भारत में एडॉप्शन करना काफी मुश्किल प्रक्रिया है। पहले समय में जब एक सिंगल वीमेन एडॉप्शन के लिए आगे बढ़ती थी तो उन्हे ज्यादातर निराशा हाथ लगती थीं। ऐसे में उन्हें कई बार काफी दिक्कत का भी सामना करना पड़ता था। बीते दिन 13 अप्रैल को बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक फैसला जारी कर दिया है।
अब कोई भी कामकाजी महिला लें सकती है गोद
इस फैसले के तहत अब कोई भी कामकाजी महिला आसानी से बेबी को गोद लें सकती है। बीते दिन 47 साल की तलाकशुदा महिला अपनी बहन के बच्चे को गोद लेना चाहती थी। हालांकि, जिला न्यायाधीश ने उनके आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि- " वह एक कामकाजी महिला होने के नाते वह उस बच्चे पर व्यक्तिगत ध्यान नहीं देंगी''।
एडॉप्शन की मुख्य भूमिका कौन निभाता है
एडॉप्शन से जुड़ी सभी भूमिका (CARA) (सीएआरए) सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी निभाती है। 2015 की बात करें तो CARA की गाइडलाइन आने के बाद जहां पहले सिंगल वीमेन लड़का अडॉप्ट नहीं कर सकती थी। वहीं अब वे किसी भी जेंडर के बच्चे को अडॉप्ट कर सकती है। अब उन्हें बच्चा गोद लेने के लिए विवाहित होना या पार्टनर का होना जरूरी नहीं होगा।(क्या एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर अब अपराध नहीं)
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सुष्मिता सेन के लिए बच्चा गोद लेना नहीं था आसान
सुष्मिता सेन ने आज तक शादी नहीं की है, लेकिन वह दो प्यारी लड़कियों की मां हैं। उन्होंने अपने करियर के चरम पर मां बनने का फैसला किया था। यहां तक कि उन्हें बिना शादी किए बच्चा गोद लेने के लिए काफी कानूनी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ा। इसके बावजूद भी अभिनेत्री ने हार नहीं माना।
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