क्या बच्चों की प्रॉपर्टी पर मां-बाप का होता है अधिकार? जानिए क्या कहता है कानून

कई बार जब माता-पिता बूढ़े हो जाते हैं, तो उनके मन में सवाल आता है कि क्या बच्चों की संपत्ति पर उनका अधिकार है? आइए इस सवाल का कानूनी जवाब जान लेते हैं। 
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आमतौर पर हम माता-पिता की संपत्ति पर बच्चों के अधिकार को लेकर चर्चा करते हैं, लेकिन हम कभी भी बच्चों की संपत्ति पर माता-पिता के अधिकारों को लेकर चर्चा नहीं करते हैं। अक्सर, मन में सवाल आता है कि क्या माता-पिता अपने बच्चों की प्रॉपर्टी पर अधिकार का क्लेम कर सकते हैं, इसके बारे में बहुत कम ही लोग जानते होंगे शायद! कानून के तहत, पैरेंट्स के पास अपने बच्चों की संपत्ति पर पूरा अधिकार तो नहीं होता है, लेकिन बच्चों की दुर्घटना या किसी बीमारी से मृत्यु और वसीयत न होने की सिचुएशन में, मां-बाप अपने बच्चों की प्रॉपर्टी पर अपना अधिकार जता सकते हैं।

आज हम इस आर्टिकल में बताने वाले हैं कि बच्चों की संपत्ति पर माता-पिता के अधिकार क्या हैं और किन परिस्थितियों में पैरेंट्स बच्चे की प्रॉपर्टी पर अधिकार जता सकते हैं।

बच्चों की संपत्ति पर माता-पिता का अधिकार क्या है?

अगर बच्चे की दुर्घटना या किसी बीमारी से असमय मृत्यु हो जाती है और वह बिना वसीयत लिखे मर जाता है तो, ऐसी सिचुएशन में माता-पिता बच्चे की प्रॉपर्टी पर कंट्रोल कर सकते हैं। हालांकि, यह कंट्रोल पूरा नहीं हो सकता है।

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के सेक्शन 8 के तहत, बच्चे की संपत्ति पर माता-पिता के अधिकार को बताया गया है। इस धारा के तहत, बच्चे की संपत्ति पर मां पहली वारिस और पिता दूसरा वारिस माना जाता है। इस मामले में माता को ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है। अगर, बच्चे की मां भी नहीं है, तो ऐसी स्थिति में पिता का बच्चे की संपत्ति पर अधिकार हो जाता है।

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बेटे और बेटियों के मामले में अलग-अलग नियम

Parents rights on childs property

बच्चों की संपत्ति पर माता-पिता का अधिकार इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चा लड़का है या लड़की।

मृतक बेटा होने पर

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार, अगर मृतक बेटा है, तो उसकी संपत्ति पर पहला अधिकार मां का होता है और दूसरा अधिकार पिता का होता है। यदि मां जीवित नहीं है, तो संपत्ति पर पिता और उसके सह-वारिसों का अधिकार माना जाता है।

अगर बेटा शादीशुदा है और बिना वसीयत लिखे मर जाता है, तो उसकी पत्नी को हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के तहत संपत्ति पर अधिकार मिलेगा। ऐसे मामले में, बेटे की संपत्ति पर पहला अधिकार उसकी पत्नी का होगा। फिर, वह कानूनी रूप से उत्तराधिकारियों के साथ संपत्ति को साझा करेगी।

बेटी की मृत्यु होने पर

अगर मृतक बेटी है, तो संपत्ति का पहला अधिकार उसके पति और बच्चों को मिलेगा। आखिरी में, कानून के हिसाब से बेटी के माता-पिता को संपत्ति में हिस्सा मिलेगा। इसके विपरीत, अगर बेटी अविवाहित है और बिना वसीयत लिखे मर जाती है, तो उसकी संपत्ति पर पहले माता-पिता का हक होता है।

क्या कोई बच्चा अपने माता-पिता को अपनी संपत्ति से वंचित कर सकता है?

यह तभी संभव है जब बच्चा 18 साल से ऊपर का हो और उसका मानसिक संतुलन ठीक हो। ऐसे में, बच्चा अपनी संपत्ति का अधिकार माता-पिता के अलावा किसी और भी दे सकता है।

क्या पत्नी के माता-पिता का संपत्ति पर दावा है अगर पति-पत्नी प्रॉपर्टी के सह-स्वामी होते हैं?

Can a child disinherit parents from a property

अगर विवाहित बेटी अपने पति के साथ संपत्ति में को-ओनर है और अगर वह बिना कोई वसीयत लिखे मर जाती है, तो उसके माता-पिता को उसकी संपत्ति साझा करने का अधिकार मिल सकता है। हालांकि, संपत्ति स्व-अर्जित है या पैतृक है यह भी निर्भर करता है।

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के सेक्शन 15 के तहत, मृतक बेटी के माता-पिता उसकी संपत्ति पर अधिकार जता सकते हैं। वहीं, अगर बेटी को अपने पति या सास-ससुर से संपत्ति मिली है, तो इस स्थिति में व्यक्तिगत कानूनों के अनुसार तय किया जाएगा।

इसके अलावा, अगर पति बिना वसीयत किए मर जाता है, तो इस सिचुएशन में संपत्ति कानूनी उत्तराधिकारों में समान रूप से बांटी जाएगी। वहीं, अगर पति ने वसीयत की हुई है तो उसके अनुसार ही संपत्ति बांटी जाएगी। ऐसे में, अगर वसीयत में पति ने अपने माता-पिता का जिक्र नहीं किया है, तो वह वंचित रहेंगे।

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माता-पिता के पास अधिकार

हालांकि, माता-पिता और सीनियर सिटीजन के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 के तहत, वरिष्ठ नागरिक अपने बच्चों से भरण-पोषण की मांग कर सकते हैं। यदि मां-बाप खुद का भरण-पोषण नहीं कर सकते हैं।

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Image Credit - freepik

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