घर की समृद्धि के लिए वास्तु के नियमों का पालन करना जरूरी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यदि घर की हर एक वस्तु वास्तु के अनुसार हो तो खुशहाली बनी रहती है। खासतौर पर यदि हम भगवान की मूर्ति या तस्वीरों की बात करते हैं तब उनके लिए वास्तु के कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं और उन्हीं मूर्तियों की पूजा से व्यक्ति को पूर्ण लाभ की प्राप्ति होती है। ऐसी ही गणपति की मूर्ति के लिए भी कुछ वास्तु नियम बनाए गए हैं और मुख्य रूप से गणेश जी की सूंड़ के लिए सही दिशा का होना जरूरी माना जाता है।
कई बार जब हम गणपति पूजन के लिए उनकी मूर्ति खरीदते हैं तो मन में ख्याल आता है कि उनकी सूंड़ की दिशा क्या होनी चाहिए। वास्तु के अनुसार गणपति की बाईं तरफ मुड़ी हुई सूंड़ ज्यादा शुभ मानी जारी है, लेकिन क्या दाईं तरफ की सूंड़ वाली मूर्ति भी घर में रख सकते हैं। आइए Life Coach और Astrologer Dr. Sheetal Shaparia से जानें वास्तु से जुड़े कुछ ऐसे ही सवालों के बारे में।
गणपति प्रतिमा के अंग करते हैं अलग चीजों का प्रतिनिधित्व
यदि हम वास्तु और ज्योतिष की मानें तो भगवान गणेश के अलग-अलग अंग जीवन में अलग-अलग चीजों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उदाहरण के लिए, बड़ा हाथी का सिर बुद्धि, ज्ञान और मन की शक्ति का प्रतीक है जो जीवन में आने वाली समस्याओं से निपटने के लिए जाना जाता है। उसी प्रकार गणपति की सूंड़ सभी सांसारिक समस्याओं को संभालने के लिए अनुकूलन क्षमता और दक्षता का प्रतिनिधित्व करती है।
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गणपति की सूंड़ से जुड़ी मान्यताएं
गणपति जी की सूंड की दिशा को लेकर कई मान्यताएं हैं और सभी का एक ही कहना है- दाहिनी सूंड वाली गणेश प्रतिमा मजबूत, शक्तिशाली और पूजा करने के लिए अनुपयुक्त होती है।
बाईं तरफ घूमी हुई सूंड़ देती है ये संकेत
ऐसा माना जाता है कि बाईं ओर मुड़ी हुई सूंड वाली गणेश की मूर्तियां आमतौर पर शांत होती हैं, क्योंकि यह चंद्र की दिशा है। यह मूर्ति सुखदायक ऊर्जा प्रवाह के लिए जानी जाती है। बायां हिस्सा सहानुभूति तंत्रिका तंत्र को पूरा करता है जो किसी के भावनात्मक जीवन की देखभाल करता है। इसी वजह से गणपति की बाईं तरफ घूमी हुई मूर्ति को पूजन के लिए शुभ माना जाता है क्योंकि ये घर में सकारात्मक ऊर्जा लाती है।
दाहिनी तरफ मुड़ी हुई सूंड़ देती है ये संकेत
दाहिनी तरफ मुड़ी हुई सूंड वाली गणेश मूर्तियां अधिक शक्तिशाली मानी जाती हैं क्योंकि सूंड दक्षिण की ओर मुड़ी होती है और सूर्य चैनल जो जीवंत ऊर्जा प्रवाह के अनुरूप है, उसका प्रतीक होती है। इसलिए दाईं ओर मुड़ी हुई सूंड वाली मूर्तियों को आक्रामक माना जाता है और उनकी पूजा न करने की सलाह दी जाती है।
इसके अलावा दाहिनी सूंड वाले गणेश दक्षिण दिशा (घर की दक्षिण दिशा में रखें ये चीजें)की ओर मुख करके बैठे हुए माने जाते हैं और हिंदू धर्म में दक्षिण दिशा की ओर रखी वस्तुओं को शुभ नहीं माना जाता है क्योंकि इसे यम की दिशा कहा जाता है। इसी वजह से गणपति की इस तरह की मूर्ति वास्तु के अनुसार शुभ नहीं मानी जाती है जिसमें उनकी सूंड़ दाहिनी ओर हो। दरअसल दाएं हाथ की ओर सुंड वाले गणेशजी हठी माने जाते हैं और इनकी पूजा करने से व्यक्ति को सफलता देर से मिलती है।
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मंदिर में हो सकती है दाईं सूंड़ वाले गणपति की पूजा
चूंकि दाईं ओर घूमी हुई सूंड वाले गणपति बहुत हठी होते हैं और उनकी पूजा में छोटी से भी त्रुटि स्वीकार्य नहीं होती है। ऐसी मूर्ति घर में नहीं रखनी चाहिए, लेकिन मंदिर में इस मूर्ति की स्थापना की जा सकती है क्योंकि वहां गणपति पूजन में सभी नियमों का पालन किया जा सकता है। मंदिर में स्थापित ऐसी मूर्ति सिद्धि विनायक गणपति की होती है जिनकी पूजा का भक्तों को विशेष फल मिलता है।
मंदिर में इस तरह की मूर्ति का पूजन कई कार्यों के लिए फलदायी माना जाता है। दायीं ओर घूमी हुई सूंड वाले गणेशजी के मंदिर में दर्शन से हर कार्य सिद्ध हो सकते हैं।
यदि वास्तु की मानें तो आपको घर में गणपति की ऐसी मूर्ति की ही पूजा करनी चाहिए जिनकी सूंड़ बाईं तरफ घूमी हुई हो।
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