हिंदू कैलेंडर के हिसाब से फागुन का महीना 12वां और अंतिम महीना होता है। मगर इस महीने का धार्मिक और सामाजिक दोनों तरह से महत्व बताया गया है। खासतौर पर फाल्गुन की पूर्णिमा बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होती है।
इस दिन कई महत्वपूर्ण कार्य किए जा सकते हैं। इस वर्ष 6 मार्च को दोपहर 4 बजकर 17 मिनट पर पूर्णिमा की शुरुआत होगी और 7 मार्च को 6 बजकर 9 मिनट पर पूर्णिमा समाप्त हो जाएगी।
ऐसे में हमने पंडित मनीष शर्मा से जाना कि यह दिन हिंदू धर्म के हिसाब से क्यों महत्वपूर्ण होता है और इस दिन कौन से शुभ काम आप कर सकती हैं।
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फाल्गुन पूर्णिमा के दिन पूजा
फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और इस दिन सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक कई लोग व्रत भी रखते हैं। इस पूर्णिमा के दिन मन में किसी के लिए भी बुरा विचार लेकर आना या काम वासना में लिप्त होना भी वर्जित है।
फाल्गुन पूर्णिमा की पूजा की विधि
- पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर आपको स्नान करके साफ कपड़े धारण करके भगवान विष्णु के नरसिंह स्वरूप की पूजा करनी चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए। आपको उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके यह पूजा करनी चहिए।
- होलिका दहन के समय तक उपवास रखें और केवल फलाहार ही करें। इसके बाद आप जब होलिका दहन के लिए जाएं तब पहले ही अपने बदन में उबटन लगाएं और साफ जल से स्नान करें।
- घर पर होलिका निर्माण करें। इसके लिए गाय के गोबर का इस्तेमाल करें। इसकी पूजा करें और फिर होलिका दहन की तैयारी करें।
- होलिका दहन के लिए आप जो थाली सजाएं उसमें माला, रोली, पुष्प, सुगंध, कच्चा सूत, गुड़, हल्दी, मूंग दाल, नारियल और गुलाल जरूर रखें। आप इसके साथ ही थाल में 5 से 7 प्रकार का अनाज भी रख सकती हैं।
- होलिका दहन के बाद 5 या 7 बार अग्नि की परिक्रमा जरूर लगाएं। परिक्रमा लगाने के बाद बड़ों का आर्शीवाद लें और चेहरे पर गुलाल चेहरे पर लगाकर सभी से गले मिलें।

फाल्गुन पूर्णिमा के दिन क्या करें और क्या न करें
- आर्थिक परेशानी से जूझ रही हैं तो आपको फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ देवी लक्ष्मी की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
- इस दिन अगर आप श्री सूक्त का पाठ, कनकधारा स्त्रोत और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करती हैं तो आपका मनचाहा कार्य पूरा होगा।
- यदि कुंडली में चंद्र दोष है तो फाल्गुन की पूर्णिमा की रात में चंद्र देव को दूध अर्पित करें और ‘ॐ सों सोमाय नमः’ का जाप रुद्राक्ष की माला के साथ करें।
- फाल्गुन पूर्णिमा की रात में पति-पत्नी को मिलकर चंद्रमा के दर्शन करने चाहिए और उन्हें शहद अर्पित करना चाहिए, ऐसा करने से दांपत्य जीवन मधुर हो जाता है।
- पितरों को खुश करने के लिए आप फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन पिंडदान भी कर सकते हैं।
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