मैटरनिटी इंश्योरेंस एक ऐसा इंश्योरेंस प्लान होता है, जो प्रेग्नेंसी और डिलीवरी से जुड़े खर्चों को कवर करता है। यह महिलाओं को फाइनेंसियल सिक्योरिटी की सुविधा देता है और उन्हें अपने बच्चे को जन्म के अच्छे इलाज मिलने में काफी मदद करता है। आइए आज हम अपने एक्सपर्ट सिद्धार्थ सिंघल से बातचीत में मैटरनिटी इंश्योरेंस लेने से पहले इन इंटरेस्टिंग फैक्ट्स के बारे में जानते हैं।
पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के हेल्थ इंश्योरेंस सेक्शन में बिजनेस हेड पद पर तैनात सिद्धार्थ सिंघल बताते हैं कि परिवार नियोजन यानी फैमिली प्लानिंग बहुत ही जरूरी है, इसके अंतर्गत परिवार बढ़ाने से लेकर बच्चे के जन्म के बाद के खर्चों को ध्यान में रखकर सभी फैसले लिए जाते है। कुछ मामलों में, किसी कपल को पैरेंट्स बनने की यात्रा शुरू करने से पहले आईवीएफ या इलाज के अन्य कोर्स को लेने की सलाह दी जा सकती है। लेकिन इसमें आपका बहुत सारा पैसा खर्च हो सकता है।
वहीं, इसमे मैटरनिटी बेनिफिट के साथ हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी भी मदद कर सकती है। पैरेंट्स बनने से पहले मैटरनिटी इंश्योरेंस के बारे में सोचना काफी अहम फैसला हो सकता है। असल में पहले पॉलिसी होल्डर को मैटरनिटी कवरेज शुरू होने से पहले कम से कम 2 से 4 साल के वेटिंग पीरियड को पूरा करना पड़ता था। लेकिन अब कस्टमर्स की बदलती जरूरतों को देखते हुए, हेल्थ इंश्योरेंस इंडस्ट्री अपनी योजनाओं में लगातार बदलाव कर रही है और कई इंश्योरेंस प्रोवाइडर काफी कम वेटिंग पीरियड वाली योजनाओं को पेश कर रहे हैं। कुछ योजनाएं ऐसी भी है जिनमें केवल 9 महीने के वेटिंग पीरियड को पूरा करना होता है।
आईवीएफ और इससे जुड़े इलाजों की सुविधा
यह बदलाव बिना देरी के कहीं ज्यादा बेहतर परिवार नियोजन की सुविधा देता है। हाल ही में, आईवीएफ और इससे जुड़े इलाजों की सुविधा के लिए हेल्थ केयर इंडस्ट्री में काफी डेवलपमेंट देखे गए हैं। ये न्यू ऐज हेल्थ पॉलिसी न केवल आईवीएफ से जुड़े खर्चों को कवर करती हैं, बल्कि अन्य असिस्टेड रिप्रोडक्टिव ट्रीटमेंट्स के लिए भी कवरेज बढ़ाती हैं। इंश्योरेंस इंडस्ट्री में आई बढ़ोत्तरी के साथ, इन रिप्रोडक्टिव ट्रीटमेंट्स के लिए वेटिंग पीरियड में भी काफी कमी आई है।
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नए लॉन्च किए गए मैटरनिटी इंश्योरेंस प्लान बड़े पैमाने पर कवरेज की सुविधा मुहैया करती हैं, जिसमें पहले से ही पूरे किए गए वेटिंग पीरियड को पति या पत्नी को दिया जाएगा, गर्भावस्था के खर्च, डिलीवरी से पहले और डिलीवरी के बाद के काउंसलिंग, असिस्टेड रिप्रोडक्टिव ट्रीटमेंट्स और इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट्स, सरोगेसी और सरोगेट माताओं के लिए डिलीवरी, एक बच्चे को गोद लेने और एक नवजात शिशु के टीकाकरण के खर्च के लिए शुल्क शामिल हैं।
मैटरनिटी इंश्योरेंस लेने से पहले आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए
1. कवरेजकी विविधता
कई मैटरनिटी इंश्योरेंस प्लान अलग-अलग प्रकार के कवरेज देते हैं। कुछ प्लान केवल नॉर्मल डिलीवरी को कवर करते हैं, जबकि अन्य सिजेरियन सेक्शन को भी कवर करते हैं। कुछ प्लान में नवजात शिशु के लिए भी कवरेज शामिल होता है।
2. प्रीमियम
मैटरनिटी इंश्योरेंस प्लान का प्रीमियम आपकी उम्र, स्वास्थ्य और प्लान द्वारा प्रदान किए जाने वाले कवरेज के आधार पर निर्धारित होता है। आमतौर पर, यंग और हेल्दी महिलाओं को कम प्रीमियम का पेमेंट करना पड़ता है।
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3. इंश्योरेंस क्लेम
मैटरनिटी इंश्योरेंस प्लान के तहत क्लेम करने के लिए आपको मेडिकल रिपोर्ट, अस्पताल के बिल और जन्म प्रमाण पत्र देने पड़ सकते हैं।
4. टैक्स में लाभ
भारत सरकार मैटरनिटी इंश्योरेंस पर टैक्स लाभ प्रदान करती है। आप धारा 80D के तहत मैटरनिटी इंश्योरेंस प्रीमियम पर पेमेंट किए गए टैक्स का कटौती पा सकते हैं।
5. प्लानों की तुलना
कुछ मैटरनिटी इंश्योरेंस प्लान में इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट और आईवीएफ जैसी प्रक्रियाओं को भी कवर किया जाता है। इसलिए मार्केट में सभी प्लानों की तुलना कर लेनी चाहिए।
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