हमारे सनातन धर्म में ऐसे कई रहस्य हैं जिन्हें भेद पाना संभव नहीं है या यूं कहें कि समझना मुश्किल है। उदाहरण के तौर पर, ज्यादातर लोग यह समझते हैं कि नागा साधु और तांत्रिक एक ही होते हैं जबकि ऐसा नहीं है। दोनों में बहुत बड़ा अंतर है। वहीं, कुछ लोगों को यह पता भी है कि दोनों अलग-अलग हैं लेकिन वह मूल रूप से अंतर को नहीं जानते हैं। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें विस्तार में बताया कि आखिर नागा साधु तांत्रिकों से कैसे भिन्न होते हैं।
कौन होते हैं नागा साधु?
नागा साधु में पुरुष और महिलाएं दोनों होते हैं, लेकिन सिर्फ पुरुष ही नग्न अवस्था में रहते हैं। महिलाओं को भगवा रंग के वस्त्र धारण करने की आज्ञा होती है।
नागा साधु अखाड़ों से जुड़े होते हैं। इनकी तपस्या की क्रिया पूर्ण रूप से सात्विक होती है। नागा साधु ध्यान और योग के माध्यम से शरीर को मजबूत बनाते हैं।
नागा साधु सांसारिक गतिविधियों से दूर रहते हैं। नागा साधु भगवान शिव के साधाक होते हैं और इनकी तपस्या एवं साधना सिर्फ जग कल्याण हेतु होती है।
नागा साधुओं को लेकर ऐसा भी कहा जाता है कि ये अपनी साधना के लिए बहुत गुप्त स्थान का चयन करते हैं ताकि इनकी साधना में कोई अवरोध न हो।
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वहीं, ऐसा कहा जाता है कि अगर किसी भी सामान्य मनुष्य द्वारा इनकी पूजा में कोई विघ्न आ जाए तो ये क्रोध के कारण उन्हें हानि भी पहुंचा सकते हैं।
नागा साधुओं को लेकर एक धारणा यह भी कहती है कि अपनी साधने के लिए ये इतने विशिष्ट होते हैं कि उसका भंग होना इन्हें इसी रूप में स्वीकार्य नहीं।
नागा साधु मंत्र साधना करते हुए भगवान शिव को प्रसन करते हैं और उनके दोनों शांत एवं क्रोध रूपों का ध्यान धरते हैं। धर्म की रक्षा करते हैं नागा साधु।
नागा साधुओं को युद्ध कला में पारंगत माना जाता है। समय आने पर या किसी भी विषम परिस्थिति में नागा साधु युद्ध तक कर जीत प्राप्त कर सकते हैं।
कौन होते हैं तांत्रिक?
तांत्रिक पूर्ण रूप से वस्त्र धारण कर सकते हैं। तांत्रिकों में अधिकतर पुरुष ही होते हैं। बहुत कम ऐसा देखने को मिलता है कि महिला द्वारा तंत्र विद्या की जाए।
तांत्रिक अखाड़ों से जुड़े हुए नहीं होते हैं। ये व्यक्तिगत रूप से साधना करते हैं यानी कि अकेले रहते हैं। यह तंत्र विद्या को ज्यादा महत्व प्रदान करते हैं।
तांत्रिक सामाजिक रूप से काफी एक्टिव होते हैं और भगवान शिव के रौद्र रूपों की ही पूजा करते हैं। तांत्रिक की साधना उसके निजी हित के लिए होती है।
तांत्रिक गुफाओं के बजाय शमशान में निवास करते हैं और शवों के माध्यम से अपनी साधना की क्रिया को पूर्ण करते हैं। इनकी साधना में शव महत्वपूर्ण है।
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तांत्रिक जहां एक ओर अपने कल्याण के लिए साधना करते हैं तो वहीं, किसी और के पतन के लिए भी अपनी क्रियाओं का उपयोग कर सकते हैं।
तांत्रिक मांस-मदिरा का सेवन करते हैं। इनका मुख्य भोजन कच्चा मांस होता है और वो भी मनुष्य शरीर। साधना के लिए ये मानुष देह तक खा जाते हैं।
तांत्रिकों को लेकर ये भी माना जाता है कि तांत्रिक तंत्र मंत्रों की साधना कर नकारात्मक और बुरी शक्तियों को अपने वश में करने का प्रयास करते हैं।
तांत्रिकों को लेकर मान्यता यह भी है कि तंत्र साधने वाले अधिकतर तांत्रिक काले वस्त्र धारण ही इसलिए करते हैं कि नकारात्मक ऊर्जा के संपर्क में आएं।
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image credit: herzindagi
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