ठंड भले ही दस्तक दे ना दे, लेकिन अक्टूबर के अंत से ही हर साल दिल्ली की हवा में स्मॉग की दस्तक जरूर हो जाती है। यह इतना खराब है कि अगर आप दिन भर बाहर रहते हैं, तो लगभग 20-50 सिगरेट आप रोज पीते हों उतना नुकसान होता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप दिल्ली के कौन से इलाके में हैं क्योंकि ऐसी जगहें जहां इंडस्ट्री और फैक्ट्री ज्यादा हैं वहां AQI 1000 पार कर जाता है। AQI या एयर क्वालिटी इंडेक्स 0 से 50 होता है तो ही यह इंसानों और जीव-जंतुओं के लिए सही होता है। 300 से ऊपर जाने पर यह हेल्थ कंडीशन के लिए बहुत ही खराब हो जाता है।
दिल्ली के अधिकतर हिस्सों में AQI इस सीजन में 400 से 500 रहता है। अब सोचिए कि यह कितना खराब हो सकता है।
दिल्ली के मौसम के बारे में अगर आपको नहीं पता है, तो मैं आपको बता दूं कि यह स्मॉग है। हर साल सर्दियों की शुरुआत में होने वाला प्रदूषण ही स्मॉग होता है जिसमें हवा में कोहरे की तरह दिखने वाला धुआं मौजूद होता है जिसमें ऐसे कण होते हैं जिनकी वजह से सांस की बीमारी, दिल की बीमारी, आंखों से जुड़ी बीमारी हो सकती है।
IIT Kanpur के एक रिसर्च पेपर में फॉग, स्मॉग और अलग-अलग तरह की धुंध के बारे में जानकारी दी है। इस स्टोरी का आधार भी वही रिसर्च पेपर है।
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हवा में मौजूद कणों के कारण बहुत सारी चीजें खराब होती दिखती हैं और विजिबिलिटी कम होती है, लेकिन खुद को सुरक्षित रखने के लिए यह जरूरी है कि आप उन सभी चीजों को सही तरह से पहचानें।
क्या होती है धुंध?
इंग्लिश में मिस्ट और हेज जैसे शब्दों से धुंध को डिफाइन किया जाता है। धुंध तब होती है जब हवा में पानी के कण मौजूद होते हैं। अब इसमें मिस्ट (Mist) प्रदूषण वाले कणों के बिना होती है और हेज (Haze) में प्रदूषण के कण मौजूद होते हैं। मिस्ट और हेज दोनों ही धुंध हैं और दोनों ही लगभग एक जैसे दिखते हैं।
क्या होता है कोहरा?
कोहरा भी तभी बनता है जब पानी के कण हवा में आ जाते हैं। जब गर्म पानी हवा में जाकर तुरंत ठंडा हो जाता है और पानी के कण दिखने लगते हैं तब कोहरा आता है। कोहरे में मिट्टी के कण भी मौजूद रहते हैं और धुंध की तुलना में यह थोड़ा भारी लगता है। यहां विजिबिलिटी 200 मीटर से लेकर 0 तक हो सकती है।
कोहरा भी कई तरह का होता है जिसमें रेडिएशन फॉग, वैली फॉग आदि शामिल होता है। जब फॉग की वजह से बर्फ जमने लगती है, तब वह फ्रीजिंग फॉग कहलाता है।
क्या होता है स्मॉग?
स्मॉग टर्म सबसे पहले 20वीं सदी में आई थी। यह लंदन में इस्तेमाल की गई थी जब प्रदूषण के कणों से शहर की हवा जहरीली हो गई थी। स्मॉग मतलब फॉग में मिला हुआ कोहरा। स्मॉग का रंग कुछ पीला सा होता है। इसके अलावा, फॉग में सांस लेना इतना मुश्किल नहीं होता, लेकिन स्मॉग की वजह से सांस आसानी से नहीं जाती है।
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स्मॉग के कारण कफ और खांसी हो सकती है और इसके साथ ही आंखों में जलन भी होती है। इसका कारण यह है कि इसमें ओजोन जैसे कण मौजूद होते हैं। जब नाइट्रोजेन ऑक्साइड जैसे प्रदूषित कण हवा के संपर्क में आते हैं और उन पर सूरज की किरणें पड़ती हैं, तो यह ओजोन जैसी स्थिति बनाते हैं। यह सांस लेने के लिए अच्छा नहीं है और कई लोग इससे अस्थमा का शिकार भी हो सकती है। यह वायु प्रदूषण इतना खतरनाक होता है कि इसके कारण हमारी उम्र के 4 से 10 साल कम हो सकते हैं।
अगर आप स्मॉग के एरिया में रह रहे हैं, तो सबसे जरूरी है कि आप मास्क पहन कर रखें और आंखों के लिए चश्मा जरूर पहनें। इसके अलावा, आंखों को धोते रहें और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से कोई कूलिंग आइड्रॉप प्रिस्क्राइब करवा लें। इसके अलावा, आपको इस बात का भी ध्यान रखना है कि इस दौरान बाहर पार्क में जाकर एक्सरसाइज करना आपके लिए भी नुकसानदेह साबित हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि इस तरह की चीजें अवॉइड करें। अगर कोई समस्या महसूस हो रही है, तो डॉक्टर के पास तुरंत जाएं और सांस के मरीजों का खास ख्याल रखें।
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