मंझी हुई राजनीतिज्ञ के तौर पर पहचान बनाने वाली डिंपल यादव के बारे में ये दिलचस्प बातें जानिए

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने पिछले कुछ सालों में अपनी नेतृत्व क्षमता से नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। आने वाले समय में डिंपल यादव समाजवादी पार्टी को नई ऊंचाइयां दे सकती हैं।

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सौम्य, सरल, मिलनसार और अपनी बातों को सहज तरीके से जनमानस में पहुंचाने वाली राजनेता की छवि बनाई है समाजवादी पार्टी की नेता डिंपल यादव ने। डिंपल यादव ने कड़ी मेहनत और काबिलियत के बल पर आज ऐसा मुकाम हासिल किया है कि वह अखिलेश यादव के बाद समाजवादी पार्टी में दूसरे नंबर की शक्तिशाली नेता मानी जाती हैं। आर्मी बैकग्राउंड से आने वाली डिंपल यादव ने कैसे तय किया अपना अब तक का राजनीतिक सफर, आइए जानते हैं-

डिंपल का जन्म 15 जनवरी 1978 को महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था। डिंपल के पिता आर.सी. रावत सेना में कर्नल के पद पर रहे हैं। उत्तराखंड मूल की रहने वाली डिंपल यादव का पालन-पोषण पुणे में ही हुआ था। इसके बाद उन्होंने कॉमर्स से ग्रेजुएशन करने के लिए लखनऊ यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया। यहीं डिंपल रावत अखिलेश यादव से मिलीं।

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अखिलेश यादव से दोस्ती और फिर शादी

अखिलेश यादव के साथ शुरुआती दोस्ती जल्द ही प्यार में बदल गई। अखिलेश शुरू से ही डिंपल के लिए संजीदा थे, उनसे शादी करना चाहते थे। लेकिन अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव चाहते थे कि उनके बेटे की शादी लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती से हो जाए। लेकिन अखिलेश ठान चुके थे कि वह अपनी जीवनसंगिनी डिंपल को ही बनाएंगे। अपने पिता को मनाने के लिए अखिलेश ने अपनी दादी मूर्ति देवी से सिफारिश लगाई। बस फिर क्या था, दादी ने पिता मुलायम को मना लिया और आखिरकार डिंपल रावत अखिलेश यादव की पत्नी बन ही गईं।

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राजनीतिक सफर की शुरुआत नहीं थी आसान

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डिंपल यादव के राजनीतिक सफर की शुरू साल 2009 में हुई। फिरोजाबाद में हुए अपने पहले चुनाव में उनका सामना राज बब्बर से हुआ। डिंपल इस स्थिति को संभालने के हिसाब से इतनी अनुभवी नहीं थीं और नतीजा ये हुआ कि वह हार गईं। लेकिन अपनी शुरुआती नाकामी के बाद जल्द ही डिंपल ने काफी कुछ सीख लिया और इसी की बदौलत साल 2012 में वह कन्नौज से निर्विरोध सांसद चुनी गईं। पत्नी डिंपल को कन्नौज को सांसद में भेजने के लिए अखिलेश ने ये सीट खाली कर दी थी। यही नहीं, डिंपल के इस सीट पर खड़े होते ही चुनाव लड़ने वाले अन्य उम्मीदवारों ने भी अपना नॉमिनेशन वापस ले लिया था।

बड़े राजनीतिक कुनबे की महिला नेता बनीं डिंपल यादव

समाजवादी पार्टी में सियासी दावेदारी के लिए पिछले कुछ समय में खूब घमासान देखने को मिली थी। जिस समाजवादी पार्टी में कभी पार्टी में अमर सिंह, शिवपाल सिंह यादव और आजम खान जैसे नेताओं की तूती बोलती थी और किसी महिला नेता का नामोनिशान नहीं था, वहीं आज डिंपल यादव ने अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर इस कमी को पूरा कर दिया है। डिंपल यादव ने यूपी चुनाव में उन्होंने अपने पति, परिवार और पार्टी के लिए जोर-शोर से प्रचार किया। सपा की सोशल मीडिया कैंपेनिंग का जिम्मा भी डिंपल ने ही उठाया था। डिंपल यादव जहां कांग्रेस की सबसे कद्दावर महिला नेता प्रियंका गांधी के समकक्ष खड़ी होने का माद्दा रखती हैं, तो वहीं मायावती को भी कड़ी टक्कर दे सकती हैं।

अखिलेश के साथ हर मोर्चे पर साथ दे रही हैं डिंपल यादव

डिंपल यादव अखिलेश मिजाज में से काफी अलग हैं। डिंपल मॉडर्न वुमन हैं और अखिलेश जमीनी और मिलनसार नेता। अखिलेश यादव राजनीतिक बैकग्राउंड से रहे और डिंपल यादव आर्मी बैकग्राउंड से। हमेशा लो प्रोफाइल रहने वाली डिंपल ज्यादातर मौकों पर अखिलेश के साथ खड़ी नजर आई हैं। जिस तरह से उन्होंने महिलाओं के मुद्दों पर चर्चा की है और राजनीतिक मंचों से महिलाओं से संवाद स्थापित किया है, उससे समाजवादी पार्टी को लेकर महिलाओं के रवैये में बड़ा बदलाव आया है। पहले क्राइम अगेंस्ट वुमन के मामले में समाजवादी पार्टी का रिकॉर्ड कुछ खास नहीं रहा, बलात्कार पर ‘लड़कों से गलती’ जैसे बयान खुद मुलायम सिंह की तरफ से आए, लेकिन डिंपल यादव अब इन कमियों को प्रभावी तरीके से पूरा कर रही हैं। यूपी चुनाव के दौरान जारी हुए सपा के वीडियो ‘अपने तो अपने होते हैं’ का आइडिया डिंपल यादव का ही था।

जहां अखिलेश यादव अपनी रैलियों में विकास और सड़क और इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि की बात करते हैं, वहीं डिंपल अपनी रैलियों में महिलाओं के हक में आवाज उठाती हैं, महिला अधिकारों की बात करती हैं। यूपी से खड़ी होने वाली महिला प्रत्याशितों के लिए डिंपल ने खुलकर चुनाव प्रचार किया था। डिंपल की चुनावी रैलियों में महिलाओं की तादाद अच्छी-खासी होती है। पिछले कुछ सालों में डिंपल यादव की नेतृत्व क्षमता में जिस तरह का बदलाव आया है, उससे साफ है कि आने वाले समय में वह नई ऊंचाइयों को छू सकती हैं।

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