तो इसलिए सावन के महिने में हरियाली भी करती है भगवान शिव का स्वागत

ऐसा माना जाता है कि सावन के महिने में शिव की पूजा करने से बड़ी से बड़ी तमाम इच्छाएं भी पूरी हो जाती हैं लेकिन ऐसा क्यों है कि सावन के महिने में भगवान शिव की पूजा को महत्व दिया गया है। 

lord shiva sawan month

ऐसा माना जाता है कि सावन के महिने में शिव की पूजा करने से बड़ी से बड़ी तमाम इच्छाएं भी पूरी हो जाती हैं लेकिन ऐसा क्यों है कि सावन के महिने में भगवान शिव की पूजा को महत्व दिया गया है।

सावन के महिने में चारों तरफ हरियाली रहती है और जमकर बारिश होती है, इसके पीछे का कारण भी भगवान शिव को माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि सावन के महिने में हरियाली भी भगवान शिव का स्वागत करने के लिए तैयार हो जाती है।

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भगवान शिव के हाथों में होता है धरती का कार्यभार

ऐसा कहा जाता है कि सावन के महिने में भगवान शिव के हाथों में सारा कार्यभार आ जाता है। हिन्दूओं की पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना गया है कि सावन के महिने की शुरूआत में सभी लोक के देवता अपना कार्यभार भगवान भोलेनाथ के हाथों में सौंपकर पाताल लोक आराम करने के लिए निकल जाते हैं।

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ऐसे में भगवान शिव अपनी जीवनसंगनी पार्वती के साथ पृथ्वी लोक पर लोगों के दुःख-दर्द को हरण करते हैं इसलिए जो भी सच्चे दिल से भगवान शिव और पार्वती की आराधना करता है भगवान शिव उसकी तमाम मनोकामनाएं पूरी करते हैं। ऐसा माना गया है कि सावन के महिने में पृथ्वीवासियों को पूरी तनमयता के साथ शुद्ध होकर भगवान का पूजन करना चाहिए। घरों में साफ सफाई करने के साथ ही आपसी कलह और मांस मंदिरा के सेवन से भी दूर रहना चाहिए मतलब चारों तरफ शुद्धता होनी चाहिए।

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हरियाली करती है भगवन शिव का स्वागत

भगवान शिव को प्रकृति का देवता माना जाता है तभी तो इस महिने में हरियाली भी पूरी तरह से झूमकर भगवान भोलेनाथ का स्वागत करने के लिए हमेशा तैयार खड़ी रहती है। यह चारों ओर के वातावरण के शुद्ध कर लोगों को सुख शांति का संदेश देती है।

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ऐसी मान्यता है कि सावन माह में ही समुद्र मंथन किया गया था। समुद्र मंथन के बाद जो विष निकला उससे पूरा संसार नष्ट सकता था लेकिन भगवान शिव ने उस विष को अपने कंठ में समाहित किया और सृष्टिे की रक्षा की। इस घटना के बाद ही भगवान शिव का वर्ण नीला हो गया और उन्हें नीलकंठ भी कहा गया।

ऐसा कहते हैं कि शिव ने जब विष पिया तो उसके असर को कम करने के लिए देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया था। यह भी एक अहम वजह है कि सावन में शिव को जल चढ़ाकर उनकी पूजा की जाती है।

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