शादी के कुछ समय बाद कपल्स फैमिली प्लानिंग करते हैं। ऐसे में यह उनका निजी फैसला होता है कि वो बच्चे को जन्म देना चाहते हैं या फिर बच्चे को गोद लेना चाहते हैं। वहीं कुछ कपल्स ऐसे भी होते हैं, जो अपने स्वास्थ्य के चलते बच्चे को जन्म नहीं दे सकते हैं। ऐसे में बच्चा गोद लेने का फैसला उनके जीवन में नया बदलाव लेकर आता है। आज से कुछ समय पहले बच्चा गोद लेना एक बड़ी होती थी, मगर आज यह एक आम बात हो गई है। आज लोग बच्चों को गोद लेने के लिए खुद आगे बढ़कर सामने आ रहे हैं। अडॉप्शन का यह फैसला जहां कपल्स के जीवन में नई खुशी लेकर आता है, वहीं इस फैसले से बच्चे को एक नया जीवन मिल जाता है।
दुनिया भर के देशों में अडॉप्शन से जुड़े तरह-तरह के नियम और कानून बनाए गए हैं, जिन्हें फॉलो करने के बाद ही आप बच्चा अडॉप्ट करने की स्थिति में रहते हैं। आज के इस आर्टिकल में हम आपको अडॉप्शन से जुड़े नियम कानून और शर्तों के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में आपको जानकारी जरूर होनी चाहिए-
ये हैं चाइल्ड अडॉप्शन के प्रकार-
ओपन अडॉप्शन-
इस तरह के अडॉप्शन में बच्चे को यह अधिकार होता है, कि 18 साल की उम्र के बाद वो अपने गोद लेने से जुड़े सभी कागजातों को देख सके। इसके अलावा ओपन अडॉप्शन में बच्चे को उसकी असली मां से भी मिलने दिया जाता है, लेकिन इसके लिए दोनों पक्षों की हामी चाहिए होती है।
सेमी ओपन अडॉप्शन-
इस तरह के अडॉप्शन में एक बार गोद लेने के बाद बच्चे की सगी मां उससे नहीं मिल सकती हैं। हालांकि इस तरह के अडॉप्शन से पहले सगी मां को यह फैसला लेने का पूरा अधिकार है कि बच्चा गोद दिया जाए या नहीं। बता दें कि इस अडॉप्शन की बाकी की प्रक्रिया ओपन जैसी ही होती है।
क्लोज अडॉप्शन-
इस तरह के अडॉप्शन में बच्चे के सगे माता-पिता का गोद लेने वाले माता पिता से कोई संपर्क नहीं होता है। यह संपर्क ना तो गोद लेने पहले होगा, न ही गोद लेने के बाद।
इंटरा फैमिली अडॉप्शन-
कुछ कपल्स अपने ही फैमिली से जुड़े बच्चे को गोद लेना चाहते है। इस तरह के अडॉप्शन को अंतर परिवार दत्तक ग्रहण कहा जाता है।
डोमेस्टिक फैमिली अडॉप्शन-
इस तरह के अडॉप्शन में बच्चे के असल और अडॉप्ट करने वाले माता-पिता एक देश के निवासी होते हैं।
इंटरनेशनल अडॉप्शन-
इस तरह के अडॉप्शन में बच्चे के असल माता-पिता और अडॉप्ट करने वाले पेरेंट्स अलग-अलग देशों के होते हैं।
ये संस्था देती है बेबी अडॉप्शन की परमिशन-
केंद्र सरकार द्वारा बच्चा अडॉप्ट करने के लिए सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA ) का गठन किया गया है। यह संस्था महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तहत एक नोडल बॉडी की तरह काम करती है। बता दें कि ये संस्था मुख्य रूप से अनाथ, सड़क पर छोड़े गए बच्चों और आत्म समर्पण करने वालों बच्चों के अडॉप्शन से जुड़े काम करती है। बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया काफी लंबी है, ऐसे में आपको लंबा इंतजार करना होना।
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बच्चा गोद ये के लिए पूरी करनी होगी शर्ते-
