Women Reservation Bill Details: भारत में कुछ बिल ऐसे हैं, जिनपर सालों से बात होती आ रही है। महिला आरक्षण बिल भी इनमें से एक है। बीते दिन 2 सदनों में इस बिल को पास कर दिया गया है। आइए जानते हैं महिला आरक्षण बिल के बारे में विस्तार से।
महिला आरक्षण बिल क्या है? (Women Reservation Bill in Hindi)
- देश के संविधान का 108वां संशोधन विधेयक राज्य विधानसभाओं और संसद में महिलाओं के लिए सीटों की कुल संख्या का एक तिहाई (33%) आरक्षित करने का प्रावधान देता है। इस विधेयक में 33% कोटा के अंदर एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का भी प्रस्ताव है।
- इस विधेयक में कहा गया है कि संशोधन अधिनियम शुरू होने के 15 साल बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण समाप्त हो जाएगा। रिपोर्ट्स की मानें तो इस बिल को कैबिनेट से पास कर दिया है।

महिला आरक्षण बिल का इतिहास (Women Reservation Bill History)
- पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मई 1989 में ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं को 1 तिहाई आरक्षण देने के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश करके पहली बार महिला आरक्षण का मुद्दा रखा था।
- इसके बाद 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने भी इस बिल को लोकसभा में पेश किया था। इसके बाद भी इस बिल पर समय-समय पर बात हुई, लेकिन विरोध के चलते पास नहीं हो पाया। साल 2014 में लोकसभा भंग होने के बाद यह बिल अपने आप खत्म हो गया था।
महिला आरक्षण बिल क्यों है जरूरी? (Women Reservation Bill Importance)
- साल 2021 में आई ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट की मानें तो भारत में पॉलिटिकल एम्पावरमेंट इंडेक्स 13.5 प्रतिशत गिर गया है। पंचायतों से लेकर विधानसभा में अगर महिलाओं की भागीदारी को देखें, तो वो बहुत कम है।
- इसी वजह से कहा जाता है कि देश की महिलाओं के लिए नीतियां बनाते वक्त महिलाओं की भूमिका अहम है। महिला आरक्षण बिल महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने में मदद करेगा।

भारत में महिला विधायकों के आंकड़ें (Women in Parliament)
- साल 2022 दिसंबर में कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के मुताबिक, आंध्र प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे राज्यों में 10 प्रतिशत से भी कम महिला विधायक हैं।
- वहीं, बिहार (10.70), छत्तीसगढ़ (14.44), हरियाणा (10), झारखंड (12.35), पंजाब (11.11), राजस्थान (12), उत्तराखंड (11.43), उत्तर प्रदेश (11.66), पश्चिम बंगाल (13.70) और दिल्ली (11.43) विधानसभाओं में 10 प्रतिशत से अधिक महिला विधायक हैं।
- मौजूदा समय में लोकसभा में 78 महिला सदस्य चुनी गईं, जो 543 की कुल संख्या का 15 प्रतिशत से भी कम है। सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, राज्यसभा में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगभग 14 प्रतिशत है।
इसे भी पढ़ेंःये हैं भारत की सबसे मजबूत महिला पॉलिटिशियन
कुल मिलाकर देखें तो महिलाओं को समानता और जमीनी हकीकत में सुधार लाने के लिए महिला आरक्षण बिल बहुत जरूरी है। मौजूदा समय में महिलाओं के राज्यसभा और विधानसभा में 15 प्रतिशत से भी कम की भागीदारी खुद ब खुद सारी कहानी बयां करती है।
आज़ादी के 76 साल बाद सरकार ने माना जब तक महिलाएँ संसद और विधान सभा में नहीं होंगी, तब तक देश की प्रगति सिर्फ़ काग़ज पे होगी। महिलाओं का मुद्दा आज देश में ज्वलंत है जिसके चलते केंद्र #WomenReservationBill देश में ला रहा है। सरकार को बधाई देती हूँ और आशा है अब ब्रिज भूषण जैसों की…
— Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) September 19, 2023
अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
Image Credit - Twitter
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों