रामचरितमानस एक ऐसा धार्मिक ग्रंथ है जिसका नियमित पाठ और इसकी सच्चे मन से की गई पूजा किसी भी व्यक्ति की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करती है। इसमें लिखे गए हर एक दोहे और चौपाई का अलग महत्व और मतलब है और ये जीवन के सत्य को परिलक्षित करती है। ऐसा माना जाता है कि जिस घर में नियमित रूप से रामचरितमानस का पाठ होता है उस घर में कभी भी कोई परेशानी नहीं आ सकती है और उस घर के लोगों का मन भी साफ होता है।
इस पवित्र ग्रंथ का पाठ व्यक्ति के लिए मोक्ष के द्वार खोलने में मदद करता है। रामचरितमानस, भगवान राम और रावण के जीवन की कहानी कहता है और यह ग्रंथ निरंतर आगे बढ़ते हुए विजय प्राप्ति की प्रेरणा देता है। इस पवित्र ग्रंथ की सभी चौपाइयां मनुष्य को मुसीबतों से बाहर आने में मदद करती हैं। लेकिन इस ग्रंथ के पाठ के लिए कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है जिससे किसी भी तरह का नकारात्मक प्रभाव न पड़ सके। आइए Life Coach और Astrologer, Sheetal Shaparia जी से जानें कि अगर आप घर पर रामचरितमानस का पाठ करती हैं तो आपके लिए किन नियमों का पालन करना जरूरी है।
कई घरों में घर के बड़े बुजुर्ग नियमित रूप से रामचरितमानस का पाठ करते हैं। इस ग्रन्थ का नियमित पाठ करने वालों के लिए कुछ खास नियम बनाए गए हैं, जिसका असर आपके जीवन पर सीधे ही पड़ता है। कुछ लोग नियम से इसकी कुछ चौपाइयों या फिर इसके भीतर लिखे काण्डों का पाठ करते हैं। इसलिए उन्हें कुछ नियमों का पालन जरूर करना चाहिए।
शीतल जी बताती हैं कि यदि आप संपूर्ण रामचरित मानस का पाठ कर रहे हैं तो इसे 24 घंटे तक लगातार पढ़ा जाता है। इस पाठ के दौरान किसी भी असुविधा से बचने के लिए सारी तैयारियां पहले से ही कर लेनी चाहिए और सभी सामग्रियों को उपलब्ध करके ही पाठ करना चाहिए।
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रामचरित मानस का पाठ शुरू करने से पूर्व सभी देवताओं की प्रतिमापूर्व की ओर मुख करके एक मंच पर स्थापित करें। पूजा में तुलसी की पत्तियां अवश्य रखें। भगवान राम, देवी सीता, भगवान हनुमान, भगवान गणेश, भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्तियां स्थापित करें। भगवान राम की मूर्ति के सामने, चावल के ढेर पर पानी के साथ कलश रखें।
जब आप अखंड रामचरित मानस का पाठ कर रहे हैं तो कलश के मुख में पांच आम या पान के पत्ते रखकर नारियल से ढक दें। नारियल और कलश दोनों को मौली के धागे से बांधें। कुमकुम से कलश पर स्वास्तिक (घर के मंदिर में इस तरह बनाएं स्वास्तिक) और पांच बिंदु बना लें। एक तरफ सुपारी, लौंग, इलायची, मिश्री और अन्य प्रसाद रखें। जबकि दूसरी तरफ फल, फूल और भोग रखें।
रामचरित मानस के पाठ के समापन पर सभी भक्तजनों को श्रद्धापूर्वक मिलकर आरती करनी चाहिए और आरती के पश्चात हवन करें। पुजारी तब पूजा सामग्री, नवग्रह समिधा और अंत में पूर्णाहुति और आरती करके हवन करते हैं तब अखंड रामचरित मानस के पाठ को सफलतापूर्वक पूर्ण माना जाता है। पूजा पूरी होने के बाद, ब्राह्मणों को भोग अवश्य परोसें और प्रसाद बाकी भक्त मंडली को सौंप दें। ऐसा माना जाता है कि अखंड रामायण का भोग ग्रहण करना सौ जन्मों के पुण्य फलों के समान होता है।
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यहां बताए गए सभी नियमों का पालन करके ही घर में रामचरितमानस का पाठ करना चाहिए जिससे समस्त पापों से मुक्ति मिले और मनोकामनाओं की पूर्ति हो। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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