भारतीय सिनेमा के शो मैन कहे जाने वाले राज कपूर की आज पुण्यतिथि है। 14 दिसंबर, 1924 को जन्मे राज कपूर की गिनती भारतीय सिनेमा के इतिहास के सबसे प्रसिद्ध फिल्म अभिनेताओं, निर्माताओं और निर्देशकों में से एक में होती है। उन्होंने हिंदी सिनेमा को कई बेहतरीन फिल्में जैसे अवारा, श्री 420, मेरा नाम जोकर आदि दी हैं।
बॉलीवुड के पहले परिवार की दूसरी पीढ़ी के राज कपूर का निधन 2 जून, 1988 को हुआ। उनका निधन एक बहुत बड़ी क्षति था और उनके निधन के करीबन 34 वर्षों के बाद भी उनके द्वारा बनाई गई फिल्मों को लोग देखना पसंद करते हैं। इतना ही नहीं, उनके जीवन से जुड़े किस्से आज भी मशहूर है। वैसे जब राज कपूर की लाइफ की बात होती है तो नरगिस के साथ उनका रिश्ता या फिर आरके स्टूडियो के बारे में ही लोग बात करते हैं। हालांकि, इससे अलग भी ऐसा बहुत कुछ है, जो राज कपूर के सच्चे फैन को जानना चाहिए। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको राज कपूर की लाइफ से जुड़े कुछ इंटरस्टिंग फैक्ट्स के बारे में बता रहे हैं-
राज नहीं है असली नाम
राज कपूर को राज कपूर या शो मैन कहकर पुकारते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि राज कपूर उनका असली नाम नहीं था, बल्कि राज उनका मिडिल नेम है। उनका असली नाम रणबीर था। जी हां, राज कपूर के पोते रणबीर कपूर का नाम उनके नाम पर ही रखा गया है।
बनना चाहते थे म्यूजिक डायरेक्टर
राज कपूर हमेशा से एक एक्टर नहीं, बल्कि म्यूजिक डायरेक्टर बनने का सपना देखते थे। लेकिन उनके मासूम चेहरे व एक्टिंग स्किल्स को लोगों ने बेहद ही पसंद किया और वह सभी के फेवरेट एक्टर बन गए। इतना ही नहीं, वह 24 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के फिल्म निर्देशक भी बन गए। बहुत कम समय ने राज कपूर ने काफी कुछ हासिल किया था।
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क्लैपर बॉय के रूप में की थी शुरुआत
राज कपूर को लोग एक मल्टीटैलेंटेड पर्सन के रूप में देखते थे। लेकिन क्या आपको पता है कि उन्होंने अपने करियर की शुरुआत किदार शर्मा द्वारा निर्देशित फिल्म विषकन्या (1943) के सेट पर एक क्लैपर बॉय के रूप में की थी। राज हमेशा क्लैपर बजाने से पहले अपने बालों में कंघी करते थे और कैमरे के सामने पोज देते थे।
रियल लाइफ से इंस्पायर्ड होते थे फिल्मी सीन
आमतौर पर, फिल्मों की कहानी काल्पनिक होती है और राइटर उन्हें अपनी कल्पनाशक्ति से गढ़ते हैं। लेकिन राज कपूर की फिल्मों की खासियत यह थी कि उनकी फिल्मों के सीन अक्सर रियल लाइफ इंस्पायर्ड होते थ। मसलन, बॉबी फिल्म में ऋषि कपूर पहली बार डिंपल कपाड़िया से मिलते हैं, वह खुद राज कपूर की लाइफ से इंस्पायर्ड था, जब वह एक अभिनेत्री नरगिस से मिले थे।
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सांस लेने में समस्या से पीड़ित थे
राज कपूर को ब्रीदिंग प्रॉब्लम थी, जिसके कारण उनके करीबी काफी चिंतित रहते थे। यहां तक कि राज कपूर के बेहद करीबी दोस्त ऋषिकेश मुखर्जी को बुरे सपने आते थे कि राज कपूर की तबीयत खराब हो गई थी। उनकी फिल्म आनंद इन्हीं बुरे सपनों से इंस्पायर्ड थी।
नहीं ले पाए दादा साहब फाल्के पुरस्कार
पुरस्कार किसी भी कलाकार को उनके काम की सराहना स्वरूप प्रदान किया जाता है, लेकिन राज कपूर साहब खुद दादा साहब फाल्के पुरस्कार नहीं ले पाए। दरअसल, जिस दिन उन्हें नई दिल्ली में दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिलना था, उन्हें सीने में तेज दर्द हुआ और उन्हें एम्स दिल्ली ले जाया गया। वह एक महीने तक लाइफ सपोर्ट पर थे और फिर कई अंगों के काम नहीं करने के कारण उन्होंने दम तोड़ दिया।
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