कम्युनिकेशन एक दो तरफा रास्ता है। जिस तरह आप अपनी बात सामने वाले को बताना चाहती हैं, ठीक उसी तरह उसके पक्ष को सुनना व समझना भी जरूरी है। हालांकि ऐसा देखने में मिलता है कि लोग अपनी बात तो कहते हैं लेकिन दूसरे की सुनते नहीं है। जिसके कारण किसी भी रिश्ते में मनमुटाव व झगड़ा बढ़ने लगता है। इसलिए कहा जाता है कि स्पीकिंग स्किल्स के साथ-साथ आपमें लिसिंनंग स्किल्स भी उतने ही बेहतर होने चाहिए। हालांकि यह समस्या सिर्फ बड़ों में ही नहीं देखी जाती, बल्कि बच्चे भी अमूमन यही व्यवहार अपनाते हैं। वैसे भी बच्चों का स्वभाव चंचल होता है और वह सिर्फ अपनी बात पहले खत्म करना चाहते हैं। लेकिन अक्सर वह बड़ों की या दूसरों की बात पर गौर ही नहीं करते, हालांकि यह स्वभाव आगे चलकर उनके लिए परेशानी खड़ी करता है। इसलिए बच्चों में शुरू से ही लिसिंनंग स्किल्स को डेवलप करना जरूरी होता है। इसके लिए आपको बहुत कुछ करने की जरूरत नहीं है। अगर आप कुछ छोटी-छोटी एक्टिविटी अपनाती है तो उसके जरिए भी आप बच्चों को एक बेहतरीन श्रोता बना सकती हैं। तो चलिए जानते हैं इन एक्टिविटीज के बारे में-
बनें रोल मॉडल
बच्चों के सबसे पहले रोल मॉडल उनके माता-पिता ही होते हैं। इसलिए अगर आप चाहती हैं कि बच्चे एक बेहतरीन श्रोता बनें तो उसके लिए पहले आपको उनकी बात धैर्यपूर्वक सुनने की आदत डालनी होगी। अमूमन बच्चों की अपनी मम्मी से यही शिकायत होती है कि मम्मी आप तो मेरी बात सुनते ही नहीं। इस तरह फिर उन्हें भी अपने पैरेंट्स की बात सुनने में कोई दिलचस्पी नहीं होती। (करें सिंगल चाइल्ड की बेहतरीन परवरिश) इसलिए अगर बच्चा आपसे कुछ कह रहा है तो आप ध्यानपूर्वक उसकी बात सुनें। जब वह अपनी बात खत्म कर ले, तब आप उसे अपना पक्ष बताएं। उस समय यकीनन वह आपकी बात सुनना चाहेगा।
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कहानी का सहारा
कहानियां सुनना अक्सर बच्चों को अच्छा लगता है। वहीं दूसरी ओर, इससे उनके लिसनिंग स्किल्स भी शार्प होते हैं। इसलिए आप हर रात उन्हें एक कहानी सुनाएं और उससे कहें कि अगर वह बीच में टोकता है तो आप कहानी को वहीं छोड़ देंगी और अगले दिन कंप्लीट करेंगी। हो सकता है कि शुरूआत में बच्चा अपने चंचल स्वभाव के कारण आपको बीच में टोक दे।(बच्चे को सिखाएं पैसे बचाने का हुनर) लेकिन धीरे-धीरे उसमें धैर्य आ जाएगा। इसके अलावा आप कोई ऐसी कहानी भी उसे सुनाएं, जिसमें एक व्यक्ति द्वारा सामने वाले व्यक्ति की बात ना सुनी जाने पर बहुत बड़ी गलतफहमी पैदा हुई और फिर बाद में दोनों का नुकसान हुआ। इससे भी उन्हें समझ आएगा कि सामने वाले व्यक्ति की बात सुनन कितना जरूरी है।
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खेलें खेल
बच्चों में किसी भी तरह के गुणों का संचार उन्हें कहकर नहीं किया जा सकता, बल्कि वह खेल के माध्यम से अधिक सीखते हैं। इसलिए आप अन्य बच्चों के साथ मिलकर उसे खेलने के लिए कहें। उसमें वह कोई स्पीच गेम खेल सकते हैं। जिसमें जब एक बच्चा बोलेगा, तो अन्य सभी को शांत रहना होगा और आखिरी में उस स्पीच से जुड़ा क्वीज आप सभी के साथ खेलेंगी। इससे भी बच्चें को सामने वाले व्यक्ति की बात ध्यान से सुनने की प्रैक्टिस होती है।(इफेक्टिव टिप्स जो करेंगे आपके बच्चे का बेहतर विकास)
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