- नियमों के अनुसार गोद लेने वाले माता-पिता को शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक रूप से सक्षम होना बेहद जरूरी है। इसके अलावा इस बात का भी प्रूफ देना होगा कि संभावित पेरेंट्स को कोई भी जानलेवा बीमारी तो नहीं है।
- कोई भी कपल जिनकी कोई संतान नहीं है वो बच्चा गोद ले सकते हैं, मगर उसके लिए पति और पत्नी दोनों की सहमति जरूर होनी चाहिए।
- गोद लेने वाले कपल की शादी को अगर शादी के दो साल से ज्यादा हो हो गए हैं, तब ही वो बच्चा अडॉप्ट कर सकते हैं।
- गोद लेने वाले माता-पिता और बच्चे की उम्र के बीच करीब 25 साल का फासला होना चाहिए। हालांकि यह नियम उन कपल्स पर लागू नहीं है, जो अपने रिश्तेदार के बच्चों को अडॉप्ट करने का फैसला लेते हैं।
- जिन लोगों के पास तीन या तीन से अधिक बच्चे हैं, वो लोग बच्चा गोद लेने के योग्य नहीं होते हैं। हालांकि खास स्थिती में वो भी बच्चे को गोद ले सकते हैं।
- अगर कोई सिंगल महिला बच्चा अडॉप्ट करना चाहती है, तो वह किसी भी लिंग के बच्चे को अडॉप्ट कर सकती हैं, वहीं सिंगल पुरुष कभी भी लड़की को गोद नहीं ले सकते। हालांकि सिंगल पेरेंट्स की उम्र 55 साल से ऊपर नहीं होनी चाहिए।
अडॉप्ट करने के लिए ये कागजात है बेहद जरूरी-
- अडॉप्ट एप्लिकेशन ,
- 4*6 इंच आकार की फोटो(4 फोटो)
- विवाह प्रमाण पत्र और आयु का प्रमाण
- गोद लेने का कारण
- दंपति की नवीनतम एच.आई.वी और हेपेटाइटिस बी की मेडिकल रिपोर्ट
- आय प्रमाण पत्र
- निवास का विवरण
- 2 व्यक्तियों का संदर्भ पत्र
भारत में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया-
भारत में बच्चे को अडॉप्ट करने के लिए बहुत लंबी प्रोसेस से गुजरना पड़ता है। जिसके लिए आपको ये निम्न स्टेप फॉलो करने पड़ते हैं।
पंजीकरण-
चाइल्ड अडॉप्शन का सबसे पहला स्टेप रजिस्ट्रेशन होता है। जिसके लिए आप CARA की साइट पर जाकर ऑनलाइन अप्लीकेशन भर सकते हैं।
दस्तावेज-
पंजीकरण करने के बाद आपको सभी डॉक्यूमेंट्स साईट पर अपलोड करने होंगे।
होम स्टडी-
सभी जानकारियां जमा करने के बाद आपके घर की होम स्टडी की जाएगी। इस दौरान स्पेशलाइज्ड अडॉप्शन एजेंसी द्वारा समाजसेवी को आपके घर की पूरी तरह स्टडी करके आपकी रिपोर्ट तैयार करेंगे
बच्चे का चुनाव-
रिपोर्ट पास होने के बाद आपके पास बच्चे की प्रोफाइल आएगी, जिसे देखकर आपको 48 घंटे के बीच बच्चा रिजर्व करना होगा।
चयनित बच्चे का मिलान-
बच्चा रिजर्व करने के बाद अडॉप्शन कमेटी चुने गए बच्चे की फोटो का मिलान करती है। जो भावी माता-पिता गोद लेने के लिए हामी भर देते हैं, तब स्पेशलाइज्ड अडॉप्शन एजेंसी कोर्ट में बच्चा गोद लेने से संबंधित याचिका डालती है।
कोर्ट के आदेश का इंतजार -
आखिर में आपको कोर्ट के आदेश का इंतजार करना पड़ता है। कोर्ट के आदेश के बाद एजेंसी जन्म प्रमाणपत्र और आदेश की कॉपी अदालत से लेकर बच्चे के माता-पिता को सौंप देती है।
तो ये थी भारत में चाइल्ड अडॉप्शन से जुड़ी बेसिक जानकारियां। आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
Image Credit- freepik
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