हर साल नए बजट से पहले इनकम टैक्स और रिटर्न को लेकर लोगों में इससे जुड़ी जानकारी जुटाने की जद्दोजहद शुरू हो जाती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इनकम टैक्स में देनदारी को घटाने की हर किसी की इच्छा होती है। लेकिन, टैक्स देनदारी कैसे घटाई जा सकती है यह बहुत कम लोग ही जानते हैं।
इनकम टैक्स की देनदारी को घटाने के लिए कई तरह के डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होती है। तब हमारा सामना टैक्स डिडक्शन और टैक्स एग्जेंप्शन से होता है। डिडक्शन का मतलब होता है कटौती और एग्जेंप्शन का मतलब होता है छूट, यह दोनों ही टैक्स बचाने या कम करने के काम आते हैं। लेकिन, क्या आप जानती हैं डिडक्शन और एग्जेंप्शन में क्या अंतर होता है। अगर नहीं, तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है।
क्या होता है टैक्स डिडक्शन?
टैक्स डिडक्शन, ऐसे खर्च और निवेश हैं जो आपकी टैक्सेबल इनकम को कम करते हैं। आसान भाषा में समझें तो टैक्स डिडक्शन की सहायता से आपकी इनकम का अमाउंट कम हो जाता है, जिस पर टैक्स देना है। भारत में कई तरह के टैक्स डिडक्शन हैं।
इसे भी पढ़ें: साल 2025 में किन टिप्स की मदद से बचाया जा सकता है टैक्स? एक्सपर्ट से जानें
सेक्शन 80C डिडक्शन
यह एक पॉपुलर डिस्कशन है। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत आप EPF (एम्पलाई प्रोविडेंट फंड), PPF (पब्लिक प्रोविडेंट फंड), नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट, इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) लाइफ इंश्योरेंस से एक फाइनेंशियल ईयर में 1.5 लाख की छूट क्लेम कर सकते हैं। यानी डेढ़ लाख तक के निवेश पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होता है।
होम लोन इंटरेस्ट
अगर आपने होम लोन लिया है और आप उस पर इंटरेस्ट दे रहे हैं, तो इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 24 (बी) में आपको छूट मिल सकती है। आप एक साल में होम लोन इंटरेस्ट पर 2 लाख तक की छूट क्लेम कर सकते हैं।
मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम: सेक्शन 80D के तहत, हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम पर भी टैक्स में छूट मिल सकती है। अपने, पति/पत्नी और बच्चों के अलावा अगर आप माता-पिता की मेडिकल इंश्योरेंस का भी प्रीमियम देते हैं, तो भी टैक्स छूट का फायदा उठाया जा सकता है।
सेक्शन 80 के इन सब-सेक्शन के तहत टैक्स डिडक्शन किया जा सकता है क्लेम
सेक्शन 80C में कई तरह के निवेश शामिल होते हैं।
सेक्शन 80CCC में इंश्योरेंस प्रीमियम
सेक्शन 80CCD में पेंशन कंट्रीब्यूशन पर
सेक्शन 80TTA में सेविंग्स अकाउंट के इंटरेस्ट
सेक्शन 80GG में हाउस रेंट (इस सेक्शन में वह लोग क्लेम कर सकते हैं, जिनकी सैलरी में HRA शामिल नहीं होता है)
सेक्शन 80E में एजुकेशन लोन इंटरेस्ट
सेक्शन 80D में मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स छूट क्लेम की जा सकती है।
क्या होता है टैक्स एग्जेंप्शन?
टैक्स एग्जेंप्शन, ऐसी आमदनी है जिसे टैक्सेबल इनकम में शामिल नहीं किया जाता है। आसान भाषा में समझें तो आपकी कुल आय का कोई विशेष हिस्सा, जिस पर टैक्स नहीं लगेगा। यह खास इनकम और निवेश को बढ़ावा देने के लिए दिया जाता है। इसमें कृषि आय, हाउस रेंट अलाउंस (HRA) या लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA) शामिल होता है।
इसे भी पढ़ें: बिना टैक्स के कमाना चाहती हैं अच्छा पैसा, तो इन 5 तरीकों से कर सकती हैं अर्निंग
HRA एग्जेंप्शन
अगर आपकी सैलरी में HRA शामिल है, तो आप सेक्शन 10(13A) के तहत एग्जेंप्शन क्लेम कर सकते हैं।
कृषि से होने वाली आय
भारत में कृषि से होने वाली आय को इनकम टैक्स से बाहर रखा गया है। अगर आपकी इनकम का प्राइमरी सोर्स कृषि है, तो आपको किसी तरह का टैक्स नहीं देना होगा।
बता दें, भारत में फिलहाल टैक्स की दो व्यवस्थाएं हैं, पुरानी टैक्स रिजीम में छूट और कटौती के कई ऑप्शन्स हैं। हालांकि, नए टैक्स रिजीम के नियम अलग हैं। ऐसे में इनकम टैक्स भरते समय टैक्स रिजीम का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है।
हमारी स्टोरी से रिलेटेड अगर कोई सवाल है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।
अगर आपको स्टोरी अच्छी लगी है, इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से।
Image Credit: Freepik
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों