गोवर्धन पूजा का महत्व हिन्दू धर्म के लोगों के लिए सबसे अधिक होता है। यह त्यौहार ज्यादातर लोग धूमधाम से मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाते हैं। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष के पहले दिन यानी प्रतिपदा को मनाया जाता है और आमतौर पर यह दिवाली के पर्व के अगले दिन ही मनाया जाता है।
इस त्यौहार को मनाने के पीछे का कारण भगवान कृष्ण से जुड़ा हुआ है लेकिन इस त्यौहार को मनाने का क्या महत्व है इसके बारे में हम आपको इस लेख में बताएंगे।
गोवर्धन पूजा मनाने का कारण
आपको बता दें कि गोवर्धन पूजा मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। इस पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान इंद्र ने ब्रज गांव में बहुत तेज बारिश शुरू कर दी थी। इस कारण से वहां पर बाढ़ आ गई और त्राहि-त्राहि मच गई। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों की रक्षा करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था।
कई दिनों के लगातार तूफान के बाद लोगों को अप्रभावित देखकर भगवान इंद्र ने अपनी हार मान ली और बारिश को रोक दिया। इसलिए इस दिन को एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है और इस पूजा का अलग महत्व है। इससे श्री कृष्ण ने भगवान इंद्र के घमंड को चूर कर दिया और सभी ब्रजवासियों ने उस दिन से श्री कृष्ण की पूजा करना शुरू कर दी थी। उस दिन से ही गोवर्धन पूजा मनाई जाती है।
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क्या है गोवर्धन पूजा का महत्व?
इस पूजा को करने वाले व्यक्ति का सीधा प्रकृति से सामंजस्य बनाता है। आपको बता दें कि हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस पूजा में गोबर से बने हुए पर्वत की विधिपूर्वक पूजा करने और भगवान कृष्ण को भोग लगाने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और गाय की पूजा करने का भी इस दिन पर विशेष महत्व होता है। मान्यताओं के अनुसार गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से पूजा करने वाले व्यक्ति को इच्छानुसार फल भी मिलता है। ऐसा भी माना जाता है कि जो व्यक्ति गोवर्धन पूजा करता है उसके धन और समृद्धि का लाभ होता है और परिवार में खुशहाली रहती है।
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इस दिन लोग भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग को अर्पित करते हैं। आपको बता दें कि इस प्रसाद को अन्नकूट भी कहा जाता है। आपको बता दें कि हिंदू धर्म के अनुसार इस दिन यह भोग भगवान को चढ़ाने से व्यक्ति के जीवन में अन्न कभी खत्म नहीं होता है।
इन सभी कारणों की वजह से पर्व का हमेशा से ही एक विशेष महत्व माना जाता है।
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image credit- flickr
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