लाल-गुलाबी रंग का तो खूब पढ़ा होगा इतिहास, क्या आपको पता है ग्रीन कलर की हिस्ट्री? जानें Interesting Facts

हरे रंग की चूड़ियां और साड़ी तीज और त्योहार पर महिलाएं खूब शौक के साथ पहनती हैं। लेकिन, क्या आप जानती हैं ग्रीन कलर का इतिहास क्या है? अगर नहीं, तो आइए यहां इस बारे में डिटेल से जानते हैं।
history of green color

हरे-भरे पेड़ और पौधे आंखों को खूब सुकून देते हैं। सुहागिन महिलाएं तीज-त्योहार पर जब प्रकृति के इस रंग यानी हरी चूड़ियां और साड़ी पहनकर निकलती हैं, तो लोग तारीफों के पुल बांध देते हैं। लेकिन, जब विवाद छिड़ता है तब भी यह रंग सबसे ज्यादा सुर्खियों का हिस्सा बनता है। जी हां, इसके पीछे की वजह साफ है कि हरे रंग को एक धर्म विशेष से जोड़कर देखा जाता है। इन दिनों भी हरे रंग से जुड़ी कई खबरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, पर यहां हम इसपर नहीं बल्कि, बल्कि ग्रीन कलर का इतिहास लाए हैं।

जब भी रंगों के इतिहास की बात होती है तब सबसे पहले लाल, गुलाबी और नीले रंग का ही जिक्र किया जाता है। लेकिन, क्या आपने कभी हरे रंग का इतिहास जानने की कोशिश की है? प्रकृति, शांति और ताजगी के प्रतीक इस रंग के इतिहास में कई दिलचस्प कहानियां और तथ्य छिपे हैं। आइए, यहां जानते हैं हरे रंग का इतिहास और यह कब एक धर्म विशेष से जोड़कर देखा जाने लगा।

क्या है हरे रंग का इतिहास?

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हर रंग की एक कहानी होती है। ऐसे में हरे रंग की भी एक दिलचस्प कहानी है। हमारे आस-पास यह रंग शुरू से रहा है, लेकिन पेंटिंग्स और कपड़ों में ग्रीन कलर का इस्तेमाल कैसे होना शुरू हुआ यह जानना दिलचस्प हो सकता है। प्रकृति में चारों तरफ दिखने वाला हरा रंग बनाना आसान नहीं रहा है। पब्लिक डोमेन में मौजूद जानकारी के मुताबिक, प्राचीन मिस्त्र के लोगों ने खनिज मैलाकाइट से हरा रंग बनाने की कोशिश की थी। लेकिन, यह प्रकिया महंगी थी और जल्द ही हरा रंग काले में बदल जाता था।

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मौजूदा जानकारी के मुताबिक, प्राचीन रोमनों ने तब एक समाधान निकाला और तांबे की प्लेटों को शराब में भिगोया। इस प्रक्रिया से वर्डीग्रिस तैयार हुआ, जो मेटल के वेदरिंग से मिलने वाला ग्रीन पिगमेंट था। मध्यकाल में इस प्रक्रिया का इस्तेमाल पांडुलिपियों को रंगने के लिए भी किया जाता था। रोम के लोगों ने हरे रंग को विजय और वसंत से भी जोड़ा था।

मध्य युग तक आते-आते रंगों का इस्तेमाल लोगों की पहचान के लिए होने लगा था। ऐसा कहा जाता है कि लाल रंग उच्च वर्ग के लोग पहना करते थे, वहीं भूरा और ग्रे किसानों का रंग हुआ करता था। तब हरा रंग व्यापारियों, बैंकर्स और समाज में ऊंचा दर्जा रखने वाले लोग पहना करते थे।

हरे रंग का साइंस और मनोविज्ञान से भी है कनेक्शन

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पब्लिक डोमेन में मौजूद जानकारी के मुताबिक, हरा रंग विजुअल स्पेक्ट्रम में 520 से 570 नैनोमीटर के बीच आता है। ऐसे में इसे आंखों के लिए अच्छा माना जाता है। इसी साइंटफिक रीजन का मनोविज्ञान से कनेक्शन है। हर रंग आंखों को आराम देता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है। यही वजह है कि हरे-भरे पेड़ और पौधे देखकर स्ट्रेस दूर होता है।

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इस्लाम में है हरे रंग का महत्व

इस्लामिक स्थलों पर हरे रंग का भरपूर इस्तेमाल देखने को मिलता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस्लाम धर्म की स्थापना करने वाले पैगंबर मोहम्मद हमेशा हरा रंग पहना करते थे। हरे रंग को वह खुशियों और समृद्धि का प्रतीक मानते थे। इस्लाम की कई धार्मिक रचनाओं में हरे रंग को जन्नत से भी जोड़ा गया है। यही वजह है कि इस्लाम धर्म से जुड़ी इमारतें, दरगाह आदि में ज्यादातर हरे रंग का इस्तेमाल देखने को मिलता है।

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Image Credit: Freepik

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