Chef Kunal Kapoor Divorce: शादी दो लोगों की जिंदगी का एक बेहद खूबूसरत पड़ाव होता है। दो लोग, एक-दूसरे का हाथ थामकर, जिंदगी में सफर में हमेशा के लिए हमसफर बन जाते हैं। गिरते, सीखते, रूठते-मनाते, लड़ते-झगड़ते, एक-दूसरे को संभालते-संवारते, मोहब्बत की डोर में बंधे दोनों अपनी एक खूबसूरत दुनिया बनाते हैं। लेकिन जरा सोचिए! अगर दोनों में से एक के बर्ताव और गलतियों के कारण, न केवल ख्वाबों का ये आशियाना टूटने-बिखरने लगे, बल्कि दूसरे पार्टनर के लिए जिंदगी जीना भी मुश्किल हो जाए, तो कैसा हो? अक्सर जब शादीशुदा जिंदगी में इस तरह की शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना की बात चलती है, तो हम अपने आप ही पति को गलत और पत्नी को परेशान मान लेते हैं, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है।
इसी तरह का एक मामला आज सामने आया है। सेलिब्रिटी शेफ कुणाल कपूर को दिल्ली हाईकोर्ट से क्रूरता के आरोपों के तहत अपनी पत्नी से तलाक की मंजूरी मिल गई है। दोनों की शादी अप्रैल 2008 में हुई थी। कुणाल ने अपनी पत्नी पर उनकी और उनके परिवार की बेइज्जती करने और उन्हें परेशान करने जैसे कई आरोप लगाए थे। अब इन्हीं आरोपों के आधार पर उन्हें तलाक की मंजूरी मिल गई है। चलिए आपको बताते हैं क्या था यह पूरा मामला और समझते हैं कि किस तरह शादीशुदा जिंदगी में किस तरह महिलाएं ही नहीं, बल्कि पुरुष भी क्रूरता का शिकार हो सकते हैं।
सेलिब्रिटी शेफ कुणाल कपूर को हाईकोर्ट से मिली तलाक की मंजूरी
CELEBRITY CHEF KUNAL KAPUR HAS WON DIVORCE ON GROUNDS OF CRUELTY BY HIS WIFE. HERE IS WHAT THIS MAN WE ALWAYS SEE SMILING WENT THROUGH 💔
— Deepika Narayan Bhardwaj (@DeepikaBhardwaj) April 3, 2024
◾In initial day of their marriage, his wife would taunt him for having a small car & not a luxury car & mock him for being a man of no means… pic.twitter.com/VjbAraVdXV
दिल्ली हाईकोर्ट ने आज सेलिब्रिटी शेफ कुणाल कपूर को उनकी पत्नी की क्रूरता के आधार पर तलाक की मंजूरी दे दी है। बता दें कि दोनों की शादी 2008 में हुई थी और पिछले कई सालों से उनकी पत्नी उनसे अलग रह रही थी। कुणाल ने फैमिली कोर्ट के तलाक को नामंजूर करने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, कुणाल की पत्नी एकता कपूर कुणाल और उनके परिवार को शारीरिक व मानसिक तौर पर परेशान कर रही थीं। दोनों का एक बेटा भी है जिसका वह सही तरह से ध्यान नहीं रखती थी। इतना ही नहीं, कुणाल के माता-पिता के साथ भी उनकी पत्नी से कई बार बद्तमीजी की और कुणाल पर कई तरह के झूठे आरोप भी लगाए। 2015 से कुणाल की पत्नी अपने बेटे को लेकर उनसे अलग रह रही थी और कुणाल को अपने बेटे से मिलने भी नहीं देती थीं।
हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट को फैसले को बदला
हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा, "फैमिली कोर्ट इस मामले में पत्नी के लगातार क्रूर बर्ताव को नहीं देख पाया और इस बात को भी नजरअंदाज किया कि शारीरिक और मानसिक हमले की घटनाओं से किसी भी पति या पत्नी को डर लग सकता है।"
कोर्ट ने इस मामले में कहा, "यह कानून का मूल है कि सार्वजनिक तौर पर पार्टनर के खिलाफ अपमानजनक और बेबुनियाद आरोप लगाना क्रूरता से कम नहीं है। इस मामले में तथ्यों के आधार पर पाया गया है कि पत्नी का पति के प्रति बर्ताव गरिमा और सहानुभूति वाला बिल्कुल नहीं है। अगर एक जीवनसाथी दूसरे के साथ इस तरह बर्ताव करता है कि विवाह की मूल भावना का ही अपमान हो तो ऐसा कोई कारण नहीं है, जिसके चलते उन्हें एक साथ रहने पर मजबूर किया जाए। "
पत्नी ने आरोपों को ठहराया झूठा
कुणाल को जहां हाईकोर्ट से तलाक की मंजूरी मिल चुकी है। वहीं, उनकी पत्नी ने कुणाल पर अदालत को गुमराह करने के लिए उन पर झूठे आरोप लगाने का दावा किया है और कहा है कि वह हमेशा रिश्ते में ईमानदारी थीं। कुणाल ने उन्हें तलाक देने के लिए झूठी कहानियां गढ़ी हैं।
क्या शादीशुदा जिंदगी में पुरुष भी होते हैं क्रूरता के शिकार?
सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन के आंकड़ों पर गौर करें तो 98 प्रतिशत भारतीय पति अपने रिश्ते में कभी न भी एक बार घरेलू हिंसा का सामना कर चुके हैं। सर्व का मानें तो कई पुरुष अपनी शादीशुदा जिंदगी में परेशान होते हुए भी तलाक का कदम नहीं उठाते हैं क्योंकि उनके दिल-दिमाग में यह डर होता है कि कहीं उनकी बात सुने बिना ही उन्हें दोषी न ठहरा दिया जाए। बता दें कि शादीशुदा जिंदगी में महिलाओं को सुऱक्षा देने के लिए दहेज, घरेलू हिंसा समेत कई कानून बने हैं। वहीं, पत्नी का आचरण विवाह अधिनियम धारा 13 (1) के तहत आता है।
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शादीशुदा रिश्ते में जरूरी है बराबरी
यहां हम यह बिल्कुल नहीं कह रहे हैं कि महिलाओं के हक की बात नहीं होनी चाहिए या फिर शादीशुदा जिंदगी में महिलाओं की सुरक्षा के लिए बने कानून गलत है लेकिन इनका सही इस्तेमाल जरूरी है। महिलाओं को यह समझना जरूरी है कि यह कानून उनकी हिफाजत और सम्मान के लिए हैं। इनका गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। जिस तरह रिश्ते में महिलाओं के साथ गलत बर्ताव करना, उन पर हाथ उठाना, उन्हें या उनके परिवार को ताने देना गलत है। उसी तरह पुरुषों को भी शादीशुदा जिंदगी में सम्मान और अहमियत मिलनी चाहिए। यह रिश्ता बराबरी का है और यह समझना दोनों पक्षों के लिए जरूरी है। रेड फ्लैग और ग्रीन फ्लैग का कॉन्सेप्ट दोनों पर ही समान रूप से लागू होता है।
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