Chhath Puja 2024: छठ के त्योहार की रौनक दिवाली के बाद ज्यादातर हर जगह देखने को मिलती है। इस चार दिन के महापर्व को लोग बेहद उत्साह के साथ मनाते हैं। इन चार दिनों में घरों में अलग-अलग पकवान बनाएं जाते हैं, व्रत रखा जाता है। वही सात्विक भोजन भगवान को खिलाने के बाद खुद खाया जाता है। लेकिन इस त्योहार की एक खास चीज होती है ठेकुआ जिसे महाप्रसाद भी बोला जाता है। इसे बनाए बिना छठ पूजा अधूरी होती है। इसलिए इसे आटे और गुड या चीनी के साथ बनाया जाता है। भगवान को भोग लगाया जाता है। लेकिन इसके पीछे का धार्मिक इतिहास के बारे में आप जानते हैं क्या? क्यों ठेकुआ महाप्रसाद बोला जाता है। अगर नहीं तो चलिए आर्टिकल में हम आपको बताते हैं ठेकुआ महाप्रसाद के रूप में क्यों रखा जाता है।
ठेकुआ का क्या है इतिहास
ठेकुआ का इतिहास काफी पुराना है। यह छठ पूजा का महाप्रसाद कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि छठ मैया को इस महाप्रसाद का भोग लगाने से व्रती के घर-परिवार में सुख और समृद्धि आती है। छठ पूजा के समापन के बाद मुख्य रूप से ठेकुआ ही प्रसाद हर किसी को दिया जाता है। ठेकुआ को खजुरिया भी कहते हैं। हालांकि ठेकुआ सबसे पहले किसने बनाया। इसके बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं। लोगों की बताई गई बातों के अनुसार करीब 3700 साल पहले ऋग्वैदिक काल में ठेकुआ का जिक्र किया गया है।
एक कहानी के अनुसार, जब भगवान बुद्ध बोधिवृक्ष के पास 49 दिनों का व्रत कर रहे थे, तो उस दौरान वहां से दो व्यापारी गुजरे और उन्होंने बुद्ध को आटे, घी और शहद से बना एक व्यंजन दिया। यह व्यंजन खाने में बेहद स्वादिष्ट था। इसी को खाकर उन्होंने अपना व्रत खोला था। तभी से इसका नाम ठेकुआ पड़ा। इसके बाद छठ के महापर्व पर जब भी महप्रसाद बनता है, तो इसका भोग भगवान को जरूर लगाया जाता है।
छठ में ठेकुआ का महत्व
छठ पूजासात्वित चीजों का सेवन किया जाता है। इसकी वजह से घर के पीसे हुए आटे का इस्तेमाल हर चीजों में किया जाता है। कुछ लोगों का कहना है कि मौसम के बदलने की वजह से जो शारीरिक बदलाव होते हैं। इसे नियंत्रण करने और गर्मी प्रदान करने के लिए ठेकुआ बनाया जाता है। इसमें घर का बना हुआ आटा, घी, मेवा और चीनी को मिलाया जाता है। इससे शरीर में तेज आता है जैस आपको भगवान सूर्य में दिखाई देता है। इसलिए भी ठेकुआ को महाप्रसाद के रूप में रखा जाता है।
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सूर्य रंगों को दर्शाता है ठेकुआ
ठेकुआ आटे से बनाया हुआ एक व्यंजन होता है। इसे घी में तलकर बनाया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसे सुनहरा, नारंगी-भूरा किया जाता है, ताकि इसमें सूर्य के सारे रंग अच्छे से नजर आ सके। छठ में सूर्य को पहले शाम को और फिर सुबह में ठेकुआ प्रसाद सामग्रियों के साथ जरूर शामिल किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसका भोग भगवान सूर्य को इसलिए लगाया जाता है कि ठेकुआ में सूर्य की सारी शक्ति आ सके। जब वो प्रसाद के रूप में बांटा जाए तो सूर्य देव का आशीर्वाद सबको मिल सके। इसमें सूर्य की ऊर्जा का स्त्रो होता है। इसलिए भीठेकुआ को महाप्रसादके रूप में रखा जाता है।
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आप भी अपने प्रियजनों जिनके यहां छठ होती है। उनके यहां पर जाकर इस महाप्रसाद को जरूर ग्रहण करें। इसके भोग से आपके पास भी सुख-समृद्धि आएगी। साथ ही, छठ मईया का आशीर्वाद हमेशा आपके ऊपर बना रहेगा।
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