घर का मंदिर एक पवित्र स्थान होता है जहां परिवार के लोग ध्यान, पूजा और ईश्वर से जुड़ने का प्रयास करते हैं। यह स्थान घर में सकारात्मक ऊर्जा का एक स्रोत माना जाता है और इसी जगह लोगों को ख़ुशी भी मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि घर का मंदिर हमेशा वास्तु के नियमों के अनुसार ही होना चाहिए।
ऐसा कहा जाता है कि यदि मंदिर का स्थान वास्तु के अनुरूप होता है तो आपके घर में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, मंदिर की दिशा का सही चयन करना न केवल सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाता है, बल्कि आपकी सफलता, सुख और शांति में भी योगदान करता है।
ऐसा कहा जाता है कि घर के मंदिर के लिए सबसे शुभ दिशा उत्तर पूर्व है, जिसे ईशान कोण के नाम से भी जाना जाता है। यदि आप इसी दिशा में मंदिर रखते हैं और पूजा करते हैं तो पूजा का पूर्ण फल मिलता है।
वहीं कई बार आपके मन में एक सवाल भी जरूर आता होगा कि क्या घर का मंदिर उत्तर मुखी दिशा की तरफ भी रखा जा सकता है? कई बार जगह की कमी होने की वजह से आपको मंदिर की दिशा उत्तर की तरफ रखी जाती है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें कि घर में उत्तर की तरफ मुंह करके मंदिर रखना ठीक है या नहीं?
वास्तु में उत्तर दिशा का महत्व
वास्तु शास्त्र में उत्तर दिशा को विशेष रूप से शुभ माना गया है। यह दिशा धन, समृद्धि, और मानसिक शांति की प्रतीक है। इस दिशा के अधिपति भगवान कुबेर हैं, उन्हें धन और संपत्ति का स्वामी माना जाता है।
उत्तर दिशा को सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र भी कहा जाता है और इसे ध्यान, पूजा या किसी भी आध्यात्मिक कार्य के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
यह दिशा न केवल समृद्धि को आकर्षित करती है, बल्कि जीवन में स्थिरता और मानसिक शांति का संचार भी करती है। वास्तु की मानें तो यदि घर या कार्यस्थल में उत्तर दिशा को सही तरीके से व्यवस्थित रखा जाता है तो यह धन-प्राप्ति के अवसर को बढ़ाती है और आर्थिक समृद्धि लाने में मदद करती है। उत्तर दिशा में सफाई का ध्यान रखने से ऊर्जा संतुलन अच्छा बना रहता है।
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क्या घर का मंदिर उत्तर दिशा की तरफ रखना ठीक है?
ऐसा कहा जाता है कि यदि आप घर में मंदिर रखती हैं तो आपको इसकी सही दिशा का ज्यां होना चाहिए। ऐसे में अगर हम उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके मंदिर रखें तो ये आपके लिए शुभ माना जाता है। उत्तर दिशा कुबेर की दिशा है और मंदिर का इस दिशा में होना घर में धन और समृद्धि को बढ़ावा देता है।
यही नहीं इस दिशा में मंदिर होने पर पूजा करने से मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है। उत्तर दिशा में मंदिर रखने से पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
घर में उत्तर मुखी मंदिर रखने के फायदे
यदि आपके घर में मंदिर रखने के लिए उत्तर पूर्व दिशा मौजूद नहीं है तो आप मंदिर का मुख उत्तर दिशा की तरफ कर सकती हैं। आइए जानें इसके फायदों के बारे में-
- ऐसा कहा जाता है कि उत्तर दिशा में पूजा करने से आपको ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है और आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है।
- घर में उत्तर मुखी मंदिर रखने से परिवार के सदस्यों के बीच बेहतर संबंध बने रखते हैं।
- उत्तर दिशा बुद्धिमत्ता और निर्णय लेने की शक्ति को मजबूत करती है, जिससे आपको कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है।
- यदि आप घर का मंदिर उत्तर मुखी रखेंगे तो घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो सकती है और आपको कई वास्तु दोषों से मुक्ति मिलती है।
घर का मंदिर उत्तर मुखी रखने के नियम
हालांकि उत्तर दिशा हर तरह से शुभ माना जाता है, लेकिन मंदिर को स्थापित करने से पहले कुछ वास्तु नियमों का पालन करना आपके लिए जरूरी होता है। आइए जानें इस दिशा की तरफ मंदिर स्थापित करने के नियम-
- वास्तु की मानें तो मंदिर को हमेशा साफ और पवित्र स्थान पर स्थापित करना चाहिए। मंदिर की दीवार से थोड़ी दूरी बनाए रखें जिससे सकारात्मक ऊर्जा चारों ओर प्रवाहित हो सके।
- मंदिर में केवल शुभ और साफ़-सुथरे चित्र रखें। आपको भूलकर भी इस स्थान पर टूटी-फूटी या खंडित मूर्तियों को नहीं रखना चाहिए।
- उत्तर दिशा का चयन करते समय यह सुनिश्चित करें कि मंदिर का मुख्य भाग उत्तर दिशा की ओर ही होना चाहिए।
उत्तर मुखी मंदिर में पूजा के समय आपका मुख किस तरफ होना चाहिए
वैसे तो विशेष परिस्थितियों में ही आपको मंदिर उत्तर-पूर्व के स्थान पर किसी अन्य दिशा की ओर रखना चाहिए, लेकिन यदि आप उत्तर दिशा की तरफ मुख करके मंदिर रख रहे हैं तो आप दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके पूजा कर सकते हैं। हालांकि ऐसा विशेष परिस्थितियों में ही करना चाहिए और आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी मूर्ति का मुख दक्षिण दिशा की तरफ न हो। यदि आप पूजा के समय पूर्व दिशा की ओर मुख कर सकें तो यह भी आपके लिए शुभ माना जाता है।
अगर आप घर में मंदिर रखते हैं तो आपको इसकी दिशा का ध्यान जरूर रखना चाहिए और उत्तर दिशा की तरफ मुख करके रखे हुए मंदिर के लिए यहां बताए नियमों का पालन करना जरूरी है।
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