दूसरी शादी करना यानी पुनर्विवाह जीवन की एक नई शुरुआत होती है, जो भावनात्मक और सामाजिक स्थिरता के साथ-साथ कुछ कानूनी पहलुओं को भी जन्म दे सकता है। कई महिलाओं के मन में यह सवाल उठता है कि दूसरी शादी के बाद क्या वे अपने पूर्व पति की संपत्ति पर कोई अधिकार रखती हैं या नहीं? आज हम इस आर्टिकल में आपको तलाकशुदा और विधवा महिलाओं के अधिकारों के बारे में बताने वाले है।
अगर किसी महिला का उसके पति से तलाक हो चुका है, तो उसका पूर्व पति की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं रहता है। तलाक के समय, पति-पत्नी के बीच एक कानूनी सेटलमेंट होता है, जिसमें प्रॉपर्टी के विभाजन और एलिमनी का निर्धारण किया जाता है।
तलाक के समय पति ने अगर अपनी संपत्ति का कोई हिस्सा अपनी एक्स-वाइफ के नाम पर किया है, तो वह उस पर ओनरशिप बनाए रख सकती है। इसके अलावा, तलाक के बाद एक्स-हसबैंड की मौत होने पर उसकी पैतृक संपत्ति और स्व-अर्जित संपत्ति पर महिला का कोई कानूनी अधिकार नहीं होता है।
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अगर तलाक के बाद महिला दूसरी शादी कर लेती है, तो आमतौर पर उसे अपने पूर्व पति से मिलने वाली एलिमनी का अधिकार खत्म हो जाता है। लेकिन, अगर तलाक के दौरान महिला को अपने एक्स-हसबैंड की किसी प्रॉपर्टी पर कोई कानूनी अधिकार मिला था, तो दूसरी शादी के बाद भी संपत्ति महिला की ही बनी रह सकती है।
अगर किसी महिला के पति की मृत्यु हो जाती है, तो पति की संपत्ति पर पत्नी का कानूनी उत्तराधिकार होता है। हालांकि, पति की मौत के बाद अगर महिला दूसरी शादी कर लेती है, तो भी संपत्ति उसके नाम पर ही रहती है, क्योंकि संपत्ति पुनर्विवाह से पहले ही महिला के नाम पर ट्रांसफर हो चुकी थी। इसलिए, उस पर महिला का अधिकार बना रहता है। हालांकि, पहले पति का परिवार पुनर्विवाह के बाद संपत्ति पर दावा कर सकता है।
हिंदू विधवा के पुनर्विवाह अधिनियम 1856 के तहत, अगर महिला अपने पहले पति से तलाक लेकर दूसरी शादी कर लेती है, तो ऐसी स्थिति में उसके एक्स-हसबैंड की प्रॉपर्टी पर उसका कोई अधिकार नहीं रहता है।
इसके अलावा, अगर तलाकशुदा कपल संयुक्त रूप से संपत्ति का मालिक होता है, तो पुनर्विवाह के बाद ओनरशिप का ट्रासंफर ऑटोमैटिकली नहीं होता है। पहले पति- पत्नी तब भी अपना कानूनी हिस्सा बनाए रख सकते हैं, जब तक वे स्वेच्छा से इसे ट्रांसफर नहीं करते हैं।
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अगर कोई महिला पुनर्विवाह करती है, तो भी उसके एक्स-हसबैंड से हुए बच्चों के अधिकार पहले की तरह ही बने रहते हैं। बच्चे अपने पिता की संपत्ति में उत्तराधिकारी बने रहते हैं। इसके अलावा, महिला अगर दूसरी शादी भी कर लेती है, तो भी पहले पति की पैतृक संपत्ति पर बच्चों का कानूनी अधिकार बना रहता है। अगर महिला के पहले पति ने कोई वसीयत तैयार नहीं की थी, तो कानून के हिसाब से संपत्ति बच्चों में बांटी जाएगी। इस पर भी पुनर्विवाह का कोई असर नहीं पड़ेगा।
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