दीयों का त्योहार दिवाली हमारे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन प्रभु श्रीराम, सीता माता और लक्ष्मण जी के साथ 14 साल के वनवास को पूर्ण करने के बाद वापस अयोध्या आए थे। इन सभी के स्वागत के लिए अयोध्या नगर वासियों ने दीयों से सजावट की थी। तभी से यह त्योहार हर साल उत्साह और धूमधाम से लोग मनाते हैं।
लेकिन हमारे देश में कई राज्य ऐसे भी हैं जहां अलग-अलग तरह से इस पर्व को मनाया जाता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि किन राज्यों में अलग तरह से दिवाली मनाई जाती है।
1) गुजरात में ऐसे मानते हैं दिवाली
आपको बता दें कि गुजरात में दिवाली मानने का तरीका थोड़ा अलग है। गुजरात में लोग अपने घरों के बाहर लक्ष्मी माता के लिए लाल रंग से चरणों के निशान बनाये जाते हैं। दिवाली को यहां पर लोग नए साल के रूप में मानते हैं और नए कार्य का आरंभ करना भी बहुत शुभ माना जाता है।
बाकी राज्यों में दिवाली की रात में काजल लगाया जाता है लेकिन गुजरात में लोग अगली सुबह दीए से बना हुआ काजल मुख्य रूप से ज्यादातर महिलाएं ही लगाती हैं। गुजरात में यह एक शुभ प्रथा के रूप में माना जाता है।
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2)पश्चिम बंगाल में दिवाली पर होती है काली जी की पूजा
दिवाली का पर्व बंगाल में काली जी के पूजन के रूप में मनाया जाता है। आपको बता दें कि दिवाली के दिन यहां पर लोग काली जी का पूजन करते हैं और उसे बहुत शुभ माना जाता। काली जी का बंगाल में दक्षिणेश्वर और कालीघाट मंदिर है जहां पर उनकी पूजा को बहुत विधि-विधान से की जाती है।
कई लोग दिवाली के दिन यहां पर काली जी की पूजा करने के लिए आते हैं। यहां पर काली जी पंडाल भी लोग जगह-जगह लगाते हैं। दिवाली की रात बंगाल में लोग रात में अपने घरों पर और मंदिरों पर 14 दीए जलाते हैं। मान्यताओं के अनुसार 14 दीए जलाने से बुरी शक्तियों का नाश होता है।
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3)गोआ में ऐसे मानते हैं दिवाली
गोआ में दिवाली मनाने का तरीका भी काफी अलग होता है। गोआ के लोग दीपावली का त्योहार नरक चतुर्दशी के दिन मनाते हैं। आपको बता दें कि यहां पर दिवाली के दिन नरकासुर का पुतला बनाया जाता है और उस पुतले को गलियों में घुमाया जाता है।
इसके बाद उसका दहन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि गोआ में नरकासुर ने राज किया था। उससे लोग बहुत परेशान रहते थे। कुछ सालों बाद जब उसका वध हुआ उसके बाद से ही यहां पर वह दिन दिवाली के रूप में मनाया जाने लगा।
4)महाराष्ट्र में 4 दिनों तक होती है पूजा
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में दिवाली का त्योहार 4 दिनों तक चलता है। यहां पर पहले दिन वसुर बरस मनाया जाता है जिसमें लोग आरती गाते हुए गाय और बछड़े का पूजन करते हैं।
दूसरे दिन धनतेरस पर्व मनाया जाता है। इसके बाद तीसरे दिन पर नरक चतुर्दशी में सूर्योदय से पहले उबटन करके स्नान की परंपरा को लोग निभाते हैं।
फिर चौथे दिन दिवाली होती है जिसमें लक्ष्मी पूजन के पहले चकली, सेव और मिठाइयां आदि पकवान बनाए जाते हैं।
इन सभी राज्यों के अलावा भी कई सारे राज्यों में अलग तरह से दिवाली मनाने की परंपरा है।
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Image Credit: freepik/pexels
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