी संभव नहीं है।
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गुरु पूर्णिमा का यह दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी है। वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे और उन्होंने चारों वेदों की भी रचना की थी। इस कारण उनका एक नाम वेद व्यास भी है। उन्हें आदिगुरु कहा जाता है और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है। भारत में इसे गुरु पूर्णिमा के नाम से भी मनाया जाता है। हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग आषाढ़ पूर्णिमा के दिन अपनी भक्ति गुरु को समर्पित करते हैं।
जीवन में गुरु और शिक्षक के महत्व को आने वाली पीढ़ी को बताने के लिए यह पर्व आदर्श है। व्यास पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा अंधविश्वास के आधार पर नहीं बल्कि श्रद्धाभाव से मनाना चाहिए। गुरु का आशीर्वाद सबके लिए कल्याणकारी व ज्ञानवर्द्धक होता है, इसलिए इस दिन गुरु पूजन के उपरांत गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। सिख धर्म में इस पर्व का महत्व अधिक इस कारण है क्योंकि सिख इतिहास में उनके दस गुरुओं का बेहद महत्व रहा है।
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जी हां अपने गुरु का नाम लेकर आप इसके असर को कम कर सकते हैं। इसके अलावा आप गायत्री मंत्र और हनुमान चालीसा और हनुमान जी के मंत्रोच्चारण से भी विशेष लाभ मिल सकता है। आमतौर पर लोगों को लगता है कि ग्रहण का असर उसके रहने तक ही रहता है लेकिन ज्योतिष शास्त्रियों की मानें तो चंद्र ग्रहण क प्रभाव 108 दिनों तक बना रहता है। उनके अनुसार जिस समय चंद्र ग्रहण लगा हो उस वक्त जाप जरूर करना चाहिए।
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