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रामायण और रामचरितमानस में क्या है अंतर?

रामचरितमानस और रामायण दोनों ही हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ हैं, जिनमें भगवान श्रीराम के जीवन और उनके आदर्शों का वर्णन किया गया है। 
Editorial
Updated:- 2025-02-13, 14:37 IST

आप में से बहुत से लोगों के घरों में रामायण या फिर रामचरितमानस अवश्य होगी जिसका पाठ आप करते होंगे। रामचरितमानस और रामायण दोनों ही हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ हैं, जिनमें भगवान श्रीराम के जीवन और उनके आदर्शों का वर्णन किया गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दोनों में अंतर क्या है। आइये समझते हैं इस विषय में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।

क्या है रामायण?

ramcharitmanas aur ramayan kaise alag hain

रामायण महाकाव्य महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित है। इसे संस्कृत में लिखा गया था और यह सबसे पुराना और प्रमुख ग्रंथ माना जाता है।

रामायण में लिखित संस्कृत भाषा अत्यधिक शास्त्रीय और जटिल शब्दों में मौजूद है, जिसे आम लोगों के लिए समझना कठिन हो सकता है।

रामायण में कुल सात कांड हैं- बाल कांड, अयोध्य कांड, अरण्य कांड, किष्किन्धा कांड, सुंदर कांड, युद्ध कांड, और उत्तर कांड।

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वाल्मीकि रामायण में भगवान राम का जीवन मुख्य रूप से एक ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है।

वाल्मीकि रामायण में भगवान राम को एक आदर्श व्यक्ति, राजा, और धर्मनिष्ठ पात्र के रूप में दिखाया गया है।

रामायण का पाठ हमें मुख्य रूप से नैतिकता, नीति, और धर्म का पालन करने के बारे में सिखाता है जो आज के जीवन में आवश्यक है।

वाल्मीकि रामायण में राम को एक आदर्श पुरुष के रूप में प्रस्तुत किया गया है। वह एक राजा, पुत्र, और पति के रूप में आदर्श व्यक्तित्व हैं।

क्या है रामचरितमानस?

kya hai ramcharitmanas

रामचरितमानस संत तुलसीदास द्वारा लिखा गया है। तुलसीदास जी ने इसे हिंदी भाषा में लिखा था ताकि सामान्य लोग भी इसे समझ सकें।

रामचरितमानस हिंदी में रचित है, विशेष रूप से अवधी भाषा में। इसकी भाषा सरल और सरस है, जो साधारण जनों के लिए अधिक सुलभ है।

रामचरितमानस में भी कुल सात कांड हैं- बाल कांड, अयोध्या कांड, अरण्य कांड, किष्किन्धा कांड, सुंदर कांड, लंका कांड, और उत्तर कांड।

तुलसीदास ने रामचरितमानस को एक भक्तिपूर्ण दृष्टिकोण से लिखा है, जिसमें श्री राम को दिव्य पुरुष नहीं बल्कि साक्षात भगवान कहा गया है।

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तुलसीदास ने रामचरितमानस को भक्ति के तत्व को प्रमुख बनाते हुए लिखा है। इसका उद्देश्य भक्ति, श्रद्धा, और ईश्वर की आराधना से जोड़ना है।

तुलसीदास की रामचरितमानस की लोकप्रियता सभी स्थानों में अधिक है विशेष रूप से उत्तर भारत में, क्योंकि इसे आम लोगों के लिए लिखा गया था।

इसमें हिंदी काव्य की छंदबद्ध शैली का प्रयोग किया गया है, विशेष रूप से अवधी में। तुलसीदास की शैली अधिक भावपूर्ण और भक्तिपूर्ण है।

तुलसीदास ने श्री राम को भगवान रूप में चित्रित किया है। श्री राम का जीवन भगवान के रूप में एक दिव्य व्यक्तित्व को प्रस्तुत करता है।

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