Devshayani Ekadashi 2021: जानें कब है देवशयनी एकादशी, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व है। आइए इस लेख में जानें इसकी तिथि, पूजा के शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में।

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हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। एक महीने में दो एकादशी तिथियां होती हैं पहली कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। हर महीने की इन दोनों एकादशी तिथियों का अलग ही महत्व है। इस प्रकार पूरे साल में 24 एकादशी तिथियां होती हैं और इन सभी एकादशी तिथियों में विष्णु पूजन एवं व्रत का अलग विधान है। इसी क्रम में आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में होने वाली एकादशी तिथि जिसे देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, बहुत ही महत्त्वपूर्ण होती है।

मान्यतानुसार इस दिन से चातुर्मास प्रारंभ होता है और भगवान विष्णु पाताल लोक शयन करने चले जाते हैं। हिन्दी पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है और इसके अलावा इसे पद्मा एकादशी, आषाढ़ी एकादशी भी कहा जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन से भगवान विष्णु समेत सभी देवी-देवता योग निद्रा में चले जाते है। आइए नई दिल्ली के जाने माने पंडित, एस्ट्रोलॉजी, कर्मकांड,पितृदोष और वास्तु विशेषज्ञ प्रशांत मिश्रा जी से जानें साल 2021 में कब है देवशयनी एकादशी, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्त्व।

देवशयनी एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त

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  • आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 19 जुलाई, सोमवार को रात 09 बजकर 59 मिनट पर होगा।
  • यह एकादशी तिथि अगले दिन यानि कि, 20 जुलाई, मंगलवार को शाम 07 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी।
  • ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 20 जुलाई को देवशयनी एकादशी का व्रत एवं पूजन करना फलदायी होगा।
  • देवशयनी एकादशी का व्रत करने वाले लोग 21 जुलाई, बुधवार को प्रात: 05 बजकर 36 मिनट से सुबह 08 बजकर 21 मिनट के बीच व्रत का पारण करेंगे।
  • द्वादशी तिथि का समापन शाम को 04 बजकर 26 मिनट पर होगा।

देवशयनी एकादशी का महत्व

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देवशयनी एकादशी तिथि से चातुर्मास का आरम्भ होता है। इस दिन विष्णु जी की विशेष पूजा की जाती है जिससे सभी मनोकामनाओं की पूर्ति हो सके। ऐसा माना जाता है कि इस दिन से भगवान विष्णु देव निद्रा में चले जाते हैं और इस बीच संपूर्ण सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं। इसलिए चातुर्मास में भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा की जाती है। इस दौरान शिव पूजन करना विशेष रूप से फलदायी होता है और पूजन से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। हालांकि विष्णु जी के निद्रा निमग्न होने की वजह से इस समय कोई भी शुभ कार्य जैसे शादी विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि पर पाबंदी होती है। लेकिन पूजा- पाठ की दृष्टि से यह महीना विशेष तौर पर मायने रखता है। इसके 4 महीने बाद यानी कि देवोत्थान एकादशी के दिन विष्णु जी समेत अन्य देवताओं का शयन काल समाप्त होता है और सभी शुभ कार्यों को करना लाभकारी होता है।

देवशयनी एकादशी में कैसे करें पूजन

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  • देवशयनी एकादशी के दिन व्रत करने वाले लोग इस दिन जल्दी उठकर स्नान करें।
  • स्नानादि करने के बाद भगवान विष्णु को साक्षी मानकर व्रत का संकल्प लें।
  • भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन करने के लिए उनकी मूर्ति को पूजा स्थल की चौकी पर स्थापित करें।
  • भगवान विष्णु को धूप,दीप, नैवेद्य आदि समर्पित करके विष्णु जी और माता लक्ष्मी की आरती करें।
  • आरती के बाद पूरे दिन फलाहारी व्रत करें और अगले दिन यानी कि द्वादशी तिथि को पुनः इसी प्रकार से पूजन कर व्रत का पारण करें।

कहा जाता है कि देवशयनी एकादशी के दिन विष्णु पूजन अत्यंत फलदायी होता है और ऐसा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है।

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Image Credit: freepik and pinterest

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