समलैंगिक विवाह का विषय लंबे समय से चला आ रहा था। इस साल अप्रैल के महीने में कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की थी। आज इस मामले का जजमेंट आया है। इसमें 5 जजों की बेंच ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं दी है।
भारत के अलावा कई ऐसे देश हैं, जहां समलैंगिक विवाह मान्य है। इस विषय पर हमने डिस्ट्रिक्ट और हाई कोर्ट के वकील मोहम्मद सुल्तान से बात की है। उन्होंने विस्तार से हमें इस पूरे मामले के बारे में बताया है। चलिए इस आर्टिकल के जरिए जानते हैं, मैरिज एक्ट से लेकर इस मामले पर कोर्ट द्वारा दी गई दलीलों के बारे में।
समलैंगिक विवाह भारत में हुआ खारिज
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने समलैंगिक विवाह को भारत मे विधिक रूप से मान्यता देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इस खंड पीठ मे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल थे।
न्यायालय नहीं बना सकती कानून
इन याचिकाओं मे याचिकाकर्ताओं ने स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के अंतर्गत सेम-सेक्स कपल, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों और एलजीबीटीक्यूआईए + समुदाय के लोगों के बीच की शादी को मान्यता देने की गुहार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस महत्पूर्ण निर्णय में कहा कि 'न्यायालय केवल कानून की व्याख्या ही कर सकती है और उस कानून के संबंधित वैधानिक प्रावधान को वैध या अवैध करार कर सकती है। मगर,न्यायालयकानून नहीं बना सकती, ये क्षेत्र विधायिका का है'।
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क्या है स्पेशल मैरिज एक्ट 1954?
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) धनंजय यशवंत चंद्रचूड़और जस्टिस संजय किशन कौल ने अपने समवर्ती निर्णय में यह कहा कि 'स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 का प्रावधान, जो विवाह को मान्यता नहीं देते, वह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करते हैं।
दूसरी तरफ, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने अपने फैसले में यह कहा कि 'विवाह के कानूनी मिलन का अधिकार केवल अधिनियमित कानून के माध्यम से ही हो सकता है'।
सभी समलैंगिक व्यक्तियों को अपना साथी चुनने का अधिकार है, लेकिन राज्य को ऐसे संघ से मिलने वाले अधिकारों के समूह को मान्यता देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।
इस पहलू पर इन जस्टिसेस ने सीजेआई से असहमति जताई। अब इस फैसले के बाद केंद्र सरकार समलैंगिक संघों में व्यक्तियों के अधिकारों और हकदारियों को तय करने के लिए एक समिति का गठन करेगी>
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इन देशों में है वैध
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 34 देशों मे समलैंगिक विवाह वैध है। इनमें क्यूबा, एंडोरा, स्लोवेनिया, चिली, स्विट्जरलैंड, कोस्टा रिका, ऑस्ट्रिया, ताइवान, इक्वेडोर,बेल्जियम ,ब्रिटे ,डेनमार्क ,फिनलैंड,फ्रांस,जर्मनी,आइसलैंड,आयरलैंड, लक्समबर्ग, माल्टा, नॉर्वे ,पुर्तगाल ,स्पेन, स्वीडन, मेक्सिको ,दक्षिण अफ्रीका ,संयुक्त राज्य अमेरिका, कोलंबिया,ब्राज़िल अर्जेंटीना ,कनाडा ,नीदरलैंड, न्यूज़ीलैंड, पुर्तगाल उरुग्वे जेसे देश शामिल हैं।
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Image Credit: Freepik
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