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Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि से जुड़ी रोचक कथा के बारे में जानें

चैत्र में नवरात्रि का पर्व क्यों आता है और इसके पीछे क्या वजह है यह जानने के लिए आपको जरूर पढ़ना चाहिए यह आर्टिकल। 
Editorial
Updated:- 2023-02-22, 13:29 IST

हर वर्ष 4 बार नवरात्रि का त्यौहार आता है। जिसमें से दो बार गुप्त नवरात्रि पड़ती है और 1 बार चैत्र और एक बार शारदीय नवरात्रि का त्यौहार आता है। हिंदू धर्म में वर्ष का पहला सबसे बड़ा पर्व चैत्र नवरात्रि ही होता होता है। इस बार चैत्र नवरात्रि का पर्व 22 मार्च से शुरू हो कर 30 मार्च तक रहेगा।

कई बार लोगों को यह तो पता होता है कि शारदीय नवरात्रि का पर्व क्यों मनाया जाता है, मगर चैत्र नवरात्रि बनाने के पीछे की क्या वजह है यह बहुत कम लोग ही जानते हैं।

आज हम आपको बताएंगे आखिर चैत्र नवरात्रि का महत्‍व क्‍या है और यह पर्व आखिर क्यों मनाया जाता है और इसे पीछे की कथा क्‍या है।

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मां दुर्गा का हुआ था अवतरण

कथाओं के अनुसार चैत्र नवरात्रि में देवी दुर्गा का अवतरण हुआ था। दरअसल, ब्रह्मा जी का वरदान प्राप्त कर दैत्यराज महिषासुर ( दुर्गा चालीसा) से नरक का विस्तार स्वर्ग तक कर लिया था। दानवों के आक्रमण और दुराचार की वजह से देवी-देवता भी परेशान रहने लगे थे। एक वक्त ऐसा भी आया जब महिषासुर की सेना ने देवताओं के राजा इंद्र की सेना पर विजय हासिल कर उनका सिंहासन ही छीन लिया था।

महिषासुर के इस दुस्साहस के कारण भगवान शंकर और भगवान विष्णु आति क्रोधित हुए और तब महिषासुर का अंत करने के लिए देवी शक्ति को जन्‍म देने का विचार बनाया गया है। देवताओं की सभा लगी और निर्णय लिया गया कि सभी देवी-देवताओं के तेज से एक ऐसी देवी को उत्पन्न किया जाएगा, जो महिषासुर ही नहीं बल्कि और भी कई असुरों का नाश करेगी।

ऐसे में भगवान शंकर के तेज से देवी का मुख, भगवान विष्णु के तेज से देवी की भुजाएं, यमराज के तेज से देवी के बाल, चंद्रमा के तेज से देवी के स्तन और ब्रह्मा जी के तेज से देवी के चरण बनें। केवल अपना तेज ही नहीं देवी-देवताओं ने अपने शस्त्रों को भी देवी को अर्पित किया। जिसकी मदद से देवी ने महिषासुर का वध किया।

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देवी और महिषासुर की लड़ाई

देवी और महिषासुर की लड़ाई नौ दिन चली। देवी के भव्य स्वरूप को देखकर ही महिषासुर भयभीत हो गया था। मगर उसने डर कर आपने अस्‍त्र शस्‍त्र नहीं त्यागे और आपनी लाखों सैनिकों की सेना लेकर देवी युद्ध करने पहुंच गया। देवी ने भी महिषासुर के भेजे सभी असुरों को परास्त कर दिया। इसके बाद बारी आई महिषासुर की और फिर माता ने उसे भी नहीं छोड़ा और उसका अंत कर दिया। यह नवरात्रि का अंतिम दिन था यानि अपने अवतरण के नौवें दिन देवी ने असुर का अंत किया और तब से चैत्र नवरात्रि का पर्व मनाया जाने लगा।

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