बदलते जमाने के साथ लोगों की सोच में भी परिवर्तन आया है। आज के समय में कपल चाहते हैं कि वह अपने बच्चे को बेहतरीन परवरिश दें और इसलिए अधिकतर कपल्स सिंगल चाइल्ड को ही प्राथमिकता देते हैं। उनकी यही सोच होती है कि भले ही बच्चा एक हो, लेकिन वह उसे हर खुशी मुहैया कराएं। यकीनन आपकी सोच काफी अच्छी है, लेकिन सिंगल चाइल्ड के पैरेंट होना इतना भी आसान नहीं है। जब घर में एक ही बच्चा होता है तो इससे बच्चे पर कई बार नकारात्मक असर भी पड़ता है। वह छोटी-छोटी बातों पर जिद कर सकता है या फिर घर में अकेले होने के कारण उसे अपने भाई-बहनों के साथ खेलने का मौका नहीं मिल पाता। अक्सर देखने में आता है कि सिंगल चाइल्ड या तो काफी जिद्दी व शरारती होते हैं या फिर काफी इंट्रोवर्ट। ऐसे बच्चों को किसी भी नए व्यक्ति से मिलने-जुलने या दोस्ती करने में काफी झिझक होती है, वह अपने पैरेंट्स पर ही काफी निर्भर होते हैं।
अक्सर कहा जाता है कि सिंगल चाइल्उ अकेलेपन से पीड़ित हो सकता है और भाई-बहन वाले बच्चों की तरह सामाजिक नहीं हो सकता है। ऐसे में यह पैरेंट्स की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने बच्चे को अकेलेपन से दूर करके उसमें सोशल स्किल्स को डेवलप करने में मदद करें। तो चलिए आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बता रहे हैं, जो सिंगल चाइल्ड की परवरिश में आपके काफी काम आएंगे-
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दोस्त बनाने में मदद करें
बतौर पैरेंट्स आप भले ही अपना सारा प्यार व केयर उसे दें, लेकिन फिर भी वह अकेलापन महसूस कर सकता है, क्योंकि छोटी उम्र में बच्चे अपनी ही उम्र के दूसरे बच्चों का साथ पसंद करते हैं। ऐसे में बच्चे में सोशल स्किल्स डेवलप करने के लिए और उसका अकेलापन दूर करने के लिए आप उसकी कुछ नए दोस्त बनाने में मदद करें। आप यह सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा social gatherings का हिस्सा बने। इसके लिए आप अपने बच्चे को पार्क में टहलने के लिए ले जाएं, उसे एक हॉबी क्लास या समर्स कैंप में दाखिला दिलाएं या उन्हें चचेरे भाई और अन्य रिश्तेदारों के बच्चों के साथ जितनी बार संभव हो बातचीत करने दें। इस तरह social gatherings से बच्चा कभी अकेला महसूस नहीं करता और दूसरे दोस्तों के साथ रहकर वह कई नई चीजें भी सीखता है।मां-बेटी साथ में लें इन 10 एक्टिविटीज का मजा
बनाएं कुछ नियम
अक्सर ऐसा देखा जाता है कि जिन घरों में सिर्फ एक ही बच्चा होता है, वहां पर बच्चे स्वभाव से थोड़े नखरैल व कुछ ज्यादा ही जिद्दी होते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बचपन से माता-पिता बच्चे पर जरूरत से ज्यादा प्यार लुटाते हैं, उसकी हर डिमांड को एकदम से पूरा कर देते हैं। इस कारण बच्चे का स्वभाव ही डिमांडिंग हो जाता है और बाद में अपनी इच्छा पूरी ना होने पर वह तरह-तरह की हरकतें करने लगता है। उस समय पैरेंट्स को समझ ही नहीं आता कि वह बच्चे को किस तरह हैंडल करे। इसलिए शुरूआत से ही कुछ ग्राउंड रूल्स बनाएं, ताकि बच्चे की उम्मीदें वास्तविक हों और वह थोड़ा रिस्पान्सिबल भी बने। भले की किसी भी डिमांड को बिना सोचे-समझे पूरा करने से आप उसका ही नुकसान करती हैं।साल में सिर्फ एक बार मां के साथ घूमने निकल जाएं, रिश्ते में आ जाएंगे यह बदलाव
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सिखाएं शेयरिंग व केयरिंग
जिन घरों में दो या उससे ज्यादा बच्चे होते हैं, वहां पर बच्चे खुद ब खुद चीजों को दूसरों के साथ शेयर करना और एक-दूसरे की केयर करना सीख जाते हैं। लेकिन अगर आप सिंगल चाइल्ड की मदर हैं तो आपको इसके लिए खुद कुछ efforts करने होंगी। दरअसल, ऐसे बच्चों को बचपन से जो भी चीज मिलती है, वह सिर्फ उनकी ही होती है और उन्हें अपनी चीजों को किसी के साथ बांटना नहीं पड़ता। जिसके कारण उनमें दूसरों के साथ शेयरिंग व केयरिंग करने की आदत विकसित नहीं हो पाती। इससे बचने के लिए, आपको अपने बच्चे को यह सिखाने की ज़रूरत है कि टीम भावना क्या है। इसलिए, आप उसे स्कूल और अन्य जगहों पर टीम की गतिविधियों का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित करें। साथ ही बच्चे को उसकी कुछ उसकी पसंदीदा चीजों जैसे खिलौने आदि दोस्तों या चचेरे भाइयों के साथ शेयर करने के लिए कहें।
Image Cdredit:(@freepik)
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