एक व्यक्ति जब इस भुलोक में जन्म लेता है, तो अपने साथ बहुत कुछ पिछले जन्म में किए गए कर्मों के फल और अपने पूर्वजों द्वारा किए गए कर्मों का ऋण भी लेकर आता है। ज्योतिष शास्त्र में पितृ ऋण का उल्लेख मिलता है, इसे कई बार लोग पितृ दोष भी कहते हैं। कुंडली में अगर यह दोष नजर आ जाए तो लोग भयभीत होकर इसके उपाय तलाशने लगते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में पितृ ऋण से मुक्ति पाने के बहुत सारे उपाय बताए गए हैं। मगर क्या सच में केवल 15 दिन 1 महीना कोई उपाय करने से इस ऋण से मुक्ति मिल जाती है? इस विषय में बहुत सारी भ्रांतियां हैं। जिन्हें दूर करने के लिए और इस ऋण या दोष को वास्तविक रूप से खत्म करने के उपाय जानने के लिए हमने ग्लोबल फाउंडेशन ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंस की सीईओ एवं एस्ट्रोलॉजर डॉक्टर अनिल मित्रा से बातचीत की।
डॉक्टर अनिल कहते हैं, ' लोग पितृ ऋण को दोष क्यों कहते हैं, इसे समझना मुश्किल है। हमारे पूर्वज हमें प्यार करते हैं इसलिए वह कभी भी हमसे नाराज नहीं होंगे। हां, यह बात जरूर हो सकती है कि उनके द्वारा किए गए कर्मों के कुछ ऋण हमें चुकता करने पड़ें। इसलिए बेहतर होगा कि पितृ दोष की जगह इसे पितृ ऋण कहा जाए।'
डॉक्टर अनिल मित्रा ने हमें यह भी बताया कि पितृ दोष कुंडली में लगते कैसे हैं और इनके लक्षण एवं निवारण के क्या उपाय हैं-
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कैसे चढ़ता है पितृ ऋण
व्यक्ति की जन्म कुंडली में 12 भाव होते हैं। 1 भाव लग्न का होता है। पंचम भाव संतान का और नवम भाव पूर्वजों का होता है। इससे कुंडली में त्रिकोण बनता है। अब यह समझना होगा कि पितृ ऋण व्यक्ति पर कैसे चढ़ता है। इस पर डॉक्टर अनिल मित्रा कहते हैं, 'पितृ ऋण के संबंध में सूर्य, चंद्र और मंगल ग्रह(मंगल दोष के उपाय)बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि नवम भाव में सूर्य नकारात्मक ऊर्जा से ग्रसित है, तो पितृ ऋण व्यक्ति पर चढ़ जाता है। यह कितना अधिक है यह राहु और शनि ग्रह की दशा पर निर्भर करता है। मगर यहां यह बात जान लेना बहुत जरूरी है कि पितृ ऋण चुकाने के लिए 7 पीढ़ियां लग जाती हैं।'
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पितृ ऋण के लक्षण
- यदि पितृ ऋण पंचम भाव से संबंध रखता है तो बच्चा होने में दिक्कतें आती हैं। कई बार तो बच्चा होता ही नहीं है।
- यदि पितृ ऋण सप्तम भाव से संबंध रखता है तो शादी में रुकावट आती है या फिर शादी हो ही नहीं पाती है।
- पितृ ऋण होने पर जातक को किसी भी काम में सफलता नहीं मिल पाती है फिर चाहे वह कितनी ही मेहनत कर ले।
- पितृ ऋण होने पर जातक हमेशा शारीरिक या मानसिक रूप से परेशान रहता है। इस अवस्था में उसे अनुवांशिक बीमारियां भी हो जाती हैं।

पितृ ऋण के निवारण के उपाय
- पितृ ऋण जरूरी नहीं है कि कोई उपाय करने से उतर ही जाए, मगर यह कम जरूर हो सकता है। इसके लिए डॉक्टर अनिल मित्रा कुछ उपाय भी बताते हैं।
- अपनी भावनाओं और कर्मों को शुद्ध रखें। आज के दौर में अपने जीवन यापन के लिए कई बार व्यक्ति को छल-कपट का सहारा लेना पड़ता है, मगर पितृ ऋण कुंडली में है, तो ऐसा करने से बचें।
- पितृ ऋण का संबंध सूर्य ग्रह से होता है। इसलिए नियमित रूप से सूर्य को जल अर्पित करें। यह पितृ ऋण को कम करने का सबसे सरलतम और प्रभावी उपाय है।
- घर में नकारात्मकता है या कोई बीमार है कि आपको घर में नियमित पूजा के दौरान कपूर जरूर जलाना चाहिए, यह घर में पॉजिटिव एनर्जी लाता है।
- आपको अगरबत्ती का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए बल्कि इसकी जगह आपको धूप का इस्तेमाल करना चाहिए। अगरबत्ती बांस की बनी होती है, वेदों और पुराणों में बताया गया है बांस पॉजिटिव ऊर्जा पैदा करता है, लेकिन उसे जलाने पर नेगेटिव ऊर्जा पैदा होती है।
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